क्या Congress सचमुच डूबता जहाज बन गई है
कहते हैं ना डूबते जहाज का हर कोई धीरे- धीरे साथ छोड़ना शुरू कर देता है और आजकल कांग्रेस जैसी अनुभवी, पुरानी पार्टी के लिए राजनीतिक विशेषज्ञों ने यही बोलना शुरू कर दिया है। इसके पीछे कारण भी है जिस तरह से पार्टी का छोटा तो क्या बड़ा नेता भी पार्टी छोडकर भाग रहा है उससे कांग्रेस की हालत दिनोदिन खराब होती जा रही है। अब उत्तराखंड निकाय चुनाव से पहले ही कांग्रेस को बड़ा झटका मिल गया, उसके दो दिग्गज नेताओं ने पार्टी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर , इनमें नगर कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष कैलाश मिश्रा का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है, उनके पार्टी को अलविदा कहने से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है क्योंकि मिश्रा मीडिया प्रभारी भी रह चुके हैं और उनका हर जगह अच्छा दबदबा है। मिश्रा ने यह भी कह दिया कि कांग्रेस में कार्यकर्ता घुटन महसूस कर रहे हैं और नैनीताल में पालिकाध्यक्ष पद पर भाजपा प्रत्याशी जीवंती भट्ट को जीताने के लिए हर कोई जी जान लगा देगा। पिछले कुछ सालों में कांग्रेस सोे बहुत से आम और खास नेता जा चुके हैं, इनमें कपिल सिब्बल, ज्योतिराजेसिधियां, जितिन प्रसाद, मिलिंद खाणडेकर, आर पी एन सिंह ,गुलाम नबी आजाद जैसे कद्दावर नेता तो शामिल ही हैं पर इसके साथ-साथ छोटे-छोटे नेता और कार्यकर्ता भी कांग्रेस में लीडरशिप का अभाव बताते हुए पार्टी छोड़ चुके हैं और बहुत से छोड़ने के कगार पर हैं, पर कांग्रेस है कि उसे होश ही नहीं आ रहा और वो राहुल बाबा का दामन छोड़ने को तैयार नहीं चाहे वो पार्टी के लिए कितना भी demage कर रह हैं।
UP की राजनीती में क्यों आया भूचाल

यूपी की राजनीती में इस समय जबरदस्त भूचाल आया हुआ है जब से पता चला है कि 1978 में संभल में हुए दंगे के 16 में से आठ मुकदमें जो अलग अलग अदालतों में चल रहे थे उन्हें तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार ने वापस ले लिया था। आपको बता दें कि 1993 को डीएम मुरादाबाद को मुलायम सरकार की और से लिखा पत्र सामने आने के बाद ही यूपी में जबरदस्त हलचल है। क्योंकि योगी सरकार इस बात की घोषणा कर चुकी है कि संभल के दंगों की दोबारा जांच होगी और सबसे ज्यादा समाजवादी पार्टी इसके खिलाफ बोल रही है पऱ इस पत्र के सामने आने से योगी सरकार खुलकर विपक्ष पर हमला कर रही है। इस पत्र में में वापस लेने वाले मुकदमों की पूरी जानकारी दी गई है। जबकि उस समय दर्ज हुए और . मुकदमे पैरवी के अभाव व गवाहों के मुकरने जाने के कारण यूंही खत्म हो गए थे और किसी को न्याय नहीं मिल पाया था।कम लोग ही यह जानते होंगे कि संभल में 29 मार्च, 1978 को जबरदस्त हिंसा भड़की थी और दंगों के दौरान कई हिंदुओं को जिंदा जला दिया गया था। इसके बाद यहां रहने वाले बहुत से हिंदू परिवारों को संभल से भागना पड़ा था और अब हाल ही में एक बार फिर यहां खग्गू सराय में शिव मंदिर मिलने के बाद दंगा फिर सुर्खियों में आ गया है। माना जा रहा है यह मंदिर 1978 में हिंदू परिवारों के पलायन करने के बाद बंद ही कर दिया गया था। 47 वर्ष बाद भी संभल का दंगा बहुत से पीडितों के दिमाग में ताजा है। और वह सभी इन दंगों की दोबारा जांच के एलान से खुश है

