क्या यूपी को चार भागों में बांटने की कवायद चल रही
अगर याद हो तो 2011 में मायावती सरकार ने यूपी को चार भागों में विभाजित करने के लिए केंद्र सरकार यानी कांग्रेस को एक proposal भेजा था , पर कांग्रेस ने उसे रिजेक्ट कर दिया, और अब योगी के सामने भी इसी तरह की बातें होने लगी तो योगी जी ने ऐसा कुछ कह दिया कि अब ऐसी बातों पर ब्रेक लग जाएगा कम से कम जब तक योगी जब तक सता में हैं , जी हां एक इंटरव्यू के दौरान योगी ने साफ कहा कि यूपी की ताकत ही इसकी जनसंख्या में है और यूपी के यूनाइटेड रहने में ही उसकी ताकत, पहचान और सम्मान है। यूपी अपने आप में यूपी है और यही उसकी पोटेंशियल है। उन्होनें कहा कि यूपी को चार भागों में कतई नहीं बांटा जा सकता है। आपको बता दें कि पिछले काफी समय से यह चर्चा चलती आ रही है कि क्या उत्तर प्रदेश के विकास के लिए उसे चार भागों में बांटा जा सकता है, पर योगी के इस स्टैंड से अब इन चर्चाओं पर विराम लग ही जाएगा, महाकुंभ के दौरान बोलते हुए योगी ने यह भी कहा कि मैं यही सोचता हूं कि उत्तर प्रदेश को यूनाइटेड रहकर ही अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहिए और हम कर भी रहे हैं , उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों पर अपने हितों के लिए जाति एवं धर्म के आधार पर इस देश को बांटने की , यूपी को बांटने की कोशिश कर रहे हैं पर हम ऐसा होने नहीं देंगे और महाकुंभ का आयोजन एकता और अखंडता का ही संदेश दे रहा है
क्यों बरसों तक याद रहेगा दिल्ली का चुनाव
दिल्ली विधानसभा का चुनाव अगर कहा जाए कि free bies यानी मुफ्त की सुविधा देने की घोषणाओं के लिए बरसों तक जाना जाएगा तो कुछ गलत नहीं होगा क्योंकि दिल्ली की गद्दी पाने के लिए जिस तरह से तीनों दल , आप कांग्रेस और बीजेपी म मुफ्त सुविघा का वादा करने की होड़ मची हुई है उससे आम जनता को भी लग रहा है कि तीनों दलों का मंसूबा , लक्ष्य विकास की डगर से हटकर पूरी तरह से फ्री और बस फ्री योजनाओं के इर्द गिर्द घूम रहा है। हैरान परेशान करने वाली बात यही है कि फ्री योजनाओं के चक्कर में दिल्ली के मुख्य मद्दे जैसै सुरक्षा, गंदगी, महंगाई, गली में बह रहे सीवर समेत कई और बुनियादी मुद्दे सभी पार्टियों की घोषणाओं, उनके भाषणों , उनके वादों से गायब दिख रहे हैं। वैसे समझदार वोटर्स को लग भी रहा है कि ज्यादातर वादे चुनाव के बाद फर्जी ही साबित होंगे क्योंकि उनको पूरा करने के लिए बजट कहां से आएगा, सब देख चुके हैं कि फ्री के चक्कर में कर्नाटक और हिमाचल जैसे समुद्द राज्य कैसे दिवालिया होने के कगार पर खड़े हैं और जनता यह भी जानती है कि फ्री के चक्कर में ही दिल्ली का विकास ही रूका पड़ा है। वैसे यह चुनाव दिल्ली के लोगों की परीक्षा भी है कि वह दिल्ली का विकास देखना चाहते हैं या फिर थोड़े समय के लिए कुछ चीजों का मजा लेकर खुश होना चाहते हैं।