तेजस्वी यादव क्यों इतना परेशान हैं

बिहार में तेजस्वी यादव आजकर कुछ परेशान चल रहे हैं कारण है तमाम चुनाव प्रचार- दावों के बाबजूद इंडिया ब्लॉक के चारों उम्मीदवारों विधानसभा की चारों सीट हार गए। उपचुनाव में आरजेडी अपनी दो सीटें नहीं बचा सकी। चूंकि बिहार में इंडिया गठबंधन के सर्वेसर्वा कांग्रेस ना होकर तेजस्वी की पार्टी है , ऐसे में सभी नेता चारों सीटों पर हार का कारण आगे पीछे तेजस्वी यादव की ही हार बता रहे हैं और दूसरी तरफ हार के कारण पार्टी के अंदर ही तेजस्वी पर आरजेडी का जातीय समीकरण बदलने का दबाव बढ़ रहा है। मतलब कास्ट कंबिनेशन बदलने की मांग जोर पकड़ रही है और तेजस्वी को अखिलेश यादव की राह पर चलने की सलाह मिल रही है मतलब ,सवर्णों से भरोसा उठ जाना।

आपको बता दें कि लालू प्रसाद यादव ने पहले एम-वाई समीकरण बनाया था। उसे बढ़ा कर तेजस्वी ने ‘बीएएपी’ की बुनियाद रखी। अब समाजवादी पार्टी के पीडीए जैसा समीकरण बनाने की मांग जोर पकड़ रही है। तेजस्वी यादव पर इस बात का दबाव बन रहा है कि अब वे तालमेल की राजनीति से परहेज करें। आने वाले समय में यदि तेजस्वी यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को अपना राजनीती गुरू मानकर उनकी तरह पीडीए यानी (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) का कोई नया समीकरण बना लें और उंची जाती का बायकाट करें तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए । राजनीती है यहां सब हो सकता है

झारखंड़ सारें कांग्रेस विधायक
दिल्ली पहुंचे क्या मामला ?

कहते हैं ना कि राजनीति में बस हर कोई सीट पाने कोई ना कोई पद पाने के लिए दौड़ भाग कर रहा है, झारखंड में उसका ताजा उदहारण देखने को मिल रहा है कल तक जो कांग्रेस अपने सहयोगी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही थी और दावा कर रही थी कि उन्हें किसी पद का लालच नहीं बलिक चाहते हैं कि यहां बीजेपी की सरकार ना बने। लेकिन जीत मिलते ही यह दावे पद पाने की दौड़ में तुरंत ऐसे बदले की पूछिए मत. पता चला है कि झारखंड की नई सरकार में मंत्री पद पाने के लिए कांग्रेस विधायकों में होड़ सी मच गई है और जीते गए एक दो विधायक नहीं काफी सारे विधायक चाहते हैं कि वो मंत्री बन जाएं और यही कारण है कि पार्टी के दर्जनभर विधायक किसी ना किसी तरह अपनी बात रखने के लिए दिल्ली आला कमान के पास तक पहुंच गए। वैसे विधायक दिल्ली आना मात्र एक औपचारिक मुलाकात बता रहे हैं पर अंदर की बात यही है कि सभी चाहते हैं कि बस किसी तरह झारखंड़ की किसी कुर्सी पर बैठ जाएं। नई दिल्ली पहुंचने वाले प नेताओं में मंत्री रह चुकीं दीपिका पांडेय सिंह, डॉ. इरफान अंसारी ,ममता देवी, कुमार जयमंगल सिंह, राजेश कच्छप, भूषण बाड़ा, नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। सभी के मंत्री पद पाने के अपने-अपने दावे और तर्क हैं। अब देखना यही है कि कांग्रेस झारखंड में सरकार बनने से पहले इस मुसीबत से कैसे पार पाती है।

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