अखिलेश अखिलेश हैं ऐसे झटके परेशान नहीं करते

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को आजकल काफी झटके मिल रहे हैं पर अखिलेश तो अखिलेश हैं वह हिम्मत नहीं हारते और योगी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते। समाजवादी पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं , कार्यकर्ताओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है पर अखिलेश को लगता है कि कोई फर्क नहीं पड़ता है , वह अपनी राजनीती में व्यस्त हैं। बुंदेलखंड में 50 से अधिक नेताओं ने एकसाथ अखिलेश का साथ छोड़कर राष्ट्रीय लोक दल का दामन थाम लिया। दरअसल पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह की जयंती पर आयोजित एक समारोह में समाजवादी पार्टी के बड़ी संख्या में नेता वहां जुट गए थे और एक प्लानिंग के तहत उन्होंने अखिलेश का साथ छोड़ दिया। सब जानते हैं कि यूपी में योगी लहर के चलते ही राष्ट्रीय लोक दल ने अखिलेश को छोड़कर एनडीए का दामन थाम लिया था। इसलिेए समाजवादी पार्टी के नेताओं का राष्ट्रीय लोक दल में आना योगी की ही जीत मानी जा रही है पर अखिलेश को शायद ही इससे फर्क पड़ा हो या एक कुशल नेता की तरह वह दिखाना नहीं चाह रहे हों। इटावा से लखनऊ लौटते समय अखिलेश यादव योगी सरकार पर तंज कसने का मौका नहीं चूके । दरअसल अखिलेश ने बीच रास्ते ठठिया में मौजूद आलू मंडी का दौरा कर डाला और कहा कि सपा सरकार ने तो यहां एशिया की सबसे बड़ी मंडी का निर्माण शुरू करवाया था पर अब भाजपा और योगी सरकार के राज में मंडी बदहाल हो गई है। उन्होंने कहा कि यहां ना तो पेयजल की व्यवस्था नहीं है। रोजाना सफाई तक नहीं कराई जाती है। सिर्फ कागजों में ही सरकार किसानों की आय बढ़ाने और विकास का दावा कर रही है।
केजरीवाल क्या दिल्ली को कंगाल करने की मंशा

क्या आम जानता का आम आदमी पार्टी यानी केजरीवाल से मोह भंग हो रहा है, यह सिर्फ चर्चा या अफवाह नहीं बलिक कुछ चुनावों के परिणाम हैं , जो बता रहे हैं कि जनता आम आदमी पार्टी से दूर हो रही है और हाल ही में पंजाब में हुए नगर निगम और नगर परिषद के चुनाव परिणामों ने इस बात पर मोहर भी लगा दी ।पंजाब में 2022 के विधानसभा चुनावों में जबरदस्त जीत हसिल करने वाली आम आदमी पार्टी को सिर्फ पटियाला नगर निगम में जीत मिली है। पार्टी जालंधर और लुधियाना में बहुमत से चूक गई। खुद सीएम भगवंत मान के होमटाउन संगरूर में आम आदमी पार्टी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से पिछड़ गई। लुधियाना में दो विधायकों की पत्नियां भी चुनाव हार गईं। बड़ा झटका पटियाला में लगा जहां उसने 95 में से 41 वॉर्ड ही जीते । शायद इसी कारण केजरीवाल ने दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी गिरती साख को बचाने के लिए धडाधड़ मुफ्त की रेबडियां बांटने का ऐलान करना शुरू कर दिया है। पर इस बार यह tactics भी केजरीवाल पर भारी पड़ रही है क्योंकि एक तरफ बीजेपी के तमाम दिल्ली सांसद केजरीवाल के उन वादों की पोल खोल रहे हैं जो उन्होनें अभी तक पूरे नहीं किए गए, वहीं कांग्रेस के कईं नेता खुलेतौर पर केजरीवाल से पूछ रहे हैं कि जनता को मुफ्त बांटने के लिए पैसा कहां से लाओगे, क्या दिल्ली को भी कंगाल करने की योजना है।
अम्बेडकर के नाम पर कितनी राजनीति-क्या जनता समझेगी

बिहार में चुनाव आने वाले हैं और कांग्रेस अपनी तरफ से पूरी कोशिश में है कि अगर वो लालू की पार्टी rjd के साथ गठबंधन करती है तो इस बार वह बड़े भाई की भूमिका में सामने आए और शायद यही कारण है कि बाबा साहब के बहाने कांग्रेस की नजर अनूसूचित जाति एवं जनजाति के वोटों को लुभाने की है। राज्य में लगभग 22 percent sc/st वोट हैं, जो समय के साथ कांग्रेस से दूर हुए हैं, पार्टी इन्हें वापस जोड़ना चाहती है यही वजह है कि कांग्रेस इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहती और अमित शाह के भाषणा पर , कांग्रेस बिहार में भी माहौल तैयार कर रही है और आंबेडकर के अपमान को मुद्दा बनाकर बिहार में आंबेडकर सम्मान सप्ताह आयोजित करने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं, यहीं नहीं कांग्रेस के महासचिव एवं संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल ने इसी मुद्दे को लेकर जनवरी में बिहार में कांग्रेस नेताओं को जनता के बीच जाने के भी आदेश दिए हैं। वहीं दूसरी तरफ nda के नेता भी बिहार में अंबेडकर मुद्दे पर कांग्रेस को आड़े हाथों ले रहे हैं। हाल ही में कांग्रेस पर जोरदार हमला बोलते हुए बिहार के कद्दावर नेता जीताराम मांझी ने कहा की जिस गांधी परिवार ने हमेशा से बाबा साहब का अपमान किया, बाबा साहब को हाशिए पर रखने की कोशिश की अब उसी गांधी परिवार के सदस्य की तुलना अंबेडकर साहब से करना शर्मनाक है। मांझी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने बाबा साहब को सम्मान दिया जबकि कांग्रेसी हुकूमतों ने हमेशा से बाबा साहब को अपमानित किया है। उन्होंने कहा की नाखून कटाकर शहीद का दर्जा मांगने वाले कांग्रेसियों को जयराम रमेश जी के इस बयान के लिए माफ़ी माँगनी चाहिए।
