UP की Priya Saroj कम उम्र में सासंद —DNA में बसी है जनसेवा
मछलीशहर लोकसभा सीट से महज 25 वर्ष की आयु में सांसद चुनी गईं प्रिया सरोज का शुमार उन युवा सांसदों में है जिनका दावा है कि उनका जन्म ही जन सेवा के लिए हुआ है। काफी हद तक यह सही भी है क्योंकि प्रिया के पिता और उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ समाजवादी नेता तूफानी सरोज मछली शहर लोक सभा सीट से लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। उनकी बेटी प्रिया सरोज ने भी हाल के संसदीय चुनावों में अपने पिता के गृह क्षेत्र से भाजपा के दिग्गज नेता बीपी सरोज को हराया खासे वोटों के अंतराल से हराया था।
युवा सांसद के तर्कों और तेवर की भी खूब प्रशंसा की जा रही है
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में प्रिया सरोज पहली बार चुनाव मैदान में उतरीं और पिता तुफानी सरोज के चुनाव प्रचार की कमान संभाली व खुद के लिए सियासी जमीन भी तैयार की।इस दौरान जनसभाओं में युवा अंदाज में भाषण देना, लोगों से आत्मीयता से मिलना, उनसे उनकी भाषा में बात करना मतदाताओं को भा गया। विधानसभा चुनाव में बढ़ती लोकप्रियता को प्रिया सरोज ने इस कदर भुनाया कि खुद को लोकसभा चुनाव 2024 में दावेदारों की कतार में ला खड़ा किया। नतीजतन, समाजवाटी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 में मछलीशहर सीट से भाजपा के मौजूदा सांसद बीपी सरोज के सामने प्रिया सरोज पर दांव लगा दिया।
सपा नेता अखिलेश यादव टीम की इस युवा सांसद के तर्कों और तेवर की भी खूब प्रशंसा की जा रही है। वह विभिन्न मसलों पर लगातार अपनी राय मजबूती के साथ रख रही है>
अखिलेश यादव के पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी PDA पॉलिटिक्स को आगे बढ़ाने की कोशिश
संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के मसले पर गरमाए विवाद के बीच प्रिया सरोज के विरोध की भी खूब चर्चा हो रही है।प्रिया सरोज संसद और उसके बाहर अखिलेश यादव के पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स को आगे बढ़ाने की कोशिश करती दिखी हैं। वह अपने पिता तूफानी सरोज की पिछड़े-दलित समाज की राजनीति को आगे ले जाने की कोशिश करती दिख रही है।
अमित शाह से भिड़ गई युवा नेता
प्रिया सरोज इन दिनों दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का पात्र बनी हुई हैं क्योंकि उन्होंने लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी को घेरा, उसकी खूब सराहना हो रही है।प्रिया ने राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के एक गए बयान पर यह कहकर जबरदस्त हमला बोला है कि पीडीए समाज जिंदगी भर बाबासाहेब का नाम लेता रहेगा। बाबासाहेब की ओर से समाज के लिए किए गए संघर्ष को याद रखेगा। इसके अलावा वह लगातार भाजपा से बाबासाहेब के अपमान की माफी की मांग करती दिख रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट में वकील रही — दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की
प्रिया सरोज सुप्रीम कोर्ट में वकील रही हैं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। उनका जन्म 23 नवंबर 1998 को हुआ था। महज 25 साल की आयु में वह लोकसभा तक पहुंचने में सफल रहीं।प्रिय का बचपन सांसद आवास दिल्ली में बीता। ये उत्तर प्रदेश की सबसे गरीब सांसद हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में चुने गए देश के युवा सांसदों पुष्पेंद्र सरोज, संजना जाटव, प्रियंका सिंह की कतार में भी शामिल हैं।
राजनीति में आकर जन सेवा करना उनका बचपन का ख्वाब
सांसद प्रिया सरोज कहती हैं कि राजनीति में आकर जन सेवा करना उनका बचपन का ख्वाब था, जो अब पूरा हो गया है। पिता को तीन बार सांसद व एक बार विधायक बनते देखा है। उन्हीं के नक्शे कदम पर चलकर जनता की सेवा करनी है। राजनीति में कदम रखने से पहले जानबूझकर एलएलबी की, ताकि कानून की अच्छे से समझ हो सके।प्रिया सरोज कहती हैं कि खुद की जीत के प्रति वे इतनी आश्वस्त थी कि चुनावी सभाओं में मतदाताओं का समर्थन देखकर अक्सर कहा करती थीं कि चुनाव जीत चुकी हूं। बस चुनाव परिणाम को औपचारिक घोषणा का इंतजार हैवह कहती हैं कि उन्होंने राजनीति अपने पिता से सीखी। कभी धर्म की राजनीति नहीं की। युवाओं का रोजगार, पेंशन, महिला उत्थान व मूलभूत सुविधाओं के मुद्दों पर चुनाव लड़ा और जीता है।उत्तर प्रदेश के मछलीशहर से लोकसभा सीट केवल 25 साल में जीतने वाली प्रिया सरोज का मानना है कि उनका जन्म ही जन सेवा के लिए हुआ है। वैसे इसके पीछे एक बड़ी वजह भी है, प्रिया के पिता और उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ समाजवादी नेता तूफानी सरोज मछली शहर लोक सभा सीट से लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं और इसी सीट पर प्रिया ने बीजेपी के दिग्गज नेता बीपी सरोज को काफी वोटो से हराया है।
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में प्रिया सरोज पहली बार चुनाव मैदान में उतरीं भी और ना केवल अपने पिता तुफानी सरोज के चुनाव प्रचार की कमान संभाली बल्कि खुद के लिए सियासी जमीन भी तैयार कर ली। इस दौरान जनसभाओं में युवा अंदाज में भाषण देना, लोगों से आत्मीयता से मिलना, उनसे उनकी भाषा में बात करना मतदाताओं को भा गया।साल 2024 के चुनाव में प्रिया सरोज को उतार कर अखिलेश यादव ने बड़ा दांव खेला जो सफल हो गया।
सपा नेता अखिलेश यादव टीम की इस युवा सांसद के तर्कों और तेवर की भी खूब प्रशंसा की जाती है। कहा जाता है प्रिया हर मसले पर अपनी राय मजबूती के साथ रख रहती , देखने में आ रहा हैं कि प्रिया सरोज संसद अखिलेश यादव के पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स को आगे बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रही हैं।
वैसे प्रिया सरोज की इन दिनों दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा हो रही है, उन्होंने लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान भारतीय जनता पार्टी को जिस तरह से घेरा, उससे उनकी खूब सराहना हुई। प्रिया ने राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के एक गए बयान पर यह कहकर जबरदस्त हमला बोला है कि पीडीए समाज जिंदगी भर बाबासाहेब का नाम लेता रहेगा। इसके अलावा वह लगातार भाजपा से बाबासाहेब के अपमान की माफी की मांग करती दिखी। सांसद प्रिया सरोज कहती हैं कि राजनीति में आकर जन सेवा करना उनका बचपन का ख्वाब था, जो अब पूरा हो गया है, प्रिया सरोज सुप्रीम कोर्ट में वकील रही हैं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। आपको बता दें कि प्रिया सरोज खुद की जीत के लिए इतनी आश्वस्त थी कि चुनावी सभाओं में मतदाताओं का समर्थन देखकर कह देती थी कि मैं चुनाव जीत चुकी हूं।