अयोध्या से जुड़ी फैजाबाद लोकसभा सीट पर मिली सफलता के बाद जिस तरह से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने यहां से विजयी अवधेश प्रसाद को अयोध्या का राजा बताना शुरू कर दिया था लगता है कि यह बात राम भक्त जनता को पसंद नहीं आई और समाजवादी पार्टी को इसका भुगतान मिल्कीपुर उपचुनाव में मिली जबरदस्त हार के तौर पर देखना पड़ा । जी हां यहां के इतिहास में पहली बार कोई उम्मीदवार इतने बड़े अंतर से चुनाव जीता है, यहां पर बीजेपी के चंद्रभानु पासवान ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को पूरे 61 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से हराया है। और यहां की जनता ने समाजवादी पार्टी को बता दिया कि अयोध्या के राजा तो भगवान राम ही हैं और किसी मनुष्य से उऩकी बराबरी कैसे की जा सकती है। पर दूसरी तरफ इस जबरदस्त हार को अखिलेश digest ही नहीं कर पा रहे हैं और इसे भाजपा की ओर से चुनावी तंत्र का दुरुपयोग , फर्जी मतदान का परिणाम बता रहे हैं। अब अखिलेश को कौन समझाए कि अगर मतों की गडबडी होती तो कुछ हजारों की ही संभव हो सकती थी इतने बड़े पैमाने पर गडबडी का आरोप लगाना अपनी ही मूर्खता का बखान करना है। अखिलेश को मानना पड़ेगा कि उनकी भगवान राम को लेकर गलत बयानबाजी और पीडीए यानी पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक के खोखले नारे को जनता ने reject कर दिया। आपको बता दें कि यह सीट जीतना योगी के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल थी और उनकी पूरी मशीनरी इसको जीतने में लगी थी, परिणाम भी मिला भाजपा के सामने नौ उम्मीदवार खड़े थे पर समाजवादी पार्टी को छोड़कर कोई भी उम्मीदवार जमानत तक नहीं बचा सका।