देश के सबसे रहीस नेताओं में से एक हैं नकुलनाथ
माना जाता है कि मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोक सभा सीट से संसद रहे नकुल नाथ 650 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं और देश के सबसे रहीस नेताओं में उनकी गिनती होती है, पर कहा यही जाता है कि वो अपने पिता कमलनाथ की वटवृक्ष की छाया से निकल नहीं पाए हैं। और उनके पिता कमलनाथ की छाया से बाहर आकर अब तक एक अलग राजनीतिक मुकाम नहीं बना पाएं हैं नुकुल को लेकर इस तरह के सवालों का उठना वाजिब ही लगता है है क्योंकि वह अपने परिवार की पारंपरिक संसदीय सीट छिंदवाड़ा को वह इस बार बचा नहीं पाए जबकि उनके पिता यानी कमलनाथ ने यह सीट लगातार नौ बार जीती है। चर्चाएं यहीं हैं कि नुकुल तय नहीं कर पा रहे कि को अपने राजनीतिक भविष्य मजबूत बनाने के लिए किस तरह की राजनीति करें। प्रादेशिक या फिर राष्ट्रीय। इसी असमंजस में उन्हें फिलहाल दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है। नकुल नाथ ने 2019 में छिंदवाड़ा से चुनावी शुरुआत की थी। अपने पिता कमलनाथ के नक्शेकदम पर चलते हुए उन्होंने BJP उम्मीदवार नाथन शाह को 37,000 से अधिक वोटों से हराया था। नकुलनाथ देश के सबसे रईस प्रत्याशियों में शामिल हैं। उनका जन्म 21 जून, 1974 को कोलकाता में हुआ था। देहरादून के दून स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने अमेरिका के बोस्टन में बे स्टेट कॉलेज से बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) की पढ़ाई की है।
कमलनाथ की महत्वाकांक्षा के चलते नकुल नहीं बढ़ पा रहे आगे
वैसे इसके पीछे काऱण खुद कमलनाथ की महत्वाकांक्षा का बरकरार रहना बताया जा रहा है। और इसके चलते नकुल पिता से अलग रास्ता नहीं पकड़ पा रहे। दूसरे शब्दों में कमलनाथ फिर से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने को लालायित हैं। अगर नुकुल राष्ट्रीय मुख्य धारा में आना चाहते हैं तो यहां भी पिता के बिना काम नहीं बन सकते है। इस धारा की शुरुआत के लिए उनको कांग्रेस संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा पद हासिल करना होगा और यह मंजिल कमलनाथ की मदद के बिना हासिल नहीं की जा सकती।
कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने की खबरें भी उड़ी थीं
नकुल नाथ और उनके पिता कमलनाथ अभी हाल ही में उस वक्त चर्चा में आए थे।लोग अटकलें लगा रहे थे जब उनकी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने की खबरें उड़ी थीं। कांग्रेस ने इन रिपोर्टों को खारिज कर दिया। कांग्रेस ने कमलनाथ के बारे में कहा कि इनका संबंध पार्टी से काफी गहरा है। भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1979 में उनके लिए प्रचार करते समय कमलनाथ को अपना ‘तीसरा बेटा’ कहा था। बाद में कमलनाथ और नकुल नाथ ने भी किसी भी तरह की अटकलों को खारिज कर दिया।
जनता ने नकुल को हराया – कमलनाथ की भावुक अपील का कोई असर नहीं हुआ
चुनाव प्रचार के दौरान कमलनाथ को भावुक हो कर यहां तक कहना पड़ा कि नुकुल को इसलिए नहीं जिताएं कि वह उनका बेटा बल्कि उनके द्वारा क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों को देखते हुए कांग्रेस प्रत्याशी नुकुल नाथ के पक्ष में मतदान करें लेकिन मतदाताओं का कमलनाथ इस भावुक अपील कोई असर नहीं पड़ा और उन्होंने भाजपा उम्मीदवार को एक लाख से अधिक वोटों से जितवा कर संसद भेज दिया।