अखिलेश ने फिर रंग बदला अब Congress फिर से दोस्त
कहते हैं कि राजनीती में गद्दी के लिए हर दल , हर नेता पल में रंग बदलता है और इसको लेकर कोई आश्चर्य नहीं करना चाहिए, अब अखिलेश यादव को ही ले लीजिए जो कांग्रेस को लेकर अपना स्टैंड बार बर बदल रहे हैं, अभी हाल ही में उन्होंने दिल्ली में आप को समर्थन दने के साथ ही इशारा कर दिया था कि कांग्रेस से उनकी दूरी बनी हुई है और यही नहीं अखिलेश और उनकी पार्टी के नेता कई बार सार्वजनिक मंचों पर कांग्रेस और राहुल की खुलकर बुराई करते भी हैं, पर जैसे ही यूपी की मिल्कीपुर उपचुनाव सीट पर होने वाले चुनाव में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी का समर्थन करने की घोषणा की , अखिलेश के सुर रातों रात बदल गए, हाल ही में उन्होंने बयान दे डाला की आप को समर्थन देने का मतलब कांग्रेस का विरोध नहीं है। उन्होने यह भी कहा कि जो भी दल भाजपा को हराने की स्थिति में हाेगा उसे वहां समर्थन दिया जाएगा। माना जा रहा है यूपी की मिल्कीपुर उपचुनाव सीट को जीतना अखिलेश के लिए प्रतिष्ठा का प्रशन बन चुका है क्योंकि हाल के उपचुनाव में जिस तरह से 9 में से 2 सीटों पर ही समाजवादी पार्टी को जीत मिल पाई थी इससे अखिलेश को लग रहा है कि यूपी में उनका जनाधार कम हो रहा है और दूसरी तरफ योगी ने भी समाजवादी पार्टी को मिल्कीपुर सीट जीतने की चुनैती दे रखी है, ऐसे में अखिलेश ने बहुत चतुराई से एक बर फिर कांग्रेंस को अपने पाले में करके वोट कटने पर विराम लगा दिया। अखिलेश मिल्कीपुर के उपचुनाव में अपना पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक यानी पीडीए कार्ड खेलने में जुटे हुए हैं और साथ ही यहां के किसानों की जमीन जबरन अधिग्रहित करने का मुद्दा उठाकर वो स्थानीय वोटर्स की सहानुभूति भी जुटा रहे हैं , अखिलेश ने भाजपा प्रत्याशी का टिकट गुजरात से मिलने की बात कहते हुए इस चुनाव को स्थानीय बनाम बाहरी का टर्न भी दे डाला है।
दिल्ली चुनाव – बिहारी नेता AAP और Congress पर भारी पड़ेंगे
दिल्ली के चुनाव प्रचार में बीजेपी कोई कसर नहीं छोड़ रही है । दिल्ली के लगभग 40 स्टार प्रचारकों की लिस्ट में पीएम मोदी, अमित शाह सीएम योगी जैसे दिग्गजों के नाम हैं , पर इनके साथ बिहार के दो नेताओं का नाम चर्चा का विषय बना हुआ है । सबको पता हैं कि बिहार में भी चुनाव होने वाले हैं और वहां भी नेताओं की जरूरत है फिर ऐसा क्या हुआ कि बिहार के कद्दावर नेता गिरिराज सिंह और सम्राट चौधरी को बाकायदा दिल्ली चुनाव प्रचार के लिए बुलाया जा रहा है। पता चला है कि एक सोची समझी रणनीती के तहत इन नेताओं का चयन हुआ है , दरअसल इस बार बीजेपी दिल्ली में बड़ी संख्या में मौजूद पूर्वांचली वोटरों को हर हाल में अपने पाले में लाना चाहती है क्योंकि आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 15 पर लगभग 35 फीसदी पूर्वांचली वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इन वोटरों में पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के लोग बड़ी संख्या में शामिल हैं , जहां ‘पूर्वांचल सम्मान मार्च’ की जिम्मेदारी सांसद मनोज तिवारी को सौंपी गई है वहीं इन दो नेताओं को भी बिहार-झारखंड से दिल्ली आकर बसे लोगों को साधने के काम दिए जाएंगे। दूसरा एक बड़ा कारण यह भी है कि ये दोनों नेता खासकर गिरिराज सिंह केजरीवाल की पोल खोलने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं, हाल ही में उन्होनें केजरीवाल पर जमकर हमला किया था और कहा था कि जो अन्ना हजारे का नहीं हुआ वह दिल्ली की जनता का कैसे हो सकता है। यह भी कहा कि ‘केजरीवाल उसी थाली में छेद करते हैं, जिसमें खाते हैं।’ अब देखना यही है कि चाणक्य की आम आदमी पार्टी को हर तरफ से घेरने की रणनीती कितनी सफल रहती है।
क्या चिराग पासवान BJP को भी झटका देने वाले हैं
बिहार की राजनीती में चर्चाएं चल निकली हैं कि क्या चिराग पासवान एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से विद्रोह करने का माहौल बना रहे हैं और यही नहीं इस बार चिराग ने जो किया , वह बीजेपी नेताओं को भी रास नहीं आ रहा है, तो लोक जनतांत्रिक पार्टी के मुखिया और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने क्या कर दिया की बिहार की राजनीती में उबाल आ गया। हम आपको बताते हैं कि चिराग ने क्या किया। हाल में ही में चिराग ने बाकायदा सिवान जाकर अयूब खान और रईस खान को पार्टी का सदस्य बनाया। यही नहीं पता चला है कि सिवान जाने के लिए हेलिकॉप्टर की व्यवस्था भी ‘खान ब्रदर्स’ की तरफ से ही की गई थी। और अब
कई गंभीर केस के आरोपी कुख्यात खान ब्रदर्स चिराग पासवान के बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट के नारे को आगे बढ़ाएंगे। रईस खान के साथ साथ उनके बड़े भाई अयूब खान गैंग पर हत्या, लूट, गोलीबारी, रंगदारी जैसे कई दर्जन मामले दर्ज हैं। चिराग के इस कदम से लग यही रहा है कि वह नीतीश के खिलाफ तो जा ही रहे हैं पर साथ ही बिहार चुनाव से पहले अपराघियों को अपनी पार्टी में शामिल करके बीजेपी के लिए भी embaressment पैदा कर रहे हैं। अब देखना यही है कि चिराग के इस कदम पर बीजेपी आलाकमान क्या रूख अपनाती है।