जहां कभी थी diamonds की खान- वहीं जगह अब पड़ी सुनसान

एक गांव जो सिर्फ 40 सालों के लिए ना केवल बसा बल्कि एक खास कारण से दुनियाभर में famous भी हो गया पर 40 साल के बाद यह शहर पूरी तरह से वीरान हो गया है और हाल ये है कि अब ये शहर भूतिया शहर के रूप में ही जाना जाता है। हम बात कर रहे हैं नामीबियाई रेगिस्तान के बीच में बने एक ‘भूतिया’ शहर कोलमन्सकोप की , आपको बता दें कि यह जगह कभी हीरों से भरी हुआ करती थी लेकिन बक्त के साथ साथ हीरे तो चले गए अब रह गए हैं रेत में दबे जर्जर घर।

 रेगिस्तान में बनाया गया जर्मन सिटी जैसा गांव

माना जाता है कोलमन्सकोप की स्थापना 1900 के शुरू में हुई थी, 1908 में रेलवे वर्कर जकारियास लेवाला को पटरियों से रेत हटाते समय चमकदार रत्न मिले जो उसने अपने अपने जर्मन बॉस ऑगस्ट स्टॉच को दिखाए, . जांच में उस रत्न के हीरा होने की पुष्टि हुई.बस फिर क्या था इस खबर को सुनने के बाद नामीबिया में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. कुछ ही सालों में यहां सैकड़ों जर्मनवासी आकर बस गए. उन्होंने ही यहां अपने आधुनिक घर बनाए, और कोलमन्सकोप – जल्द ही रेगिस्तान में फंसे एक जर्मन सिटी जैसा दिखने लगा. चिलचिलाती गर्मी से निपटने के लिए एक बर्फ फैक्ट्री के साथ एक अस्पताल, बॉलरूम, पॉवर स्टेशन, स्कूल, थिएटर और टाउन हॉल सभी बनाए गए थे. इस टाउन को साउथर्न हेमिस्फीयर में पहला एक्स-रे स्टेशन और अफ्रीका का पहला ट्राम मिला. 1920 के दशक तक, 300 जर्मन लोग, 40 बच्चे और 800 ओवाम्बो वर्कर्स कोलमन्सकोप में रहते थे

दुनिया के कुल हीरा उत्पादन के 11.7 फीसदी हीरे यहां से निकलते

फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के बाद, जब हीरों की कीमत में गिरावट आई, तो यहां से लोग अपने घर मकान छोड़-छोड़ कर जाने लगे.अपने समय में यह गांव हर साल 10 लाख कैरेट हीरे का प्रोड्यूस कर रहा था, जो दुनिया के कुल हीरा उत्पादन का 11.7 फीसदी था , लेकिन धीरे धीरे हीरे निकलते गए और साल 1956 में वो समय आ गया कि यहां के तमाम हीरे खत्म हो गए, और लोगों ने यहां आना और बसना तक छोड़ दिया जिससे ये आधुनिक गांव पूरी तरह से खंडहरों में बदल गया।

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