केजरीवाल आखिर ले ही लिया कांग्रेस से बदला
राजनीति में जैसे ही मतलब निकलता है नेताओं के सुर एकदम बदलने शुरू हो जाते हैं और आम आम आदमी पार्टी के मुख्यिा अरविंद केजरीवाल तो इस बात के लिए जाने जाते हैं कि मतलब के लिए वो किसी को भी किसी समय दोस्त भी बना सकते हैं और उनके खिलाफ भी जा सकते हैं , अब दिल्ली में जैसे ही अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ गठबंधन ना करने की घोषणा की है , बस तभी से केजरीवाल कांग्रेस पर लगातार हमला बोल रहे हैं। एक सभा में केजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस के शासन में तो दिल्लीवासियों को 8-10 घंटे तक की बिजली कटौती का सामना करना पड़ता था, लोग पूरी तरह से इन्वर्टर और जनरेटर पर निर्भर थे पर आप के आते ही यह स्थिति पूरी तरह से बदली है। जानकार मान रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल को समझ में आ गया है दिल्ली में कांगेस का साथ उनकी सीटे बढ़ाने की बजाय कम ही करेगा क्योंकि लोकसभा चुनाव में जब दोनों पार्टियों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था उनके हाथ एक भी सीट नहीं आई थी। केजरीवाल अब कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। चर्चा यह भी है कि हरियाणा में कांग्रेस ने जिस तरह से एन मौके पर आप को धोखा दिया कोई गठबंधन नहीं किया उससे भी केजरीवाल अंदर ही अंदर काफी नाराज थे और दिल्ली में वो कांग्रेस से इसी बात का बदला ले रहे हैं।
शिंदे की तीन शर्तें-चाणक्य के छूटे पसीने
महाराष्ट्र की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा इस बात का फैसला करने में बीजेपी के चाणक्य अमित शाह के भी भरी सर्दी में पसीने छूट रहे होंगे क्योंकि जिस तरह की खबरें सामने आ रही हैं उससे साफ लग रहा है कि अजीत पवार को तो एक बार शांत करवाया जा सकता है पर एकनाथ शिंदे की नहीं चली तो वो निश्चित तौर पर कुछ ना कुछ खेला कर सकते हैं। हाल ही में अमित शाह ने एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने साथ दिल्ली में बैठक की थी पर उसमें मुख्यमंत्री को लेकर कोई बात नहीं बनी। अब शिंदे ने अपनी तीन मांग चाणक्य के सामने रखी हैं उऩमें सबसे प्रमुख है कि अगर अगर उन्हें सीएम नहीं बनाया जाता है तो उन्हें गृह, वित्त और राजस्व विभाग दिए जाएं। उन्होंने कहा कि इसके बाद फडणवीस को मुख्यमंत्री बना दिया जाए। विभाग मिलने से राज्य में सत्ता का संतुलन बना रहेगा। शिंदे ने यह भी मांग रखी है कि उपमुख्यमंत्री पद का चुनाव भी वही करेंगे। दूसरा ये खबरें भी सामने आ रही हैं कि अगर ये तीनों विभाग शिवसेना को नहीं दिए गए तो उनकी पार्टी सरकार का हिस्सा नहीं होगी वह बाहर से समर्थन देगी और पार्टी के सात लोकसभा सांसद भी व्यापक हिंदुत्व के लिए नरेंद्र मोदी सरकार का बाहर से समर्थन करेंगे। पता चला है कि इसके बाद एकनाथ शिंदे अपने गांव चले गए हैं और शिंदे के करीबियों से पता चला है कि उनमें बीजेपी के रवैये को लेकर नाराजगी है। शिंदे चाहते थे कि इतने बड़े बहुमत के बाद सरकार तुरंत बन जाए पर अब इसमें देरी हो रही है जिसका कोई कारण नहीं है।
AAP दिल्ली में हो सकती जबरदस्त बगावत
दिल्ली विधानसभा चुनाव जैसे जैसे करीब आ रहे हैं आम आदमी पार्टी के अंदर बगावत होने की संभावना जोर पकड़ रही है। पता चला है कि दिल्ली की हर विधानसभा सीट पर AAP के कम से कम 6 नेता अपना दावा ठोंक रहे हैं। हाल य है कि कईंयों ने अपने नाम के पोस्टर और होर्डिंग तक लगवा डाले हैं। वैसे आप इस situation को बहुत ही चतुराई से डील करने की कोशिश कर रही है, वह अभी से किसी भी नेता -कार्यकर्ता की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहता है इसलिए पार्टी ने अभी तक किसी को भी तैयारी करने के लिए नहीं कहा है, साथ ही किसी को इनकार भी नहीं किया है। जानकार मान रहे हैं कि आप द्वारा चुनाव से तीन माह पहले 11 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित करने और कुछ विधायकों के नाम काटने से इस तरह का माहौल बन गया है। जिनके नाम काटे गए हैं और जिनके नाम कटने की संभावना व्यकत की जा रही है वे खुलकर बगावती माहौल बना रहे हैं। पता चला है कि तीन विधायकों के टिकट काटने के बाद उन सीटों पर वही विघायक दावेदारी ठोक रहे हैं बलिक बहुत से दावेदार खुल कर यहां चुनाव लड़ने के लिए सामने आ गए हैं।