चलने -फिरने में परेशानी है कहीं सार्कोपेनिया बीमारी से पीडित तो नहीं
सार्कोपेनिया मांसपेशियों की बीमारी है जो आमतौर पर अधेड़ उम्र में होती है जिसके वजह से ना केवल बुढ़ापे में आदमी का चलना फिरना दूभर हो जाता है बल्कि वो अपने काम करने में भी अपने आप को अक्षम पाता है, लेकिन आयुर्वेद में इससे बचाव के बहुत सारे उपाय हैं
पूरे साल नहीं तो कम से कम सर्दी के तीन चार महीने पूरे शरीर की मालिश करें
सबसे पहली बात कि मसल्स कमजोर क्यों होती हैं मसल्स में जो ब्लड सप्लाई है, आर्टरी है, वेनस है उसके अलावा मैसेज भेजने के लिए ब्रेन को जो नर्व है उनमें कमजोरी आती चली जाती है तो आयुर्वेद में जो एक अवधारणा बताई गई है कि हम नियमित रूप से शरीर की मालिश करें तो अगर हम पूरे साल नहीं तो कम से कम सर्दी के तीन चार महीने पूरे शरीर की मालिश करते हैं तो उससे हमारे शरीर में खून का बहाव बना रहता है खून का बहाव तेज हो जाता है उसके चलते ना मसल्स में वीकनेस आ पाती है और ब्लड सर्कुलेशन बहुत ही अच्छा बना रहता है
Ayurved के Medicated तेल बहुत फायदेमंद मालिश के
आयुर्वेद में अलग अलग तरह के मेडिकेटेड तेल बताए गए हैं जो मालिश के लिए बहुत बेहतर रहते हैं, जैसे कि महामाश तेल है, महानारायण तेल है ,विष गर्भ तेल है चंदन वाला, लाक्षादि तेल है यह मालिश के लिए बहुत ही अच्छे बताए गए हैं इनसे ना केवल मांसपेशियों को पोषण मिलता है बल्कि खून का बहाव बढ़ता है और उसके चलते हमारी जो सार्कोपेनिया के जो केसे बढ़ते जा रह हैं उनमें संभावना काफी कम हो जाती है
Ayurved -में सही खान-पान पर जोर शरीर की अगिन को Balance रखती
खानपान और दिनचर्या पर भी ध्यान देना है इसके लिए हमें संतुलित भोजन लेना है सर्दी के मौसम में ठंडी चीजों का परहेज करना है हमें अल्कोहल का प्रयोग बंद कर देना है स्मोकिंग नहीं करनी है , हमें मिलेट्स का प्रयोग बढ़ाना है जंक फूड फास्ट फूड प्रोसेस फूड डिवन फूड इनका प्रयोग बिल्कुल नहीं करना है, इन सब से होगा क्या कि हमारा जो सिस्टम है हमारी जो धातुएं हैं वह यथावत चलती रहेगी हमारी अग्नि मंद नहीं होगी हमारी धातुएं अपने पूरे क्रिया रूप में कार्य करती रहेगी और हमारा शरीर लंबे समय तक स्वस्थ रहेगा क्योंकि आयुर्वेद में जो सात धातु बताई गई है रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि मज्जा, शुक्र और यह भी साथ में बताया गया कि पहली धातु को जब अच्छा परिपोषण मिलता है तब अगली धातु बनती है यानी अगर हम अच्छ खाएंगे तो रस धातु अच्छी बनेगी उससे रक्त धातु अच्छी बनेगी जब ब्लड सर्कुलेशन अच्छा रहेगा ब्लड की क्वांटिटी और क्वालिटी अच्छी रहेगी तो उससे जो है अगली धातु मांस अच्छी बनेगी यानी मसल्स तो आयुर्वेद में बताया गया है धातुओं का परिपोषण उस
पर हमें ध्यान देना है।
एक्ससाइज नहीं करेंगे तो Muscles में आती जबरदस्त कमजोरी
संतुलित भोजन के अलावा हमें अपने आहार विहार पर भी ध्यान देना है , सबसे पहली बात और जो इंपॉर्टेंट बात है वो यह है कि हम अपनी शारीरिक गतिविधियों को कभी भी कम ना होने दे इस उम्र में आकर प्रौढ अवस्था में अगर हम रोज सिर्फ चलने का ही अपना अभ्यास जारी रखें उससे भी हम अपने शरीर का इस बीमारी से बचाव कर सकते हैं और इसके चलते हमारे शरीर में जो मसल्स की वीकनेस है वो कभी नहीं आएगी। कभी कोई आपके परिवार में या कोई जानकार अगर बीमार पड़े हैं बिस्तर पर लंबे समय तक रहे हैं किसी वजह से सर्जरी या किसी और वजह से तो उनको भी बताया जाता है कि बिस्तर पर लेटे लेटे वो कुछ फिजिकल एक्टिविटी कुछ एक्सरसाइज करते रहे उसके बाद जो है आपको बताया गया होता फिजियोथेरेपी भी करते हैं वो सब इसलिए करवाया जाता है कि आपकी मसल्स वीक ना हो क्योंकि जब हम अपनी मसल्स का प्रयोग नहीं करेंगे तो मसल्स में वीकनेस आती चली जाएगी तो आप जब लेटे हुए हैं तब भी आपको बताया जाता है तो फिर जब आप शारीरिक रूप से बेशक कमजोर हो लेकिन अगर आप बिस्तर पर नहीं है तो आपको नियमित रूप से वॉकिंग जरूर करनी है फिजिकल एक्टिविटी जरूर करनी है योगा करना है मेडिटेशन करना है , अगर थोड़ा बहुत दर्द है तो आप मालिश करें और अपनी एक्टिविटी के लिए घर से निकल पड़े अपने आसपास पार्क हो उसमें जाए या अपने घर के आगे टहले लेकिन आपको अंतिम समय तक टहलना बंद नहीं करना है जब तक आपकी फिजिकल एक्टिविटी जारी रहेगी आपको सार्कोपेनिया छू भी नहीं पाएगा क्योंकि अगर हम हमारे पैरों में कमजोरी आ जाती है और हम चल फिर नहीं पाते और समझ लीजिए जिंदगी थम जाती है। हमारी पूरी हेल्थ पर पड़ता पूरे स्वास्थ्य पर पड़ता है तो इंपॉर्टेंट यह है कि हम अपनी शारीरिक गतिविधि में कभी भी कमी ना आने दे, आयुर्वेद की सिद्धांतों का पालन करें।
पोटली मसाज बहुत फायदेमंद
इसके अलावा आयुर्वेद में जो मुख्य चिकित्सा बताई गई है वो भी इलाज के लिए है , वह है हमारा स्नेहन जो पंच कर्मा की एक थेरेपी है उसके अंतर्गत हम मेडिकेटेड ऑयल से जो है मसाज करते हैं और पोटली मसाज जैसे कि आजकल का नाम प्रचलित है पोटली में हम निर्गुंडी के पत्ते लेते हैं आग के पत्ते लेते हैं और भी कई तरह के पत्ते लेते हैं अजवाइन ले सकते हैं जिनसे के उनका असर भी उस जब हम गर्म तेल में पोटली को डुबा हैं उसके साथ मिले और वो हमारी मसल्स को मजबूत करें हमारी मसल्स को एक्टिवेट करें हमारी मसल्स में कोई भी कमी ना आने दे , आयुर्वेद के सिद्धांतों को समझे उनका पालन करें उनका अनुसरण करें और स्वस्थ रहे।