यह बात हमेशा ही राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बनी रहती है कि राहुल गांधी जहां भी जाते हैं, जहां भी बोलते हैं पार्टी के नेताओं को डर सताने लगता है कि कहीं राहुल कुछ ऐसा ना बोल दें जो कांग्रेस पर ही उल्टा पडे और आम जनता को जवाब देना मुशिकल हो जाए,  अब गुजरात में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में वही हो गया जिसका कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को डर था। यहां पर राहुल गांधी ने बड़े जोर शोर से यहां   जातीय जनगणना का राग फिर छेड़ दिया और गुजरात में जातीय जनगणना करवाने का वादा कर डाला।  गुजरात में कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि पहले भी कांग्रेस यह गलती कर चुकी है और उसका खामियाजा आजतक भुगतना पड़ रहा है। नेताओं का कहना है कि 1985 के बाद कांग्रेस ने गुजरात में  सरकार नहीं बनाई और राहुल की जाती को लेकर रणनीती 37 साल बाद भी कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने का ground तैयार कर रही है। दरअसल आपको बता दें कि जातीय जनगणना के पीछे राहुल दलित, आदिवासी, ओबीसी  और मुस्लिम मतदाताओं को लुभाना चाहते  हैं पर लेकिन 1985 के चुनाव में  कांग्रेस ने यही रणनीती अपनाई थी और उसका जबर्दस्त लाभ भी मिला। पर इस रणनीती गुजरात की राजनीति में सबसे प्रभावी वोटर्स पाटीदार कांग्रेस से दूर हो गए, और हाल ये है कि वो दिन और आज का दिन है कांग्रेस यहां एक एक सीट पाने के लिए संघर्ष ही कर रही है और  कांग्रेस के कई नेता दबे स्वर में कह भी रहे हैं  कि जाति  कार्ड से पार्टी का भविष्य  खत्म ही है।

 BJP  में Ego की लडाई —Congress खेमे में खुशी

अभी तक काग्रेस नेताओं में ही आपस में तनातनी, ईगो के मामले सुर्खियां बनते रहे हैं और बीजेपी ऐसे मामलों को नमक मिर्च लगाकर जनता के सामने लाती है पर अह लगता है कि कांग्रेस नेताओं की बारी आ गई है बीजेपी पर तंज कसने की, जी हां मध्यप्रदेश मे जो हुआ उससे कांग्र्सियों को मौका मिल गया है बीजेपी की टांग खिंचने का। आपको बता दें कि  ग्वालियर में महीनों से तैयार पड़ा विवेकानंद नीडम रेलवे ओवरब्रिज का उद्घाटन ही नहीं हो पा रहा था यह ब्रिज  यहां के दो कद्दावर नेताओं  केंद्रीय मंत्री सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष तोमर के बीच राजनीतिक खींचातानी का जरिया बन गया था। हाल यह हुआ की यहां की जनता ने   सरकार को अल्टीमेटम दे दिया कि  अगर एक दिन में ब्रिज का उद्घाटन नहीं हुआ तो किसी वरिष्ठ नागरिक से उद्घाटन करवा लिया जाएगा, बावजूद इसके यह दो नेता ठस से मस नहीं हुए हां, सरकार जरूर हरकत में आई और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वर्चुअल ही इस ओवरब्रिज का लोकार्पण कर दिया। वैसे मन मोस  कर केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को भी इससे जुड़ना पड़ा और चर्चा चल निकली कि एक इलाके में एक ही राजा होता है और अगर दो आ जएं तो बने बनाए काम बिगड़ने शुरू हो जाते हैं।

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