कोरोना ने मचाई विश्वभर में तबाही
Worldwide corona फैल चुका है, इस समय विश्व के 195 से ज्यादा देश इस बीमारी से जूझ रहे हैं , हर किसी के दिमाग में वस एक ही बात है कब-कैसे कोरोना कट्रोल में आएगा। हिस्ट्री में शायद पहली बार ऐसा हुआ कि लगभग पूरा विश्व को एक वायरस ने अपनी चपेट में ले लिया हो। इससे पहले इबोला, सार्स, स्वाइन फ्लू, नील वायरस जैसे बडें खतरे भी आए लेकिन इतने तेजी से नहीं पहले जितनी तेजी से कोरोना फैल रहा है।
पूरा विशव खतरे में है और दिमाग में एक बड़ा सवाल खड़ा हो जाता है कि पूरे विश्व को खतरे में डालने वाला विलेन कौन है, चीन , जी हां खुल कर लोगों नें बड़े-बडे नेताओं ने चीन का नाम लेने शुरू कर दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड कहा कि इसे चीनी वायरस
अमेरिकी राष्ट्पति डोनल्ड ट्रंप ने तो बाकायदा इसे चीनी वायरस का नाम दे दिया है। लेकिन चीन का नाम ऐसे ही नहीं सामने आया है , बहुत से ऐसे संदेह है जिनको यदि कड़ी दर कड़ी जोडा जाए तो साफ लगने लगता है कि पूरे विश्प को तबाही के कगार पर खड़ा करने वाला कोई और नहीं चीन ही है। आज हम एक एक कडी पर चर्चा कर रहै हैं।
चलते हैं पिछले साल अक्टूबर नवंबर के महीने की ओर जब चीन के वूहान शहर में एक सहस्यीमयी बीमारी से लोगों के बीमार होने की बात सामने आई और नवंबर माह में बाकायदा इस बीमारी से लोगों की जाने जानी शुरू हो गई, लेकिन चीन ने इस बीमारी के बारे में किसी से बात नहीं कि और इसे साधारण फ्लू करार दे दिया।
इस कारण यहां पर बाकायदा आम लोगों के साथ तमाम इंटरनेशनल पर्यटकों की आवाजाही वूहान की वेट मार्केट में जारी रखी गई, कम हो लोग जानते होंगे की चीन के वूहाने शहर में एक विशाल लाइव एनीमल यानी वेट मार्केट है जहां हर तरह के जिदा जानवरों को इसी समय मारकर बेचा जाता है, पका कर लोगों को परोसा जाता है और विदेशियों में यहां आकर खाने का पूरा क्रेज है।
चीन के जिस डाक्टर ने इस रहस्यमयी बीमारी के बारे में चेताया, उसे गिरफ्तार कर लिया गया, बाद में उसकी मौत हो गई और लोग कह रहे हैं उसकी हत्या हुई है क्योंकि वो बहुत से राज जानता था।
वायरस तेजी से फैला
चीन में जब ये वायरस तेजी से फैला, लोग मरने लगे तब जाकर 7 जनवरी को चीन ने डब्लयूएचओ को इस कोरोना वायरस के बारे में बताया और बताया ये तेजी से फैल रहा है लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी चीन के लोगों से यह वायरस चीन के अंदर तो फैला ही लेकिन देश के बाहर भी चीन के लोगों से यह दूसरे देशों में पहुंचा क्योंकि उनपर समय पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई और इसी प्रकार यहां पर लगातार आने वाले पर्यटक इसे लेकर वापस अपने घर गए।
डाक्टरों का यही मानना है कि मार्केट में खुलेआम बिकने, काटे जाने वाले चमकादड़ों से ये वायरस आदमियों में पहुंचा है। यह भी पता चला है कि कारोना वायरस 96.2 फीयदी चमकगड़ों में पाए जाने वाले वायरस से मिलता-जुलता है,वूहान कोरोना वायरस का म्यूटेशन भी वैज्ञानिकों के लिए समझ पाना चुनौती है। माना जा रहा है वूहान की वेट मार्केट में बिकने वाले सांपों से ये फैला है जो जंगलों में संक्रामित चमगादड़ों का शिकार करते हैं।
लेकिन सांप चूंकि कोल्ड एनीमल है और मानव वार्म की श्रेणी में आता है , ऐसे में वायरस का कोल्ड से वार्म कंडीशन में पनपने के लिए म्यूटेशन कर लेना बहुत खतरनाक है। वैज्ञानिकों के अनुसार चमगादडों के अंदर कोरोना वायरस की कम से कम २०० प्रजातियां पल रही हैं, इनका अनोखा इम्यून सिस्टम इनको बीमार ना करके मानव को बीमारी कर रहे हैं।
चिंता की बात ये है कि चमगादड़ों का जीवन लगभग २०-४० साल तक होता है और दूसरे जानवरों के मुकाबले ये वायरस बहुत तेजी से फैलाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बकायदा वर्ष 2015 में कोरोना वायरस की नई-नई प्रजातियों से होने वाले खतरों से दुनिया को जागरूक करा था।
ये तो है पहला पहलू लेकिन केरोना फैलने का दूसरा पहलू भी है
बायलोजीक्ल हथियार बनाने की कोशिश
कुछ एजेंसियों ने यह भी कहा है कि वूहान की वेट मार्केट के पाय चीन की एक बायालोजिकल लैब जोरशौर से चल रही थी जहां पर बायलोजीक्ल वायपन यानी हथियार बनाने का काम चल रहा था और जैसे ही कोरोना वायरस फैला वैसे ही ये लैब रातो रात गायब हो गई और इसमें काम करने वाले साइंटिस्ट का किसी को पता नहीं है और ऐसे में यही कहा जा रहा है कि कोरोना एक बायलाजक्ल हथियार है जिसे चाइना ने तैयार किया है।
यहां पर बात करें उस वीडियो की जो आजकर बहुत चर्चा में है वर्ष २०१८ में ये वेब सीरिस साउथ कोरिया में बनाई थी जिसमें आने वाले समय में विशव भर में कोरोना के खतरे में बारे में बताया गया था सवाल ये है कि एक साल पहले ही इसके बारे में कैसे जानकारी मिली, कैसे इसपर पूरी फिल्म बन गई , क्या कुछ लोगो को चीन में तैयार होने वाले कोरोना बायलाजिकल के बारे में खबर लग गई थी
तो कोरोना वायरस फैलने की जो दो थयोरी सामने आ रही हैं वो दोनों ही आपके सामने है और इसमें से कोई भी थ्यारी को मान लिया जाए आखिरकार कोरोना फैलाने वाला विलेन तो चाइना ही है।
डबल्यू एचओ की भूमिका पर बड़े सवाल
अब बात करते हैं डब्लयू एच ओ की कोरोना फैलने के पूरे घटना क्रम में डबल्यू एचओ की भूमिका पर बड़े सवाल उठ रहे हैं, कह जा रहा है डबल्यू एच ओ के वर्तमान डीजी ने चीन के दबाव में इसे समय पर महामरी घोषित नहीं किया और देशों को नहीं चेताया उल्टे चाइना के साथ सुर मिलाकर इसे साधारण फ्लू बता दिया। यहां तक की चीन में इंटरनेशनल फालाइट लंबे समय तक जारी रखी गई इसे रोका नहीं गया
आपको याद दिला दे कि वर्ष २००२ में जब चाइना में सार्स फैला था तो डब्लूयू एचओओ के उस समय के डीजी ने बाकायदा इस बहुत सीरियस लिया, और यही कारण था कि वो ज्यादा फैल नहीं सका। २००२ में डबलयू एच ओ ने यह तक कह दिया था कि चीन में दुर्लभ जाति के जानवर खाने से वायरस म्यूटेशन होता है। लेकिन वर्तमान महानिदेशके के गैरजिम्मेदाराना रवेऐ की हर कोई निंदा कर रहा है
और अब बात करते हैं यूए और यूनाइटेड नेशनल सिक्यरीटी काइंसिल यहां पर भी चीन का दबाव इस कदर दिया कि कोरोना वायरस पर कोई भी चर्चा नहीं की गई, देशों को चेताया नहीं गया, आपको बता दें वर्ष २०१४ में जब इबोला फैला तो बाकायदी यनाइटेड नेशन्स सीकियरिटी कांउलिस में इसकी चर्चा की गई थी देशों को चेहताया गया और परिणाम आपके सामने थी इबोला जैसी खतरनाक बीमारी भी ज्यादा देशोंमेंमनहीं फैली।
तो यहां हमने कोरोना वायरस की दोनो थ्योरियों पर बात की जो शुरू होती हैं चीन से और खत्म होने का नाम नहीं ले रही
चीन के एक शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस
यह बात बहुत सच है कि कोई बीमारी किसी देश में फैलती है तो ना देश की सीमाओं से बंधती है ना देश की विशालकाय सेना उसे रोक पाती है। चीन के एक शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस इस समय चीन की सीमाओं को तोड़ कर विश्वभर के लिए बड़ा खतरा बन चुका है।इसमें कोई दो राय नहीं समय-समय पर फैलने वाली बीमारियां ना केवल लोगों की जानें लेती हैं बलिक देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर भी बुरा असर डालती हैं। साथ ही बहुत बार विश्वभर की अर्थव्यवस्था को भी गड़बड़ा देती हैं।
भारत में भी कोराना ने तबाही मचा दी है। जनसंख्या में चीन के बाद दूसरे नंबर पर खड़े हमारे देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों से एक बात है जो सब को परेशान कर रही है कि यदि मरीज इसी रफ्तार से बढ़ते हैं तो क्या हमारा मेडिकल तंत्र जिसमें सब कुछ शामिल है जैसे कि डाक्टर, लैब, अस्पताल, इंटनसिव केअर यूनिट और सबसे ज्यादा लोगों को इस बीमारी से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा जागरूक करने की पहल।
हालांकि सरकार ने अपनी तरफ से इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए तमाम पुख्ता इंतजाम का दावा किया है जैसे एयरपोर्ट पर स्कीनिंग, संदिग्ध मरीजों को अलग रखना, मरीजों के संपर्क में आए तमाम लोगों को टेस्ट। लेकिन कहीं ना कहीं तो चूक हुई है जिसके कारण बाहर देशों से आए कुछ लोग एयरपोर्ट बिना स्क्रीनिंग के निकल गए और वायरस को और लोगों में फैला दिया।
संदिग्घ मरीजों को लक्षणों के आधार पर आगे जांच
यहां दूसरा सवाल हमारे डाक्टरों पर है, महानगरों और बड़े शहरों में माना जा कि डाक्टर अपडेट हैं और संदिग्घ मरीजों को लक्षणों के आधार पर आगे जांच के लिए रेफर कर दें, लेकिन छोटी-छोटी जगहों, गांवों में डाकटर इतने अपडेट नहीं हैं साथ ही यहां अभी भी झोला छाप डाक्टरों का बोलबाला है यदि कोई मरीज इनके पास पहुंच जाता है तो ये अपने ही तरीके अपनाएं और मरीज खुद तो बीमार रहेगा , कई और को बीमार करने का कारण बन जाएगा, इस बात को मद्देनजर रखकर सरकार को बहुत ही ठोस गाइडलाइंस बनानी होंगी।
इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं है और इसका बिगड़ा रूप निमोनिया -यानी लंग्स पर हमला कर रहा है जो बहुत ही गंभीर है । इसके लिए इंटेंसिव केअर यूनिट का होना बहुत जरूरी है जो ना गांवों में हैं ना ही छोटे अस्पताल में, ये एक बड़ा सवाल भी सरकार के लिए है।
संदिग्ध मरीज लगातार बढ़ रहे हैं और उनकी सैंपल जांच के लिए आधुनिक बड़ी संख्या में लैब जरूरी है, जिसकी कमी भी देश में हैं।
बीमारी की रोकथाम के लिए हाइजीन बरतना बहुत जरूरी है
इस बीमारी की रोकथाम के लिए हाइजीन बरतना बहुत जरूरी है, इसके साथ कफ अटिकेटस , मतलब खांसते, छीकते समय ध्यान रखना बहुत जरूरी है जिसको जागरूकता के जरिए ही अपनाया जा सकता है, डब्लयूएचओ की गाइडलाइंस के अनुसार किसी भी बीमारी को फैलने से रोकने के लिेए दो आदमियों के बीच तीन फिट का फासला जरूर हो, लेकिन हमारे देश में जनसंख्या विस्फोट के चलते यह संभव नहीं है।
ऐसे में सरकार के साथ -साथ आम जनता को भी ना केवल भीड़ से बचने का प्रयास करना होगा वल्कि कहीं भीड़ ना हो इसका इंतजाम करना होगा।
वैसे आजकल हाल ये हो गया है कि वैज्ञानिक सालों -साल एक वायरस से निपटने के लिए दवाएं तैयार करते हैं और पता चलता है कि विश्व में दूसरे वायरस ने तबाही मचानी शुरू कर दी है।समय आ गया है जंगलों की कटाई रोकने, पर्यावरण सुरक्षा पर ध्यान देने का जिससे जानवरों और मानवों में उचित दूरी बनी रह सके। एक्सपर्ट कई देशों में धडल्ले से चल रही वेट मार्केट पर पूरी तरह से बैन की मांग भी कर रहे हैं, इसपर सुनवाई होनी ही चाहिएं।
मानव जाति के सर्वनाश के लिए नए-नए वायरसों की फौज तैयार होगी
वो दिन दूर नहीं होगा कि मानव जाति के सर्वनाश के लिए नए-नए वायरसों की फौज तैयार होगी, जिसे कोई सीमा बांध नहीं सकती, ना कोई देख सकता है, इलाज भी बहुत मुशिकल है क्योंकि वायरसों की ये चालाक फौज अपना स्वरूप बदलने में माहिर है। हमें नए-नए वायरस से होने वाली बीमारियों से डर लगता है क्योंकि अभी तक इनसे बचने के लिए कोई भी ठोस इलाज ईजाद नहीं हो पाया है और ये जान के लिए बड़ा खतरा बन जाती हैं।
जहां सार्स ने विश्वभर में ३२ देशों में लगभग आठ हजार लोगें को अपना शिकार बनाया और 800 से ज्यादा लोगों की जान का कारण बना, वहीं 2012 में मर्स बीमारी से मरने वालों की संख्या 850 के लगभग पहुंच गई थी। इससे पहले इबोला के कारण अफ्रीका के तीन देशों में 11,310 जाने गई, वायरस इन देशों से बाहर फैला तो 15 लोगों की और जान ली। वेस्ट नाइल फीवर से अकेले यूएस में ही अबतक दो हजार लोग मर चुके हैं।
निपाह वायरस ने सबसे पहले मलेशिया में तबाही मचाई और इसका शिकार लोगों में मरने की संभावना 50 से 75 फीसदी तक है। इसी प्रकार जीका वायरस ने ब्राजील में काफी बच्चों की जान ली और अभी तक काफी लोग इस लाइलाज बीमारी का शिकार हैं
चीन से फैले कोरोना वायरस का विश्व की अर्थवस्वस्था पर पड़ने वाले खतरों के बारे में एक्सपर्ट ने दुनियाभर को चेताना भी शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि कोरोना वायरस के कारण विश्वभर का जीडीपी 0.2-0.3 फीसदी तक घट सकता है। विश्व का कोई कोना शायद ही बचा हो जहां चीनी अपना सामान नहीं भेज रहे हों।
वलर्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन के 2001 के आंकड़ों के अनुसार उससमय 80 फीसदी से ज्यादा देश, चीन से ज्यादा अमेरिका के साथ व्यापार करते थे, लेकिन वर्ष 2018 के आंकड़ों के अनुसार लगभग ६६ फीसदी देश अमेरिका से ज्यादा चीन के साथ व्यापार कर रहे हैं। रेटिंग एजेंसी एस एंड पी ने इसवर्ष चीन की होने वाली इक्नोमी ग्रोथ के आंकलन को 5.7 से कम करके 5 फीसदी तक कर दिया है।
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