इस सीट ने क्यों उड़ा रखी अखिलेश की नींद

आखिर यूपी में कानपुर की सीसामऊ सीट समाजवादी पार्टी और बीजेपी के लिए इतनी important क्यों हैं जो इसे हासिल करने के लिए दोनों ही दल एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं । हाल यह है कि अखिलेश यादव तो बाकायदा इस सीट पर हुई वोटिंग पर पैनी नजर गडाए बैठे थे और तभी उन्होंने सोशल मीडिया पर तुरंत वह वीडियो शेयर कर दिया जिसमें दो सब इंस्पेक्टर वोट डालने आए लोगों से आई कार्ड मांगते दिखाई पड़ रहे थे बस फिर क्या था वीडियो का संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने इन दोनों को निलंबित कर दिया ।

दरअसल पिछले 28 साल से यहां बीजेपी जीत नहीं पाई है और इस बार भी अखिलेश की पूरी कोशिश है कि यहां बीजेपी ना आए। पर जिस तरह से यहां चुनाव प्रचार हुआ तो चर्चा है कि भाजपा 28 साल बाद इस सीट पर अपना कमल खिला सकती है बस इसी बात ने अखिलेश को चिंता में डाल दिया है। सपा की साख बचाने के लिए उन्होंने पूरी ताकत लगा दी है। यहां के मुस्लिम क्षेत्रों में सपा की साइकिल खूब दौड़ी और समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम क्षेत्रों के साथ ही हिंदू इलाकों में भी प्रचार में कसर नहीं छोड़ी। सपा प्रमुख अखिलेश यादव से लेकर शिवपाल सिंह यादव, सांसद डिंपल यादव ने यहां जमकर प्रचार किया। दूसरी ओर भाजपा के भगवा झंडे हर तरफ लहराते दिखे। हिंदू क्षेत्र में भाजपा तगड़ी पकड़ बनाने में कामयाब हो गया । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर तमाम मंत्री, सांसद, विधायकों ने घर-घर दस्तक देकर लोगों को मतदान बूथों पर पहुंचने के लिए प्रेरित किया था। इसलिए कहा जा रहा है कि यहां के परिणाम चौकाने वाले हो सकते हैं।

बिहार मुख्यमंत्री की सरकारी गाड़ी क्यों बनी चर्चा का विषय

जब से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकारी गाड़ी के पॉल्यूशन सर्टिफिकेट फेल होने की खबर बाहर आई है , विपक्ष को पूरा मौका मिल गया है नीतीश को घेरने का। दरअसल नीतीश कुमार रोहतास जिले के एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे और तब उनकी सरकारी गाड़ी प्रदूषण प्रमाण पत्र (PUC) 2 अगस्त 2024 को ही समाप्त होने के कारण पकड़ ली गई। हैरानी की बात यही थी कि प्रदूषण प्रमाण पत्र की अवधि खत्म होने के बाद भी मुख्यमंत्री लगातार इस गाड़ी का प्रयोग कर रहे थे। वैसे यह पहला मौका नहीं है की नीतीश की गाड़ी चर्चा का विषय बनी है, इससे पहले भी 23 फरवरी 2024 को सीट बेल्ट नहीं लगाने पर उनका 1000 रुपये का चालान काटा गया था, जो अभी तक जमा नहीं किया गया है।

बस यह मामला बिहार की जनता और विपक्ष के बीच चर्चा का विषय बन गया है। रोहतास जिले के विपक्षी दलों के नेताओं ने इस मुद्दे पर सवाल उठाए हैं। यही नहीं विपक्ष इस मुद्दे को पूरी तरह से भुनाने के लिए यह जानकारी M परिवहन ऐप के माध्यम से सोशल मीडिया पर भी डाल रहा है। लालू की पार्टी के नेता विमल कुमार ने तो यह तक कह दिया की यह बिहार का दुर्भाग्य ही है मुख्यमंत्री की गाड़ी का प्रदूषण फेल है, जबकि आम जनता पर इसके लिए बेवजह जुर्माना लगवाकर उन्हें परेशान किया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Get more stuff like this

in your inbox

Subscribe to our mailing list and get interesting stuff and updates to your email inbox.

we respect your privacy and take protecting it seriously