कर्नाटक की तरह इस राज्य में पनपी बगावत कहीं चली ना जाए सत्ता  

लगता है एक और राज्य में कांग्रेस के सहयोग से बनी सरकार हिल रही है , जी हां इससे पहले  कांग्रेस की अंदरूनी कलह ने हरियाणा के चुनाव हरवा दिए, अभी कर्नाटक का क्राईसिस भी कांग्रेस आलाकमान का सिरदर्द बना हुआ है और अब छनते छनते खबर आ रही है कि झारखंड में कांग्रेस के अंदर इतना कलह बढ़ चुका है कि यदि समय रहते बात नहीं संभाली गई तो यहां भी कांग्रेस को सत्ता से बाहर होना पड़ेगा , जी हां पता चला है कि झारखंड के एक दर्जन से अधिक कांग्रेसियों ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षर करके यहां के जिलाध्यक्ष को बदलने का आग्रह किया है, यह पत्र  हुए राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखा गया है और हैरानी की बात है कि इसमें यह भी कह दिया गया कि यदि  उनकी बात नहीं मानी गई तो वे सभी  आत्महत्या तक कर सकते हैं, अब जाहिर सी बात है जो कांग्रेसी मरने पर उतर आए हैं उनकी पीड़ा कितनी होगी और सुनावाई ना होने के चलते  जान की बाजी लगाने की भी बात कर रहे हैं। इनका आरोप है कि  जिला अध्यक्ष को लेकर जो भी नियम बने थे उसे हजारीबाग  प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने  तोड़ दिया है, इन कांग्रेसियों का आरोप है कि भाजपा से आए एक नेता को सांसद का चुनाव भी लड़वा दिया और विधायक का भी। और यही नहीं इसके बाद बिना आवेदन किए इस नेता को  जिला अध्यक्ष भी बना दिया, जो नियमों के सीधे खिलाफ है। नेताओं ने साफ कह दिया कि  उन्हें ऐसा निर्णय कतई मंजूर नहीं होगा, वैसे पिछले कुछ समय से कांग्रेस और झारखंड़ मुक्ति मोर्चा के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा खासतौर पर बिहार चुनाव में जब झारखंड मोर्चा को एक भी सीट नहीं मिली तो कांग्रेस से उनकी नाराजगी सामने आई, और अब जो बगावत यहां पनपी है बड़ी बात नहीं इसका फायदा ताक लगाए बैठी बीजेपी उठा ले।

West Bengal —दीदी सिंहासन डोल रहा अपने ही देंगे धोखा

एक कहावत है कि बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से आएं , लगता है ये कहावत पशिचम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता दीदी पर  फिट बैठती दिख रही है जिस तरह से राज्य में वह लगातार वोट बैक की खातिर  मुस्लिम वोटर्स को खुश करने के लिए दूसरे समुदाय के धर्म , आस्था को दबाने का काम कर रही हैं, उनका यही रवैया अब उनपर ही भारी पड़ रहा है, अभी तक सुनने में ही आ रहा था कि बड़ी संख्या में मुस्लिम नेता बंगाल में ममता से अलग अपनी राह पकड रहे हैं और अब तो कमाल ही हो गया  उनके अपने ही एक  प्रिय अल्पसंख्यक विधायक ने ममता दीदी को  चुनौती दे डाली है , वह चौकाने वाली है, दरअसल तृणमूल कांग्रेस के विधायक हुमायूं कबीर ने हाल ही में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में  बाबरी मस्जिद बनाने का एलान किया था।  इसको लेकर टीएमसी में बड़ी हलचल हुई थी और देशभर में इसको लेकर टीएमसी की निंदा हो रही थी इसी के चलते  टीएमसी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए अपने विधायक हुमायु को सस्पेंड कर दिया है। पर इससे हुमांयु बुरी तरह से भड़क गए हैं और  अपनी एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा करके कह दिया कि वो बाबारी मस्जिद बनाकर ही दम लेंगे.  कबीर ने ममता पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य प्रशासन  मंदिर से जुड़ी गतिविधियां को बढ़ावा देता है  और  मस्जिद निर्माण को खतरा मान रहा है।  उन्होंने दुर्गा पूजा के गवर्नमेंट फंडिंग पर
भी सवाल उठाए और  ममता बनर्जी को rss का एजेंट तक  बता दिया।   यही नहीं इशारों इशारों में उन्होंने ममता को बता दिया कि बंगाल में डेमोग्राफिक बदलाव उनके  समर्थन में हैं। 2011 के बाद राज्य में मुसलमानों का रेश्यो काफी बढ़ी  है और आने वाले सालों में और बढ़ेगी। वैसे ये ममता के लिए खतरे की घंटी है संभल कर रहना चाहिए ममता दीदी को

Bihar —पहले हार का सदमा अब एक और झटका 

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बिहार में कांग्रेस और RJD की मुशिकलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं , अभी तक दोनों दल चुनाव में इतनी जबरदस्त हार के सदमे से नहीं उबरे हैं कि एक बड़ी चर्चा ने दोनों पार्टी के नेताओं की नीद उड़ा कर रख दी है कि दोनों दलों के कईं विधायक बीजेपी नेताओं के संपर्क में हैं और आने वाले समय में बीजेपी का दामन थाम भी सकते हैं। आपको बता दें कि पाला बदलने की इस चर्चा को उस समय और हवा मिल गई जब बिहार के कद्दावर नेता चिराग पासवान ने एक  बयान में कहा कि महागठबंधन के कई विधायक हमारे संपर्क में हैं। और इन चर्चाओं को आसानी से हजम किया जा सकता है क्योंकि बहुत से नेताओं को चुनाव के बाद पद और बड़े नाम के साथ जुड़ने की खव्वहिश तो रहती है, और अगर बीजेपी और JDU की सरकार में उन्हें कोई भी अचछा आफर मिलता है तो उनका पार्टी बदलना कोई बडी बात नहीं है, वैसे बड़ा संकट कांग्रेस पर लहरा रहा है, मात्र 6 सीटों पर विजय पाने वाली यह नेशनल पार्टी बिहार में अपना आस्त्तित्व लगभग खो चुकी है और ऐसे में उससे जुड़े विधायक भी अच्छे भविष्य की तलाश में टूट सकते हैं, दूसरा संकट ओवैसी साहिब को है पहले चुनाव में उनके पांच में से चार विधायक टूट कर RJD में चले गए थे और इस बार उन्हें इसी बात का डर है कि उनके इस बार जीत कर आए पांच विधायक फिर ना भाग जाएं, वहीं मायावती भी डरी बैठी हैं कि उनके इकलौते विधायक कहीं और ना चले जाएं और इन सब के बीच तेजस्वी तो परिवार और पार्टी टूटने के खतरे से जूझ ही रहे हैं।

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