चर्चाएं चल निकली है कि क्या मोदी की ओर से जातीय जनगणना करवाने के फैसले पर अपनी मोहर लगाने से आगामी लोकसभा चुनाव में उनका 400 पार का सपना हकीकत में बदल सकता है। या फिर यह फैसला राहुल गांधी या कांग्रेस को नईं संजीवनी दे सकेगा। वैसे इतिहस पर नजर डालें तो कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों ही इसके खिलाफ रही हैं , जी हां , जब अगस्त 1990 को विश्वनात प्रताप सिंह की सरकार ने अचानक मंडल आयोग की सिफारिश लागू करके सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्गों को 27 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान कर दिया था तो कांग्रेस ने उस समय मंडल आयोग का खुलकर सड़क से लेकर संसद तक विरोध किया था। पर पिछले लगभग दो साल से जब से राहुल गांधी ने कांग्रेस के पुराने स्टैंड से उल्ट चलकर जातीय जनगणना के मुद्दे को हवा दी तो कई पुराने दिग्गज कांग्रेस इससे नाराज हुए, असहज हुए पर चाह कर भी कुछ नहीं कर सके। दूसरी तरफ बीजेपी का स्टैंड भी इसको लेकर शुरू से ढुलमुल रहा, फिर खुलकर विरोध पर उतर आई।लेकिन समय के साथ और राजनीती की मांग के चलते कांग्रेस की तरह बीजेपी ने भी अपना स्टैंड बदल लिया , अब सवाल चर्चा यही चल रही है कि मोदी सराकर की ओर से जातीय जनगणना कराने के फैसले से फायदा किसको मिलने वाला है मोदी को या राहुल गांधी को। यह सिर्फ और सिर्फ जनता पर निर्भर करता है और जनता बहुत समझदार हो चुकी है उसे पता है कि कौन उसके हित के लिए यह सब कर रहा है कौन सिर्फ राजनीती के लिए।
अपने ही खींच रहे BJP की टांग
बंगाल में बीजेपी अपनी पूरी ताकत लगा रही है कि किसी तरह उसका वोट बैक बढ़े और यहां सरकार बनाने से भी ज्यादा लगता है कि बीजेपी को अपना वोट बैंक और सीट बढ़ाने की होड़ सी लगी हुई है, इसके पीछे कारण भी है कि यहां सीटों के मामले में बीजेपी उपर चढ़कर फिर से बुरी तरह से फिसल गई थी और इससे ना केवल मोदी की लोकप्रियता पर असर पड़ा बलिक बंगाल बीजेपी नेता भी कटघरे में खड़ी हो गई । लेकिन लगता है कि बंगाल में आगे बढ़ती बीजेपी की उसके अपने ही नेता टांग खींच रहे हैं। अब हाल ही में भाजपा के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष ने वो करा जिससे बीजेपी नेता को बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही होगी। दरअसल बंगाल सरकार के आमंत्रण पर घोष अपनी पत्नी के साथ जगन्नाथ मंदिर के लोकार्पण समारोह में शामिल हुए और वहां ममता बनर्जी से भी मुलाकात की। यहां तक तो ठीक था पर दिलीप घोष ने बीजेपी नेताओं के बारे में बहुत ही शर्मनाक बयान दे डाला और कहा कि उनके नेतृत्व में ही पार्टी का बंगाल में विकास हुआ था और वर्तमान में ‘दलाल’ इसे फिर से पतन की ओर ले जा रहे हैं।बस इसी के बात अटकले लगाई जा रही है कि घोष बाबू ममता का दामन थाम रहे हैं और बीजेपी को ठेंगा दिखाने की तैयारी है।