अभी हाल फिलहाल में जब तेजप्रताप और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के बीच वीडियो काल पर लंबी बातचीत हुई तो अखिलेश ने शायद सोचा नहीं होगा कि उनकी ये बातचीत इतनी जल्दी वायरल हो जाएगी और तेजप्रताप इसको लेकर सोशल मीडिया पर ये पोस्ट भी डाल देंगे कि लड़ाई में वो अकेले नहीं है, लगता है इसके बाद अखिलेश की लालू या तेजस्वी ने क्लास ले ली और शायद कहा होगा कि ये आपने क्या किया, तेजप्रताप से दोस्ती कर ली है क्या, राजनीती गलियारों में ये इसलिए चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि इस पोस्ट के वायरल होने के तुरंत बाद अखिलेश का एक और बयान सामने आ रहा है जिसमें वो कह रहे हैं कि बिहार में bjp हार रही है और समाजवादी पार्टी बिहार में तेजस्वी यादव की मदद करेगी और दोनों दल मिलकर भाजपा को हराएंगे। बस ये बयान सामने आने के बाद चर्चा यही चल रही है कि क्या लालू ने अखिलेश की अच्छी से क्लास ली है जो अखिलेश अब लालू-तेजस्वी के साथ खड़े होने की सफाई दे रहे हैं। यही नहीं अखिलेश ने बाकायदा वीडियो कॉल पर सफाई देते हुए कहा कि तेज प्रताप यादव का फोन आया था, जिसे उन्होंने रिडायल कर दिया और चुनावी हालात पर ही चर्चा हुई, इसके बाद वो इस विषय पर बोलने से बचते रहे। भई क्या लालू की डांट का असर है।
चोटी कटाना क्या अखिलेश पर सीधी चोट
यूपी में इटावा एक समय में समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता था और अखिलेश के होमटाउन में जब ना केवल एक यादव समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक बल्कि एक समय में अखिलेश से सम्मानित एक कथावाचक की सरेआम पिटाई हो जाए तो जाहिर है कि राजनीतिक विवाद तो गहराएगा ही, पता चला है कि अखिलेश ने इन कथावाचक को लखनऊ बुलाकर सम्मानित किया था और 21-21 हजार रुपये भी दिए थे। अब मामले में अखिलेश हैं तो , इटावा तो क्या यूपी की गलियारों में भी इस घटना की चर्चा हो रही है और अखिलश इसको लेकर खुलकर योगी सरकार को घेर रहे हैं। दरअसल हाल ही में यादव जाति के एक कथावाचक को ब्राह्मणों ने ना केवल पीटा बल्कि उसकी चोटी भी काट दी। लोगों का आरोप था कि कथावाचक आचार्य पंडित मुकुटमणि वहां उपस्थित महिलाओं को गलत तरीके से स्पर्श कर रहे थे और पूजा करने के तरीके भी गलत बता रहे थे, बस इसी बात पर गुस्साए लोगों ने उनकी पिटाई कर दी, अब ये लोग ब्रहाण थे तो महिलाओं से छेडखानी का मुद्दा तो दब गया पर जाती जातीय अस्मिता का झगड़ा बढ़ गया और आग में धी डालने अखिलेश भी इसमें कूद पड़े। वैसे पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया फिर भी यह मामला शांत नहीं हो रहा , कारण अखिलेश की राजनीती , जिस तरह से पिछले कुछ साल से अखिलेश पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक यानी पीडीए को लेकर अपनी राजनीति चमका रहे हैं और ऐसे में अब ये मुद्दा हाथ लगा है तो अखिलेश इसे पूरी तरह से भुना रहे हैं और कह रहे हैं कि जैसे-जैसे पीडीए समाज में चेतना बढ़ रही है, वैसे-वैसे उनपर अत्याचार भी बढ़ रहे हैं।