अब लालू यादव का भरोसा क्यों उठा कांग्रेस से

विपक्षी गठबंधन India में जिस तरह के हालात बन रहे हैं ,उससे साफ दिख रहा है कि हाल फिलहाल में बने इस गठबंधन में हर छोटा-बड़ा दल गठबंधन का मुखिया बनने की सोच रहा है और इन सबके बीच एक बात तो बिल्कुल तय है कि गठबंधन की कई powerful पार्टियां और नेता अब किसी भी हालात में कांग्रेस को गठबंधन की कमान सौंपने के पक्ष में नहीं है। पिछले दिनों जिस तरह से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जन खरगे का नाम गठबंधन के मुखिया के तौर पर उछल रहा था ,वह पूरी तरह से साइड लाइन कर दिया गया है। जैसा की हाल ही में ममता बनर्जी ने गठबंधन की कमान अपने हाथ में लेने की इच्छा जाहिर की थी और सीधे तौर पर कांग्रेस को इसके लिए असफल बता दिया था, जहां उनकी इस मांग का कद्दावर नेता-शरद पवार, उद्वव ठाकरे, अखिलेश यादव ने समर्थन कर दिया था और अब उस लिस्ट में एक और भारी भरकम नेता लालू प्रसाद यादव का नाम जुड़ गया है। जी हां rjd सुप्रीमो ने भी लालू यादव ने किया भी ममता बनर्जी के नाम समर्थन कर साफ कर दिया की गठबंधन में कांग्रेस को बड़े भाई की भूमिका में कोई नहीं चाहता है। लालू ने यह तक कह दिया की ममता के नाम को लेकर कांग्रेस की आपत्ति का कोई मतलब नहीं है। उन्होनें कहा कि ममता बनर्जी को india गठबंधन का नेतृत्व सौंप दिया जाना चाहिए। वैसे इस पूरे मुद्दे पर कांग्रेस के एक भी नेता का बयान सामने नहीं आया है, कांग्रेस की खामोशी उसकी बेबसी है या बगावत की तैयारी समय ही बताएगा।

गरीब की थाली में पुलाव आ गया, लगता है दिल्ली में चुनाव आ गया…

 

दिल्ली का चुनाव आने वाला है और दिल्ली के लोगों ने मुफ्त की रेबड़ियां का इंतजार करना शुरू कर दिया है। जी हां आप समझ ही गए होंगे कि हम क्या बात करना चाह रहे हैं। एक तरफ दिल्ली की गद्दी बरकरार रखने के लिए आम आदमी पार्टी ने अभी से दिल्लीवासियों को कईं और मुफ्त की योजनाओं उपलब्ध कराने का लालच देना शुरू कर दिया , वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी कहां पीछे रहने वाली है उसने भी जोर शोर से कहना शुरू कर दिया की अगर बीजेपी आई तो मुफ्त बिजली, पानी की सुविधाएं दिल्लीवासियों को मिलती रहेंगी। अब आम आदमी पार्टी हो या बीजेपी या फिर कांग्रेस, सभी दलों में एक बात देखने को मिल रही है कि सभी मुफ्त की बिजली पानी के बल पर दिल्ली के वोटर्स को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन समझना यही है कि क्या इस तरह मुफ्त की रेवडियां बांटने की राजनीती देश के विकास के लिए ठीक है। सभी को पता है कि यह सरकारी खजाने पर बोझ बन जाती हैं और इसके कारण बहुत से विकास कार्य रूक जाते हैं। क्योंकि सरकारी पैसा या तो मुफ्त की योजनाओं को पूरा करने में लग सकता है या फिर विकास में , ऐसे में दिल्लीवासियों को ही सोचना पड़ेगा कि उन्हें विकास चाहिए या कुछ समय के लिए उपलब्ध कुछ मुफ्त की योजनाएं। वैसे आजकल चुनाव के माहौल में एक व्यंग्य काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। कहा जाता है कि गरीब की थाली में पुलाव आ गया, लगता है शहर में चुनाव आ गया…

बिहार चुनाव इस कोई बड़ा खेला होने वाला

 

साफ लग रहा है कि अगले साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमारका की जीत की राह कतई आसान नहीं रहने वाली है और साथ ही यह भी देखना है कि इस बार बीजेपी के लिए नीतीश का साथ लकी रह पाता है या नहीं। एक तरफ जहां पहले से ही rjd के नेता तेजस्वी यादव झारखंड में मिली अपनी जीत से काफी उत्साहित होकर लगातार नीतीश सरकार को घेर रहे हैं , वहीं दूसरी तरफ हाल ही में गठित जनसुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने तो खुलकर बिहार में शिक्षा , स्कूल -कालेजों की दयनीय हालत के लिए नीतीश को जिम्मेदार बताकर उनपर जबरदस्त हमला कर रखा है। अब रही सही कसर एक जमाने में नीतीश के बहुत करीबी रहे उनके दोस्त पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह कर रहे हैं। जी हां उन्होनें भी बिहार में अपनी नई पार्टी आप सबकी आवाज’ पार्टी बना ली है और नीतीश का सिरदर्द बन चुके हैं। उन्होनें हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की planned यात्रा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं और कहा की इतने वर्षों तक बिहार का मुख्यमंत्री रहने के बाद यात्रा करने की क्या जरूरत है। आरसीपी सिंह ने तंज कसते हुए कहा की यात्रा तो वह करते हैं, जिन्हें कुछ पता नहीं होता। मुख्यमंत्री का काम निर्णय लेना है न कि दौरे पर रहना। बस इन सब को देखकर साफ लग रहा है कि बिहार चुनाव में इस बार कोई बड़ा खेला होने वाला है।

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