सांसद राहुल लोधी कन्यादान में भी घपला
बीजेपी ने राहुल को प्रत्याशी बनकर सबको चौंका दिया
यूं तो दमोह लोकसभा सीट से चुनाव जीते बीजेपी के मध्य प्रदेश के सबसे युवा सांसद राहुल लोधी रिश्ते में प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे हैं, लेकिन राजनीतिक विवादों से उनका चोली दामन का साथ रहा है।बीजेपी ने राहुल को प्रत्याशी बनकर सबको चौंका दिया था। वह दमोह से पहले भी विधायक रह चुके हैं और विवादों में रहना उनका प्रिय शगल है। हालांकि दमोह में भाजपा ने जो सर्वे कराया था, उसमें रहली विधायक गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक उर्फ दीपू भार्गव का नाम सबसे ऊपर था, लेकिन भाजपा हाई कमान ने राहुल लोधी को प्रत्याशी बनाकर सबको चौंका दिया है।
राहुल लोधी का चुनाव दमोह का जातीय समीकरण है
राहुल लोधी को प्रत्याशी बनाने के पीछे सबसे प्रमुख कारण दमोह का जातीय समीकरण था। दमोह लोकसभा में आठ विधानसभा सीटें आती हैं और यह यह समाज जीताने में निर्णायक भूमिका में है। भाजपा लोधियों को संभवतः नाराज करना नहीं चाहती है। इसलिए राहुल को उम्मीदवार बनाया गया है और राहुल सिंह लोधी ने बड़ी जीत दर्ज की है।उनके बारे में यह माना जा रहा था कि उन्हें 2023 का विधानसभा टिकट नहीं मिलेगा और ठीक वैसा ही हुआ भी।उन्हें टिकट नहीं दिया गया। अब इस बार लोकसभा चुनाव में सर्वे में दूसरे नंबर पर नाम होने के बाद भी राहुल लोधी को टिकट दिए जाने के भाजपा की फैसले ने सबको चौंका दिया, लेकिन राहुल लोधी खुद एक ऐसे नेता हैं, जो अपने बयानों और कार्यकलापों से लगातार लोगों को चौंकाते रहे हैं।
कमलनाथ सरकार गिरने के बाद Congress से वह BJP में आए थे
2018 के चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे। उसके बाद जब कमलनाथ सरकार गिर गई थी, तब प्रद्युम्न ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में वह जीत गए थे। 2018 के चुनाव में राहुल लोधी को कांग्रेस ने अपना चेहरा बनाया था। उन्होंने वर्तमान विधायक एवं पूर्व वित्त मंत्री भाजपा के कद्दावर नेता जयंत मलैया को महज 798 मतों से शिकस्त देकर भाजपा के गढ़ पर कब्जा जमाया था।
राहुल लोधी का कांग्रेस से मोहभंग कमलनाथ सरकार गिरने के महज 3 महीने बाद ही हो गया था। उन्होंने मेडिकल कॉलेज को मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन का अध्यक्ष बनाते हुए कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया था।
राहुल लोधी का राजनीतिक करियर खत्म माना जा रहा था पर बीजेपी आलाकमान ने हाथ रख दिया
स्थानीय भाजपा नेता जयंत मलैया के लाख विरोध के बाद भी पार्टी ने उन्हें दमोह विधानसभा के लिए 2021 में हुए उपचुनाव में अपना प्रत्याशी घोषित किया था, लेकिन वह कांग्रेस के प्रत्याशी अजय टंडन से चुनाव हार गए थे। इसके बाद यह माना जा रहा था कि राहुल लोधी का राजनीतिक करियर लगभग खत्म सा हो गया है, लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान ने उनके कार्यकाल को बढ़ा दिया था।
रेत माफिया और कन्यादाम में किए घपले से विवादों में आए
विधायक निर्वाचित होने के बाद 2019 में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत उन्होंने अपने गृह नगर हिंडोरिया की नगर परिषद में 3000 कन्यादान विवाह की घोषणा करके सबको चौंका दिया। प्रशासनिक कमेटियों की जांच और विवाह समारोह की वीडियोग्राफी और सत्यापन पर वह आंकड़ा महज 1000 निकला।
दूसरी बार राहुल लोधी उस समय चर्चा में आए, जब उपचुनाव से महज 2 महीने पहले ही रेत कारोबारियों ने उन पर भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे।