क्या वकैया राहुल गांधी ने वक्फ संशोधन बिल को लेकर अपना होमवर्क नहीं किया था या फिर उनके लिए संसद में बोलने के लिए स्क्रपिट समय पर तैयार नहीं की गई थी, इस तरह की चर्चाएं तो चलनी ही हैं क्योंकि राहुल गांधी जो संसद में बोलने के लिए इतने आतुर , उतसाहित रहते हैं पर वक्फ संशोधन बिल पर उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकला। अब जाहिर सी बात है कि बीजेपी को तो मौका मिल गया राहुल को इस पर पूरी तरह से घेरने का और जैसे ही राहुल गांधी अहमदाबाद में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में वक्फ पर बोले पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद तुरंत इस पक़ड लिया और करारा व्यंगय करते हुए कहा कि जब संसद में चर्चा हुई तो राहुल गांधी वक्फ पर क्यों नहीं बोले क्योंकि उन्हें खुद नहीं पता होता कि किस मुद्दे पर क्या बोलना है। अहमदाबाद में पर्ची पकड़ाई गई तो बोल दिया। मतलब राहुल गांधी को वक्फ पर बोलने के लिए अहमदाबाद का इंतजार करना पड़ा। यही नहीं राहुल ने वहां वक्फ संशोधन कानून को असंवैधानिक बताया तो रविशंकर ने कहा कि राहुल बताएं कि अभी तक वक्फ की संपत्ति पर गरीब मुसलमानों और बेटियों के लिए कोई स्कूल, अस्पताल, अनाथालय या स्किल सेंटर नहीं बना है राहुल इसे सही मानते हैं या गलत? वैसे राहुल की यह बात तो आम जनता को भी आश्चर्य में डालती है कि जब लोकसभा में वक्फ पर 12-13 घंटे बहस चली तो नेता प्रतिपक्ष होने के नाते राहुल क्यों नहीं बोले क्या सचमुच पर्ची तैयार नहीं हुई थी क्या
बिहार में बीजेपी को मिल सकता करारा झटका
बिहार से जिस तरह की खबरें आ रहीं है लग रहा है कि आने। वाले दिन बीजेपी के लिए कठिन हो सकते हैं, जी हां बिहार में jdu के बाद बीजेपी के सबसे अहम राजनीतिक पाटनर और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बीजेपी ने बीजेपी को आंखे दिखानी शुरू कर दी हैं, और पिछले समय से चिराग जिस तरह की बातें कर रहे हैं और बयान दे रहे हैं साफ लग रहा है कि उन्होंने अपने आप को बीजेपी की हिन्दुत्व की राजनीति से अलग करना शुरू कर दिया है। और चर्चा चल निकली है कि ऐसा करके चिराग अपने आप को लालू यादव और नीतीश कुमार की कैटेगरी में रखने की कोशिश में जु़ट गए हैं , चुनाव सिर पर हैं और माना जा रहा है कि चिराग हर तबके के वोटर्स को लुभाने के लिए सेक्युलर नेता की छवि बनाना चाहते हैं और ऐसा करने में वो लगातार बीजेपी को साइड लाइन कर रहे हैं। वैसे आपको बता दें कि बिहार की राजनीति ऐसी है जिसमें देखा जाए तो सेकूलर ईमेज के नेता ही यहां के बादशाह बनते हैं जैसे पहले लालू यादव और उसके बाद नीतीश कुमार दोनों की ही ईमेज सेक्लूर नेता की रही है। और बड़ी चर्चा है कि चिराग बिहार में लालू-नीतीश की विरासत को हथियाने के लिए अपने राजनीतिक पाटनर बीजेपी की भी परवाह नहीं कर रहे। चिराग पासवान अपने भाषणों में लगातार कह रहे हैं कि उनकी पार्टी धर्म और राजनीति को अलग रखना चाहती है। चिराग का यह भी कहना है कि जब हम राजनीति और धर्म को अलग कर देंगे तो देश की एक बड़ी समस्या अपने आप खत्म हो जाएगी।