बिहार में एक बार फिर क्या वीआईपी नेता मुकेश साहनी की मांग बढ़ रही है क्योंकि बीजेपी नेताओं ने दोबारा मुकेश सहनी के लिए फिर से दरवाजा खुला रखने बात कही है, इससे चर्चाएं चल निकली हैं कि ऐसा क्या है जो बीजेपी मुकेश साहनी को एनडीए में शामिल होनें के लिए इतना जोर दे रही हैं । मुकेश साहनी कईं बार कड़े शब्दों में एनडीए में शामिल होने से मना कर चुके हैं और उनकी तेजस्वी से पट भी रही है बावजूद इसके बिहार चुनाव से पहले बीजेपी मुकेश साहनी को वापस लाने के लिए पूरा जोर लगा रही है, एक्सपर्ट मानते हैं कि इसे पीछे सिर्फ वोटों का ही खेल है । सबको पता है कि मुकेश साहनी की मल्लाह वोटर्स पर पूरी पकड़ है और 2023 में बिहार की जातीय जनगणना के अनुसार बिहार में मल्लाह जाति की आबादी करीब 34 लाख है, यानि बिहार की कुल आबादी का 2.6 फीसदी। आपको बता दें कि मुकेश सहनी मल्लाह जाती के साथ साथ उसकी दो दर्जन उपजातियां पर भी अपनी पकड़ बना रहे हैं और सभी उपजातियों को मिलाकर ये आबादी का तकरीबन 8 से 9% फीसदी बैठते हैं जो किसी को भी जीताने में अहम भूमिका निभा सकते हैं और यही कारण है कि बीजेपी बार बार मुकेश साहनी को वापस बुला रही है, वैसे चर्चा ये भी है कि क्या बीजेपी को अपने मल्लाह नेताओं मदन सहनी, हरि सहनी और राजभूषण निषाद काफी पर भरोसा नहीं जो उन्हे मुकेश सहनी की जरूरत पड़ गई।
Maharashtra-शरद पवार का बयान क्या चाचा भी चले भतीजे के पीछे

महाराष्ट्र में कुछ ना कुछ राजनीतिक उठापठक चलती रहती है , इसके पीछे कारण भी है कि सिर्फ महाराष्ट्र में दो बड़े दलों में विभाजन हुआ है यानी की शरद पवार और ठाकरे ग्रुप में और समय समय पर इनके साथ आने की खबरें महाराष्ट्र की शांत राजनीती में हलचल करती रहती हैं, अभी कुछ समय पहले ही राज ठाकरे और उद्वव के बीच दोबारा भाईचारा और भरत मिलन की बात सामने आ रही थी और अब हाल ही में शरद पवार के एक बयान से एक बार फिर चाचा-भतीजे के साथ आने की संभावना को तूल मिल गई है। दरअसल शरद पवार एनसीपी के 26वें स्थापना दिवस के अवसर पर बोल रहे थे और उन्होने पहली बार कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि NCP में कभी विभाजन होगा। इससे अटकले लगाई जा रही हैं कि शरद पवार को अपने भतीजे अजीत पवार के जाने से और नई पार्टी बनाने से बहुत पीड़ा पहुंची है। हालांकि बाद में उन्होंने ये भी कहा कि विभाजन के बाद जो चुनौतियों आई उनके कार्यकर्ताओं ने उसका डट कर सामना किया। वैसे जब से सुप्रिया सुले को मोदी सरकार ने डेलीगेशन का हिस्सा बनाकर बाहर भेजा है यह भी चर्चा चल निकली है कि कहीं भतीजे के पीछे पीछे चाचा तो कही एनडीए का हिस्सा बनने नहीं जा रहे। भई राजनीती है कुछ भी हो सकता है।
Rajasthan -वसुंधरा तो नाराज हैं ही अब इनकी नाराजगी CM के लिए बड़ी सिरदर्दी

राजस्थान में भजनलाल जब से मुख्यमंत्री बने हैं उनकी मुशिकलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं , एक तरफ वो लगातार पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा के चाहने वाले नेताओं, कार्यकर्ताओं की नाराजगी झेल ही रहे हैं , उसपर राजस्थान का गुर्जर समाज उनसे आरक्षण के मुद्दे पर खफा चल रहा है और अब रही सही कसर राजस्थान में बसे जाटों ने कर दी है, जी हां जाट आरक्षण की मांग का मुद्दा यहां गरमा गया है और भरतपुर, धौलपुर और डीग के जाट एक महापंचायत में इसे उठाएंगे। इऩका सीधे तौर पर आरोप है कि पूरे राजस्थान के जाटों को केंद्र में आरक्षण है पर तीन जिलों के जाटों को मोदी सरकार ने आरक्षण से वंचित रखा है। जाटों के बिगडाले बोल से जाहिर है भजनलाल सरकार की मुसीबते बढ़ सकती हैं इससे पहले सरकार ने जैसे तैसे गुर्जर समाज को समझा बुझाकर डैमेज कंट्रोल किया था पर अब जाट समाज के आरक्षण को लेकर सरकार समझ नहीं पा रही कि इसे कैसे कंट्रोल किया जाए।आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में जाट समाज ने आरक्षण का मुद्दा उठाकर ‘ऑपरेशन गंगाजल’ शुरू किया था और जाटों ने गांव-गांव कांग्रेस को जीतने और बीजेपी को वोट नहीं देने की लोगों को गंगाजल की कसम दिलाई थी। देखना यही है भजनलाल इस नई परेशानी से कैसे निपटते हैं ।