वसुंधरा राजे का यह दौरा कईं तरह की चर्चाएं
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री दिल्ली के दौरे पर हैं और जबरदस्त चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं। उनके दिल्ली दौरे के बहुत सारे मायने हैं , सबसे पहला क्या वसुंधरा को कोई जिम्मेदारी सरकार देने का मन बना रही है या कुछ और मसला है जब वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया था और राजस्थान में और एक पहले टर्म के एमएलए को उनका रिप्लेसमें बनाया गया था तो सब यह अनुमान लगा रहे थे कि शायद वसुंधरा राजे इस पर विद्रोह कर देंगी और राजस्थान में चीजें मुश्किल हो जाएंगी। लेकिन वैसा कुछ हुआ नहीं और सरकार के एक साल पूरे हो गए ।
इसमें एक और महत्त्वपूर्ण बात है कि जब सरकार के एक
साल पूरे हुए तो वसुंधरा राजे को सम्मान के साथ उस कार्यक्रम में बुलाया गया और सम्मान दिया गया ।
वसुंधरा को मिल सकता है संगठन में कोई पद
अब दो तरह की बातें हो रही हैं या तीन कह लीजिए। पहला यह कि संगठन पर काम हो रहा है कि संगठन में किसको किसको क्या जिम्मेदारी दी जाएगी। केंद्रीय संगठन में निश्चित तौर पर वसुंधरा राजे को राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर तो नहीं कंसीडर किया जा रहा यह तो तय है तो क्या उनको महासचिव पद के लिए कंसीडर किया जा रहा है जो एक बड़ी जिम्मेदारी होती है । संगठन का यह काम किसी मुख्यमंत्री से कम नहीं होता है। दूसरा 71 साल की वसुंधरा राजे अब उनके पास चार साल का और समय बचा हुआ है और वो मुख्यमंत्री तो बन नहीं सकती हैं , संगठन में काम कर सकती हैं।
प्रकाश जावडेकर की तरह वसुंधरा राजे को पटका जाएगा
क्या प्रकाश जावडेकर की तरह वसुंधरा राजे की स्थिति हो गई है जैसे कि उनको केरल जैसे किसी राज्य की जिम्मेदारी दी जाए। हालांकि प्रकाश जावडेकर को इस तरह से केरल की जिम्मेदारी दिए जाने के पीछे उनकी अपनी बहुत सारी गलतियां थी जिसके लिए उनको अचानक मंत्रालय से हटाया गया था। लेकिन वसुंधरा के साथ वैसा नहीं है । वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए बहुत काम किए, यह बात अलग बात है कि वो कईं तरह के मसले पर कई कई बार बड़े नेताओं को साइड लाइन कर देती थी। हालांकि नई रेजीम में ना वह अमित शाह को कभी डिफाई कर पाई , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डिफाई करने का प्रश्न ही नहीं है, लेकिन उन्होंने राजनाथ सिंह को अध्यक्ष रहते हुए बहुत मुश्किलें पैदा की थी ।
71 साल की उम्र में वसुंधरा कितनी भागदौड़ कर पाएंगी
वैसे अब बात यही है कि वसुंधरा क्यों दिल्ली में है और क्यों उनकी अमित शाह से मुलाकात हो सकती है । क्या उनको राष्ट्रीय संगठनमें कोई जिम्मेदारी दे दी जाए तो क्या वह महामंत्री या उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी के लिए तैयार होंगी और क्या उनको संगठन उन जिम्मेदारियों के लिए उपाध्यक्ष पद दिया जा सकता है । वह उपाध्यक्ष एक बार पहले भी रह चुकी हैं ,लेकिन महामंत्री की जिम्मेदारी मिलेगी इसको लेकर थोड़ा संदेह है। 71 साल की उम्र की
नेता संगठन में कितना भागदौड़ कर पाएंगी, कितना समय दे पाएंगी एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न है। उनके दिल्ली आने का भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिलने का हालांकि बहुत सारी मुलाकातों की जानकारी भी लोगों तक नहीं हो पाएगी लेकिन उनको भारतीय जनता पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से मिलना है उसमें गृहमंत्री अमित शाह का नाम भी शाम भी शामिल है ।
राज्यपाल की भूमिका में आ सकती हैं
अब क्या वसुंधरा एक्टिव पॉलिटिक्स से दूर हो जाएंगी और वह किसी प्रदेश के राज्यपाल की भूमिका में आ जाए तो इस पर शायद बिना उनकी सहमति के कोई निर्णय केंद्रीय नेतृत्व नहीं करेगा। इसलिए माना जा रहा है कि उनसे इस बात पर चर्चा करके और उनकी सहमति लेने के बाद ही इसकी घोषणा करना चाह रहा है और इसलिए वसुंधरा को दिल्ली बुलाया है। क्योंकि घोषणा के बाद वह पद लेने से इंकार कर दें तो भारतीय जनता पार्टी के लिए एंबेरेसमेंट वाली सिचुएशन होगी। और इसमें कोई दो राय नहीं कि वसुंधरा ऐसा कर भी सकती हैं तो इसलिए शायद उनकी सहमति खोजने की कोशिश की जा रही है और यह जब लोगों से चर्चा होगी होगी तो उसमें यह
प्रपोजल आ सकता है और उस पर उनके क्या विचार हैं।
राजस्थान में छह मंत्री पद खाली है, क्या वसुंधरा चाहती अपने नेता
तीसरी जो सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि राजस्थान सरकार के एक साल पूरे हो गए हैं और एक साल पूरे होने का जो कार्यक्रम हुआ था उसमें वसुंधरा राजे की सहमति सहभागिताथी और उनको वहां पर काफी महत्व भी दिया गया था लेकिन महत्व अभी तो दिया गया लेकिन जब सरकार का गठन हुआ था तो ना वसुंधरा को महत्व दिया गया था ना वसुंधरा समर्थकों को महत्व दिया गया था और अभी भी राजस्थान में छह मंत्री पद खाली हैं, मतलब एक्सपेंशन में छह लोगों को मंत्री पद और मिल सकता है तो क्या वसुंधराराजे दिल्ली इस बात की चर्चा करने आई हैं कि जो उनके समर्थक हैं उनको भी मंत्रिमंडलमें उचित स्थान दिया जाए , इसलिए कि अभी जो बाय इलेक्शन हुए हैं उपचुनाव हुए थे उसमें जिस तरह से राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी जीत करके आई है उसके से काफी उत्साहित है भारतीय जनता पार्टी के लोग और
मुख्यमंत्री भी जिनको लगभग यह बोल दिया गया था कि शायद यह भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का गलत निर्णय है जहां परवह एक ऐसे मुख्यमंत्री को लेकर के आए जिन्होंने जिनके आने के बाद ना केवल लोकसभा के चुनाव में नुकसान हुआ है बल्कि विधानसभा में भी नुकसान हो सकता था लेकिन उसको नहीं होने दिया गया वह भारतीय जनतापार्टी उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर पाई तो इस दृष्टि से उसको बड़ी शंका की नजर से देखा जा रहा था लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी जब उपचुनाव जीत चुकी है और इस तरह की बातें कही जा रही हैं कि मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है तो वसुंधरा केंद्रीय नेतृत्व पर इस बात की चर्चा करके उन पर दबाव बना सकती हैं कि उनके भी कुछ लोगोंको अगर छह में से छह नहीं तो कम से कम दो तीन लोगों को तो मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए। जिससे नाराजगी जो लोगों में है वह दूर की जा सके
वसुंधरा संगठन में अपना वर्चस्व दिखाना चाहती
साथ ही यह भी ना नजर आए कि वसुंधरा को पूरी तरह से संगठन में पार्टी में दर किनारकर दिया गया । अब इन सबको लेकर के निश्चित तौर पर चर्चा होगी बातचीत होगी और क्या मसला है वह सामने आ जाएगा इसलिए कि वसुंधराराजे की दिल्ली यात्रा बिना किसी उद्देश्यके हो ऐसा संभव नहीं है निरुद्देश यात्रा कोई भी नहीं करता है तो वह क्यों कर करेंगी तो यह जो तीन महत्त्वपूर्ण मसले हैं घूम फिर कर के सारा ध्यान यही है किवसुंधरा को संगठन में ले आया जा रहा है, मंत्रिमंडल विस्तार हो रहा है या उनको,राज्यपाल की भूमिका मिल सकती है किसी,महत्त्वपूर्ण राज्य में । यह आने वाला समय बताएगा