झारखंड की राजनीति का अजातशत्रु क्यों कहा जाता
घनबाद से तीन बार भाजपा सांसद रहे पशुपति नाथ सिंह को झारखंड की राजनीति का अजातशत्रु बताया जाता है , कारण यही है कि पार्टी के कार्यकर्ता और आम जनता उनमें एक अभिभावक की छवि देखती हैं। इलाके में इनकी लोकप्रियता का इसी बात से अंदाजा हो जाता है कि लोक सभा सांसद होने से पहले पशुपति नाथ सिंह तीन बार बिहार और बाद में झारखंड से भाजपा विधायक भी रहे। पीएन सिंह नगरपालिका, विधानसभा एवं लोकसभा तीनों सदनों के सदस्य रह चुके हैं। तीनों ही सदन में उनके नाम तीन-तीन बार लगातार पहुंचने का रिकॉर्ड है। हर बार पहले से ज्यादा वोट लाने का भी रिकॉर्ड है। एक छात्र नेता से राजनीति शुरू करने वाले पशुपति नाथ सिंह 16 वर्ष तक वार्ड कमिश्नर भी रहें। भाजपा के जिलाध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष भी रहे।
विनम्रता को ही राजनीति का मूल मंत्र मानते हैं
अधिकांश सांसदों के विपरीत पी एन सिंह विनम्रता को राजनीति का मूल मंत्र मानते हैं। इस विनम्रता की सीढ़ी चढ़कर उन्होंने सफलता ही सफलता हासिल की है। अपने एक अभिनंदन समारोह में उन्होंने कहा था कि राजनीति या किसी भी क्षेत्र में सफलता का मूल मंत्र विनम्रता है। विनम्रता से ताकतवर कोई गुण नहीं है। अपने लंबे राजनीतिक जीवन में हमने विनम्रता सिखी है।
बढ़ती उम्र के तहत टिकट कटा पर दबदबा बरकरार
चूंकि धनबाद भाजपा का गढ़ माना जाता है इसलिए पार्टी नेतृत्व ने इस बार के चुनाव में पी एन सिंह का टिकट बढ़ती उम्र के मापदंड के तहत काट दिया गया पर अब पी एन सिंह एक अभिभावक की भूमिका में आ गए हैं।क्योंकि चाहे वह स्थानीय विधायक इंद्रजीत महतो और जिला अध्यक्ष के बीच का टकराव हो, जिला अध्यक्ष का चुनाव का मामला हो या अन्य कई मामले, हर बार अंतिम निर्णय उन पर छोड़ा गया। या यूं कहें कि धनबाद की राजनीति में पी एन सिंह का दबदबा बरकरार है। भले ही वह परोक्ष रूप से हो।
करीबी ढुल्लू महतो को टिकट मिला जो चुनाव जीत संसद पहुंचे
धनबाद लोकसभा सीट से बीजेपी लगातार पिछले चार चुनाव से जीत हासिल कर रही है। इस सीट के बारे में कहा जाता है कि धनबाद में नेता नहीं, बीजेपी जीतती है। धनबाद लोकसभा संसदीय क्षेत्र में नेता का व्यक्तिगत प्रभाव, सामाजिक समीकरण और जातीय समीकरण बहुत मायने नहीं रखता। इसलिए पी एन सिंह का टिकट कटा तो इनके करीबी ढुल्लू महतो को टिकट मिला और जो धनबाद से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीत कर संसद पहुंचे ।
उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के लोग बड़ी संख्या में
धनबाद संसदीय क्षेत्र में अनुसूचित जाति की तादाद 16 और अनुसूचित जनजाति की संख्या लगभग आठ प्रतिशत है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के लोगों की संख्या यहां अच्छी तादाद में हैं। धनबाद संसदीय क्षेत्र झारखंड के महत्वपूर्ण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है।
112 कोयला खदानों से घिरा – भारत की कोयला राजधानी के रूप से जाना जाता
यह क्षेत्र कोयले की खानों के लिये मशहूर है। इस कारण धनबाद को भारत की कोयला राजधानी के रूप से जाना जाता है। धनबाद शहर लगभग 112 कोयला खदानों से घिरा है। बाराकर नदी के तट पर बसा यह क्षेत्र प्राकृतिक रूप से बेहद सुंदर है। इस नदी पर बना मैथन बांध पर्यटकों की सबसे पसंदीदा जगह है। यहां हिंदू देवी मां कल्याणश्वरी का मंदिर भी है जहां बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं। यहां की तोपचांची झील एक दिलचस्प पर्यटन स्थल है। जंगलों और पारसनाथ की पहाड़ियों से घिरी यह झील अलौकिक वातावरण बनाती है। यहां पर दामोदर नदी में स्थित पंचेत बांध लोगों के लिए पर्यटन का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।