योगी का भी विपक्ष को जबरदस्त तमाचा
कुंभ को लेकर के भारतीय जनता पार्टी और विपक्ष की बयानबाजी अपने चरम सीमा पर पहंची थी। कुंभ को लेकर के जिस तरह से ममता बैनर्जी ने उसे मृत्यु महाकुंभ कहा, लालू यादव ने बकवास , उसके अलावा समाजवादी पार्टी के नेताओं ने अनगिनत बयान दिए। कोई उस कुंभ के पानी को गंदा बता रहा था, कोई वहां लाशें तैरती हुई बता रहा था, कोई यह बता रहा है कि मल मूत्र के बीच स्नाना हो रहा है, इन सबके बीच विधानसभा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने भी कह दिया कि कुंभ में सूअरों को गंदगी, गिद्धों को लाश मिलेगी। मतलब उन्होंने यह कहकर विपक्ष के मुंह पर तमाचा मार दिया।
क्या कुंभ को लेकर गलत बयानबाजी हुई
कुल मिलाकर देखा यही गया कि ज्यादातर विपक्षी नेताओं ने कुंभ पर बयान देकर किनारा कर लिया। लेकिन अखिलेश यादव शायद यह अपनी नैतिक जिम्मेदारी मानते हैं कि हर बात पर योगी की काट करनी है और इसके पीछे का मकसद कुंभ की अव्यवस्था नहीं बल्कि कुँभ के सफल आयोजन पर अखिलेश को साल
2027 में यूपी में होने वाले चुनावों का डर नजर आने लगा है । हाल ही के उपचनावों में बीजेपी से मिली करारी हार और अब कुँभ की सफलता से अखिलेश ज्यादा घबरा गए हैं और शायद यही कारण है वो हर बात पर योगी को डाउन करने की कोशिश कर रहे हैं और इसमें कुंभ को लेकर गलत बयानबाजी भी है।
योगी को जवाब देना अखिलेश अपनी जिम्मेदारी मान बैठे हैं
देखा यही जा रहा है कि अखिलेश यादव ऐसा महसूस करते हैं कि अगर योगी आदित्यनाथ कोई बात कहते हैं चाहे वह विधानसभा में कहे विधानसभा के बाहर कहे, सार्वजनिक मंच से कहे किसी रैली में कहे तो उसका जवाब देना अखिलेश अपनी जिम्मेदारी मान बैठे हैं। अब योगी की सूअर वाले बयान पर चाहे किसी और ने रिएक्शन ना दिया हो पर अखिलेश ने कहा दिया कि यह जो महाकुंभ है यह एक धार्मिक और आध्यात्मिक पर्व है और इसको इसके लिए जो शब्दों का जो चयन है
उसमें थोड़ी सी इस पर्व के प्रतिष्ठा के अनुकूल होना चाहिए। महाकुंभ में कईं बार नहाने के बाद जिनका वैचारिक उद्धार नहीं हुआ है उनके पाप और पतन की
कोई सीमा नहीं नाप सकता। यह उन्होंने सीधे-सीधे योगी आदित्यनाथ पर आक्रमण करते हुए ये बात कही।
Arangements में सचमुच कमी होती तो इतनी बड़ी संख्या में लोग नहीं पहुंचते
लेकिन यहां अखिलेश यादव लगातार कुंभ की बीमारियों करते करते लगता है अपना वोट बैंक खुद ही गवा रहे हैं, लगता है या उन्हें जानकारी नहीं या जानना नहीं चाहते कि पूरे कुंभ में 68 करोड़ लोगों ने स्नान किया और अगर वय्वस्था में सचमुच कमी होती तो इतनी बड़ी संख्या में लोग वहां नहीं पहुंचते और यहां लगता है कि आम आदमी अखिलेश से ज्यादा समझदार है जिसको पता है कि इतने बड़े आयोजन में थोडी बहुत अव्यवस्था होना बहुत स्वाभाविक है। बीजेपी भी इसलिए कह रही है कि समाजवादी पार्टी को कुंभ से कोई लेना देना नहीं है वह इस पर अपनी राजनीति कर रहे हैं ।
समाजवादी पार्टी दो नाव की सैर कर रही है भारी पड़ेगा
पूरा माहौल देखने के बाद यह साफ दिख रहा है कि समाजवादी पार्टी दो नाव की सैर कर रही है, एक तरफ तो वह कुंभ की आलोचना करके मुस्लिम वोटर्स को खुश करना चाहते हैं दूसरी तरफ वो अपने जो हिंदू मतदाता है विशेष रूप से यादव जो और ओबीसी वोटर्स है उनको कुंभ में नहा करके या कुंभ स्नान करके उनको खुश करने की कोशिश तो यह एक दो नाव की सवारी करना थोड़ा सा
समाजवादी पार्टी के लिए मुश्किल हो रहा है ।
जनता को पता सारा मामला राजनीतिक है जान गए कि बयानबाजी क्यों
कुल मिलाकर के यह जो तमाम बयानबाजी है यह राजनीतिक ज्यादा नजर आ रही है इसमें एक दूसरे पर
राजनीति पॉलिटिकल स्कोर सेटल करने का मामला ज्यादा नजर आ रहा है लेकिन इससे आने वाले समय में इस समाजवादी पार्टी को नुकसान ज्यादा हो रहा क्योंकि जो भी कुंभ गया उसने व्यवस्थाओं की तारीफ की। आम जनता को भी लग रहा है कि सारा मामला राजनीतिक है और वो जान रहे हैं कि बयानबाजी क्यों हो रही है।