BY DR R P PRASHER
दही में गुणों का भंड़ार पर कुछ लोगों के लिए गुणी नहीं
पता रहे कब, कितनी मात्रा में खानी चाहिएं-प्रोटीन मिनरल्स का भंडार
दही में काफी गुण हैं लेकिन यह पता होना चाहिए कि कब, कितनी मात्रा में खानी चाहिएं। किन किन रोगों में फायदेमंद है और किन-किन लोगों को दही नहीं खानी
चाहिए । आयुर्वेद दही के बारे में बहुत कुछ कहता है। दही में प्रोटीन विटामिन ए, बी, सी विटामिन बी 12 विटामिन डी के बहुत सारे मिनरल्स होते हैं, जिसमें
आयरन पोटेशियम,मैग्नीशियम , सेलेनियम खास है । इस तरह से दही अपने आप में कंप्लीट पैकेज है पोषण का यानी न्यूट्रिशन का।
दही हमारे पाचन को बढ़ाती है
आयुर्वेद में है कि जिसका पाचन अच्छा होगा उसको कम खाया हुआ भी अच्छा असर दिखाएगा। दही हमारे पाचन को बढ़ाती है , क्योंकि इसमें लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया होता है और वह आंतो के लिए गुड बैक्टीरिया के रूप में काम करता है। वह खाने को पचाने में सहायता करता है । तो दही का प्रयोग हम नियमित रूप से करें तो हमारा पेट ठीक रहेगा हमारा पाचन तंत्र ठीक रहेगा हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम बिल्कुल इंप्रूव रहेगा और हम अच्छी एक अपने हाजमे की स्थिति को अपने हाथों में बना पाएंगे।
दही त्वचा को टाइट रखती- बालों की जड़ों को मजबूत करती-इम्युनिटी को बढ़ाती
दही त्वचा के लिए और बालों के लिए बहुत अच्छी होती है दही त्वचा को यह टाइट रखती है बालों की जड़ों को मजबूत करती है बालों को घना बनाती है । दही इम्युनिटी को बढ़ाती है और दही में वो सारे गुण है जो कि एक बच्चे को भी चाहिए और एक बुजुर्ग को भी चाहिए तो हम नियमित रूप से दही का सेवन करें तो हमारा हाजमा ठीक रहेगा हमारा लिवर भी ठीक रहेगा शुगर यानी डायबिटीज में भी यह फायदा करेगी और हमें बहुत सारे रोगों से हमारा बचाव भी करेगी ।
हाजमा कमजोर और गठिया की शिकायत दही नहीं लें
दही क्यों और किन लोगों को नहीं खानी चाहिए असल में दही पचने में भारी होती है तो जिन लोगों का हाजमा कमजोर हो जिनकी अग्नि मंद हो उनका दही का सेवन उनको नहीं करना चाहिए या कम मात्रा में करना चाहिए इसी तरह जिन लोगों को गठिया की शिकायत है उनको दही का प्रयोग नहीं करना चाहिए हालांकि कैल्शियम और विटामिन डी अच्छी मात्रा में इसम मौजूद है तो दही हड्डियों को मजबूत करती है ओस्टियोपोरोसिस से भी बचाती है लेकिन जिन लोगों को वात रोग हो और गठिया और इस तरह की प्रॉब्लम हो जिनको उनको दही का सेवन नहीं करना चाहिए खासकर जिनका कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ हो, ट्राइग्लिसराइड बढ़ा हुआ हो उनको भी दही का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
दही का सेवन कब करें -किनको नहीं करना चाहिए
दही को हम दोपहर से पहले पहले खाएं तो ही अच्छा
है रात के समय दही को खाने के लिए आयुर्वेद मना किया गया है क्योंकि दही में भी भारीपन होता है कफ गुण होता है और रात को कफ का प्रकोप बढ़ जाता है तो इसलिए रात को दही खाने को मना किया जाता है अब जि लोगों में कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है ट्राइग्लिसराइड बढ़ा हुआ है तो वो ना केवल हमारी आर्टरी में ब्लॉकेज पैदा करेगी दही ऐसे केस में बल्कि वो लीवर को भी फैटी बनाएगी
और जिन लोगों को डायबिटीज की शिकायत है उनमें भी प्रॉब्लम करेगी तो इसका उपाय क्या कि दही के सारे
गुण भी मिल जाए और हम दही ना भी खाए ।
दही ना खाएं पर छाछ का सेवन कर सकते हैं
छाछ दही को बिलो कर हम छाछ बनाते हैं कई लोग पूछते दही में बराबर का पानी मिलाकर ले लिया जाए तो क्या वह छाछ बन जाएगी या लस्सी बन जाएगी और वह भी उतनी खतरनाक है ऐसे रोगियों के लिए जितनी की
दही खासकर जिन लोगों का वेट बढ़ा हुआ है जो लोग मोटे हैं उनको दही बिल्कुल भी नहीं खानी चाहिए चीनी मिलाकर क्योंकि उससे वेट बढ़ेगा तो ऐसे लोगों के लिए छाछ बेहतर उपाय है और छाछ कैसे बनाते हैं दही में डेढ़ गुना दो गुना तीन गुना तक पानी मिलाकर उसको बलाए और जब मक्खन उसमें से निकल जाए वो छाछ कहलाएगी, ना कि पानी मिक्स करके बनाना जो लोग कहते हैं।
छाछ हल्की होती है यह खाने को पचाती है , एसिडिटी को खत्म करती है और खासकर जो वात रोग है उनमें भी यह फायदा ही करेगी और जिनका पेट की समस्याए है, गैस बनती है पेट फूल जाता है भारीपन होता है अपचन होता है, तो उसमें छाछ बहुत अच्छा काम करती है ,उसमें भी अगर हम उसमें हींग काली मिर्च काला नमक भुना हुआ जीरा डालकर खाए तो यह पाचन तंत्र के लिए भी और बाकी शरीर के अंगों के लिए भी बहुत ही अच्छी रहेगी बहुत
लाभदायक रहेगी । अभी पीछे एक सज्जन आए उनको बाईपास सर्जरी हुई थी और जब उन्होंने दोबारा अपना ब्लड की जांच कराई तो कोलेस्ट्रोल फिर काफी बड़ी ई मात्रा में पाए गए तो उन्होंने पूछा कि सर इसमें क्या गड़बड़ी हुई है और इसका क्या हाल है तब हमने उनको समझाया कि दही से डेफिनेटली कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ता है ट्रागस बढ़ता है आर्टरी में ब्लॉकेज की संभावना बढ़ जाती है तो खासकर बुजुर्ग लोगों को दही नहीं खाना है।