क्या बाहरी दिल्ली के 28 विधानसभा क्षेत्रों में AAP बुरी तरह से हार रही
क्या दिल्ली में 36 जाति के लोग AAP के खिलाफ वोट करने जा रहे हैं और क्या बाहरी दिल्ली में आने वाली 28 विधानसभा क्षेत्रों में आप बुरी तरह से हार रही है, और अगर आप हार रही है तो यह सीटं किसके खाते में जा रही हैं, जब से पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा ने केजरीवाल पर जाट विरोधी होने का हमला बोला है इस तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। आपको बता दें कि दिल्ली के चुनावों में जाट एंट्री कहां से आ गई, दरअसल हाल ही में अरविंद केजरीवाल ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर दिल्ली के जाट समाज के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया था, बस इसके बाद तो नई दिल्ली सीट के बीजेपी उम्मीदवार प्रवेश सिंह वर्मा बुरी तरह से भड़क गए उन्होंने केजरीवाल पर जमकर हमला बोला और पूरी पोल पट्टी खोल दी। प्रवेश ने कहा कि उन्होनें अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा और कद्दावर जाट नेता की समाधि बनाने के लिए केजरीवाल को कई पत्र लिखे पर केजरीवाल ने एक का भी जवाब नहीं दिया। प्रवेश रूके नहीं और कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए कोजरीवाल ने कभी गांव का दौरा नहीं किया और दिल्ली देहात के लिए एक भी काम नहीं किया। अब जब उनकी राजनीतिक जमीन खिसक रही है, तो उन्हें जाट याद आ रहे हैं। प्रवेश ने कहा कि देश की सेना में बडी संख्या में जाट हैं और केजरीवाल ने देश के सैनिकों की बहादुरी पर प्रश्न उठाया था। जो जाटों के साथ सेना में शामिल सभी जातियों का अपमान है। प्रवेश ने केजरीवाल को चुनैती देते हुए कहा कि इस बार उन्हें दिल्ली देहात में जाट के साथ गुर्जर, यादव राजपूत भी वोट नहीं करेंगे और अगर केजरीवाल दिल्ली देहात जाते हैं तो लोग उन्हें काले झंडे दिखाएंगे
दिल्ली में Congress के लिए आप विपक्ष है और बीजेपी पार्टनर क्या
लगता है केजरीवाल अभी भी इसी मुगालते में जी रहे हैं कि इंडी गठबंधन में सब ठीक ही चल रहा है. और बीजेपी को छोड़कर और कोई उनका विपक्ष नहीं है, शायद यही कारण है कि जब कांग्रेस के कद्दावर नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी कांग्रेस की विपक्षी पार्टी है तो केजरीवाल को बर्दाश ही नहीं हो पाया और वह बुरी तरह से भड़क गए। अब देखा जाए तो अशोक गहलोत ने ऐसा गलत क्या कह दिया, पिछले कुछ समय से आप और कांग्रेस के बीच जो तलवारें खिची हुई हैं वो जनता के सामने ही है। अब चाहे दिल्ली में कांग्रेस ने शुरू से ही आप से अलग चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया था और आप ने भी कांग्रेस का दामन झटकने में कोई देरी नहीं की, इससे पहले भी हरियाणा और पंजाब के चुनावों में कांग्रेस और आप ने दो विपक्ष की तरह चुनाव लड़ा था, फिर केजरीवाल को अपने को विपक्षी कहने की बात हज्म क्यों नहीं हो रही । वैसे जब से उन्हें कांग्रेस ने खुलेतौर पर दिल्ली में विपक्षी पार्टी घोषित कर दिया केजरीवाल काफी नाराज हैं और वो कांग्रेस को टारगेट करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे।उन्होंने अब यह तक आरोप लगा दिया कि आप को दिल्ली में हराने के लिए कांग्रेस और भाजपा ‘एकसाथ’ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जनता को साफ लग रहा है कि कांग्रेस के लिए “आप” विपक्ष है और बीजेपी पार्टनर है।
क्या दिल्ली में चुनाव कांग्रेस VS इंडी गठबंधन के बीच होने वाला
दिल्ली में आम आदमी पार्टी को समर्थन देने के लिए एक एक करके कईं बड़े दलों के नेता खुलकर सामने आ गए हैं और इससे केजरीवाल के हौंसले काफी बुलंद हैं और उनकी Body Language भी बदली बदली नजर आ रही है , पहले समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और और तृणमूल कांग्रेस की ममता दीदी ने खुलकर केजरीवाल के समर्थन का एलान कर दिया है।और दोनों ने ही Congress को उसकी दादागिरी के लिए Indirectly रूप से सुना भी दिया, और अब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी विपक्षी गठबंधन में पड़ती दरार पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि अगर इतना ज्यादा मतभेद है और यदि गठबंधन केवल संसदीय चुनाव के लिए था तो इसे समाप्त कर देना चाहिए। उन्होंने एक तरह से congress पर तंज कसते हुए कहा कि समय है कि कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों को यह तय करना चाहिए कि बीजेपी से कैसे मुकाबला करें पर यहां आपस में ही लडाई चल रही है। इससे पहले तेजस्वी यादव ने भी गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव तक था यह बात कहकर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया था और अब सुनने में आ रहा है कि महाराषट्र के कद्दावर नेता उद्वव ठाकरे भी केजरीवाल को सपोर्ट करने के लिए कोई बड़ा एलान करने वाले हैं, कुल मिलाकर राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा चल रही है कि क्या दिल्ली में इस बार चुनाव कांग्रेस VS इंडी गठबंधन के बीच होने वाला है।