Bihar – चुनाव आयोग को नहीं पता बिहार का इतिहास -भूगोल JDU सांसद की बगावत
बिहार में मतदाता सूची संशोधन को लेकर बीजेपी तो क्या नीतीश कुमार की मुशिकलें भी काफी बढ़ गई हैं एक तरफ बीजेपी यानी एनडीए के साथी चंद्रबाबू नायडू ने इसके खिलाफ बयान दिए हैं , वहीं बिहार में विपक्ष के इसके विरोध मे घमासान के बीच jdu यानी नीतीश के ही एक सांसद ने इसके खिलाफ बगावत कर दी और चुनाव आयोग पर जमकर बरस गए, जी हां जेडीयू सांसद गिरधारी यादव ने चुनाव आयोग पर तंज कसते हुए कहा कि आयोग को बिहार के इतिहास और भूगोल का ज्ञान नहीं है और इतने कम समय में इस काम को करना पूरी तरह से impractical है।साथ ही गुस्से में बैठे गिरधारी यादव ने यह तक कह डाला कि मेरा बेटा अमेरिका में रहता है वो एक महीने में दस्तखत कैसे कर देगा? मुझे ही सारे दस्तावेज इकट्ठा करने में 10 दिन लग गए। ये हम पर जबरदस्ती थोपा गया है। इसके लिए कम से कम 6 महीने का समय दिया जाना चाहिए था। गिरधारी यादव यह भी कहते हैं कि अगर मैं सच नहीं बोल सकता, तो सांसद क्यों बना हूं, पर गिरधारी यादव समझदार भी हैं और साथ साथ यह भी कह डाला कि मैं अपनी निजी राय दे रहा हूं। पार्टी क्या कह रही है, दूसरी तरफ तेजस्वी पूरी कोशिश में लगे हैं कि किसी तरह नितीश के इस फैसले को बदल दिया जाए, तेजस्वी ने कहा कि विधानसभा स्पीकर से बात अपील करके हम वोटर लिस्ट पुनरीक्षण (SIR) पर चर्चा कराना चाहते हैं। जिस तरह से चुनाव आयोग बता रहा है कि इलेक्शन 55 लाख लोगों को अनुपस्थित पाए गए उसको लेकर हम चिंतित हैं।
विपक्ष के ये दो नेता जगदीप घनखड़ के क्या सच्चे दोस्त्
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से एक बात तो साफ हुई की विपक्षी दलों के कईं नेताओं के साथ उनके ठीक संबंध रहे हैं जहां पब्लिक में यह सामने नहीं आ पाए हों, जी हां राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने बयान में धनखड़ के साथ सहानुभूति ही व्यक्त की और उन्हें एक अच्छा वय्कित बताया और यह तक कह दिया कि इस्तीफे की वजह health नहीं हो सकती , दोनों ही नेताओं ने इसके लिए bjp को कटघरे में ख़ड़ा कर दिया है, जहां एक तरफ ममता दीदी कह रही हैं कि उपराष्ट्रपति एक स्वस्थ व्यक्ति हैं और उनके इस्तीफे के पीछे ममता ने कुछ और वजह होने की आशंका भी जताई , वहीं दूसरी तरफ चूंकि धनखड़ का ताल्लुक राजस्थान से है,और ऐसे में वहां के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी उनके इस्तीफे को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। गहलोत ने कहा कि आज़ादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी उपराष्ट्रपति ने इस्तीफा दिया हो। गहलोत ने कहा यह भी कहा कि कुछ दिन पहले ही मैने कहा था कि संसद के दोनों सदनों के प्रमुख दबाव में काम कर रहे हैं कहीं यह इस्तीफा कहीं उसी दबाव का नतीजा तो नहीं. आपको बता दें कि कि यह जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला दोनों ही राजस्थान से हैं और ऐसे में अशोक गहलोत के साथ उनके संबंध अच्छे माने जाते हैं। वैसे अशोक गहलोत ने इशारों में यह भी कह दिया कि कहीं किसानों का साथ देना धनखड़ जी को भारी तो नहीं पड़ा क्योकि वो किसानों के हितैषी रहे हैं और संसद में किसानों की आवाज हमेशा बुलंद की है।