मुर्शिदाबाद हिंसा में सीधे तौर पर TMC जिम्मेदार

मुर्शिदाबाद हिंसा में जो एक तीन सदस्यय समिति गठित की गई थी हाई कोर्ट के द्वारा उसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और उस रिपोर्ट में सीधे तौर पर जो मुर्शिदाबाद में हिंसा हुई है जो वफ बिल के विरोध में जो प्रदर्शन थे उसका नाम देकर के जो वहां हिंसा हुई है उस हिंसा में सीधे तौर पर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को और उनके नेताओं को जिम्मेदार ठहराया गया है और ये कहना कि ये जो विरोध प्रदर्शन था ये स्वतः स्फूर्त या स्पॉनटेनियस था इस बात को नकारते हुए यह बोला गया है कि यह बाकायदा योजनाबद्ध तरीके से घटनाओं को अंजाम दिया गया है ,जो यह कहा जा रहा था विशेष रूप से तृणमूल कांग्रेस की तरफ से कि यह पूरा का पूरा जो मामला है बांग्लादेशी जो घुसपैठिए हैं उन्होंने आकर के यहां दंगा किया है और हमने उसको रोकने की कोशिश की है इस पूरी थ्यौरी को इस रिपोर्ट ने नकार दिया है कि ये बांग्लादेशी घुसपैठियों ने नहीं लोकल स्थानीय लोगों ने किया है जिसमें जिनको इंस्टिगेट किया है जिनको भड़काने का काम किया है एक भूतपूर्व काउंसिलर है महबूब आलम जिसने जो तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं जो वहां हैं उनको जो provoke किया और वो जाकर के हिंदुओं के घरों पर उनके परिवारों पर उनकी महिलाओं के साथ उन्होंने अभद्रता की और बलात्कार जैसी घटनाओं को अंजाम दिया।

 

TMC -MLA ने दौरा करके बचे हुए घरों को Identify किया

दूसरा यह कि पहले दिन की घटना के बाद ये जो अमीरुल इस्लाम एमएलए उन्होंने घटनास्थल का दौरा किया और ये देखा कि कौन-कौन से घर बच गए हैं उसके बाद फिर अगले दिन बचे हुए घरों को भी आग के हवाले कर दिया गया यह पूरे घटना में हरगोविंद दास और चंदन दास पिता पुत्र की हत्या कर दी गई थी घर से निकाल के और उनको मारने के बाद वहां पर जो दंगाई थे वो खड़े होकर के उनके मरने का मर जाने तक का इंतजार किए इतना कमांड में थे सिचुएशन अब एक और बात है जो तृणमूल कांग्रेस उनके प्रवक्ता उनकी सरकार ये कहती रही है कि ये बीएसएफ का कराया धरा है और बीएसएफ ने किया है बीएसएफ ने जो बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं उनको allow किया है , स्थानीय लोग जो इस दंगे से प्रभावित हैं उनका यह कहना है कि बीएसएफ के कारण वो सुरक्षित हैं जिस दिन बीएफ से बीएसएफ वहां से हटेगी फिर उनके साथ वैसा ही हस्र किया जाएगा फिर उनके साथ उनके खिलाफ हिंसा होगी ।

घर जल रहे थे Police बस तमाश देख रही थी

रिपोर्ट में यह कहा गया है कि जब दंगाई हिंदुओं के घर पर आक्रमण कर रहे थे तो पुलिस निष्क्रिय थी पुलिस गायब थी और जहां पुलिस थी भी वह दंगाइयों के खिलाफ कार्यवाई नहीं कर रही थी एक हिस्सा ये हो गया दूसरा हिस्सा यह हो गया कि अब पुलिस जितने भी शरणार्थी हैं जो लोग अपना घर छोड़कर के दूसरी जगह जाकर के रहे हैं पुलिस उन पर दबाव डाल रही है कि वो अपने घर में वापस जाए और हिंसा का शिकार होने के डर से वो नहीं जा रहे हैं वो सिर्फ वहां जाने से बच रहे हैं ये सारे लोग जो है वो केंद्रीय सुरक्षा बल या बीएसएफ के प्रोटेक्शन में ही वहां अभी रह रहे हैं ।

आग ना बुझे काट दी Water Line

दंगाइयों ने जब हिंदुओं के घर में आ हमला किया उसके पहले उन लोगों ने जो वहां पाइप लाइन थी वाटर पाइप लाइन थी उस वाटर पाइप लाइन को काट दिया सारा पानी बहा दिया जिससे आग लगने के बाद उन घरों को बुझाया ना जा सके जब तक वो पूरी तरह से जल के खाक ना हो जाए पानी की का जो कनेक्शन था वो काट दिया गया ये इस हद तक दंगाई वहां कार्यवाही कर रहे थे।

महिलाओं को निर्वस्त्र किया-बलात्कार और कपड़े जला दिए

इसके बाद इससे और बड़ी विभत्सता क्या थी महिलाओं पर उनकी अस्मिता पर हमला किया गया उनको निर्वस्त्र किया गया निर्वस्त्र करके उनके साथ बलात्कार हुआ और उसके बाद जो बचे खुचे मतलब जो ये सब घटना को अंजाम देने से पहले और बाद में जितने भी कपड़े थे महिलाओं के सब जला दिए गए जिससे वो निर्वस्त्र होने के कारण बाहर मदद मांगने ना जा पाए यह कितना योजनाबद्ध तरीके से किया गया है उसके अलावा जो ये लगातार कहा जा रहा है कि बाहरी लोग आकर के किए हैं और पुलिस वो कर रही है पुलिस इनकी मदद कर रही है पुलिस कैसी मदद कर रही है इस पर भी इस रिपोर्ट में खुलासा किया हुआ है ।

FIR ऐसे की सजा ना मिल सके

रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन 400 लोगों के खिलाफ एफआईआर एफआईआर दर्ज किया गया है वो एफआईआर जो है इतनी हल्की धाराओं में दर्ज किए गए हैं कि उनका कन्विक्शन संभव ही नहीं है उनको सजा मिलेगी ही नहीं और मिलेगी भी तो इतनी हल्की सजा मिलेगी कि उसका कोई मतलब नहीं है जबकि ये लोग लोगों की प्रॉपर्टी और घर जायदाद जलाने के लिए वो हैं इन लोगों ने लोगों के घर जलाए मॉल जलाए शॉप्स दुकानें जलाई लोगों के मतलब मंदिर जलाए ये ये सारी घटना को दंगाइयों ने अंजाम दिया और इसमें सरकार के तरफ से जो पुलिस का कार्यवाही होनी चाहिए थी वो नहीं हुई उसके अलावा जो पार्टी के लोगों का होना चाहिए पार्ट के लोग इसमें इनवॉल्व पाए गए ।

Mamta का जीत का मंत्र 70 नहीं 30 फीसदी अल्पसख्यंक

पर बावजूद इसके कि जो प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं उनको जाकर के जो पीड़ित लोग हैं उनसे जाकर के मिले ममता बनर्जी चली गई मुस्लिम जो मौलाना है उनके पास उनको वो करने की कोशिश अब यह बात लगातार जो है वह तृणमूल कांग्रेस की तरफ से होती रही है वह लोग यह कहते रहे हैं कि उनका वोट बैंक ही 30 से शुरू होता है तो उनके लिए 70 का कोई मायने नहीं है बंगाली सेंटीमेंट खेल कर के वो मोदी और अमित शाह के खिलाफ एंटी गुजरात सेंटीमेंट खेल करके वो चुनाव तो जीत जाएंगी लेकिन इस चुनाव जीतने के लिए जो वो वहां के हिंदुओं के साथ हो रहा है वो निश्चित तौर पर बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है पश्चिम बंगाल की पुलिस का हाल ये है कि जब शेख शाहजहां के को गिरफ्तार करने के लिए ईडी जाती है तो वहां के लोकल जो बांग्ला और बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं वो ईडी को मारपीट कर लहुलुहान कर देते हैं और ममता बनर्जी की पुलिस देखती रहती है और कुछ नहीं करती है वैसे ही जो मुर्शिदा के जो इलाके थे जहां पर अभी दंगे हुए हैं उन दंगों में पुलिस जो है वो मूकदर्शक बैठ के देखती रही पुलिस ने कुछ नहीं किया और हिंदुओं के खिलाफ हिंसा लगातार होती रही और अब भी जो तृणमूल कांग्रेस है वो इस मामले को हशप करने के है वो किसी तरह से उसको दबा देने की की फिराक में है इस मामले में बुरी तरह से झूठ बोल रही है कुछ भी अब ऐसा नहीं कर रही है जिससे जो पीड़ित परिवार है उनकी किसी भी दृष्टि से मदद हो पाएगी अभी भी वो हिंदुओं को ही नेगलेक्ट कर रही है ये निश्चित तौर पर पश्चिम बंगाल के लिए एक काला दिन जैसा स्थिति है ।

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