नीतीश कुमार की खामोशी भारी पड़ सकती है

चर्चाओं का बाजार गर्म है कि वक्फ संशोधन बिल की लड़ाई में जो संसद से बिहार की सड़कों पर उतर आई है, क्या इस इस लडाई में मुख्यमंत्री अपने विरोधियों से पिछड़ रहे हैं। लग यही रहा है कि बिहार में चुनावों को देखते हुए मुस्लिम वोटबैंक वाली राजनीती में rjd बाजी मारता दिख रहा है और नीतीश कुमार की पार्टी इस मुद्दे पर अपना कोई stand नहीं बना पा रही है। मुस्लिम वोटबैंक के हिमायती तो नीतीश कुमार भी हैं। मगर, उनके पास सीएम की कुर्सी भी तो बीजेपी के बदौलत ही है। लिहाजा, वो साफ-साफ इस मामले पर कुछ नहीं बोल रहे। चूकिं बिहार में चुनाव होने वाले हैं इसलिए भी तमाम मुस्लिम संगठन अपनी शक्ति दिखाने के लिए रोजाना यहां कोई ना कोई धरना -प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें पता है कि इसी के जरिए वो तमाम पार्टियों को अपने हक में कर सकते हैं और हो भी यही रहा है मुस्लिम वोटर्स को खुश करने के लिए बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और अब्दुल बारी सिद्दिकी जैसे rjd के कई बड़े नेता इन धरनों में शामिल हो रहे हैं। यहीं नहीं सबसे अहम बात ये है कि इस लड़ाई अब लालू के बाद प्रशांत किशोर ने भी छलांग लगा ली है और वो भी कोशिश में लग गए हैं कि Waqf Amendment Bill Protest के जरिए वो बिहार में कुछेक सीटें लेने में कामयाब हो जाएं।

इफ्तार पार्टी -खोल कर रख दी सबकी पोल -कौन कर रहा किसका विरोध

बिहार में आजकल लगता है हरेक दल के बीच इफ्तार पार्टी आयोजित करने की जैसे होड़ सी मची हुई है ,हर कोई इसी बहाने मुसिलम वोट साधना चाह रहा है पर इस पार्टी के आयोजन से और एक बात साफ हो रही है कि अपने को साथ साथ कहने और बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव साथ लड़ने का दावा करने वाले विभिन्न अंदर ही अंदर कैसे एक-दूसरे के खिलाफ ही राजनीती कर रहे हैं, सबसे पहले बात करें कांग्रेंस की तो अभी तक यही कहा जा रहा है कि वो इस बार भी rjd के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी पर अंदर से खबरें आ रही हैं कि दोनों दलों के बीच ही छतीस का आंकड़ा चल रहा है। शायद यही कारण रहा कि जब लालू यादव ने बड़े जोर शोर से इफ्तार पार्टी काट का आयोजन किया तो कांगेस के दो सितारे उससे दूर ही रहे जी हां यहां हम बात कर रहे हैं रहे हैं लालू यादव से दूर होते जा रहे ‘कृष्ण-कन्हैया’ की। इसके अलावा भी कांग्रेस के कईं बड़े नेता भी इफ्तार पार्टी से दूर रहे। माना यही जा रहा है कि rjd और congress में सीटों के बंटवारे के कारण लगातार बढ़ती कटुता के कारण कांगेंस के तमाम दिग्गज नेताओं ने लालू इफ्तार पार्टी का बहिष्कार किया। बिहार में कृष्ण कनेहैया की जोड़ी ने 70 सीटों पर लड़ने का लक्षय तय कर लिया जो rjd को रास नहीं आ रही और दोनों दलों के बीच लगातार तल्खियां बढ़ रही है और इफ्तार के आयोजन से यह बात पूरी तरह खुलकर जनता के सामने आ गई।

 

Congress भी नाराज और मुकेश साहनी भी लालू यादव से नाराज

 

वहीं दूसरी तरफ कल तक तेजस्वी से करीबी जता रहे मुकेश सहनी भी इस पार्टी से गायब थे और उन्होने भी अपनी नाराजगी जगजाहिर कर दी।दरअसल, मुकेश सहनी ने बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर तेजस्वी यादव के सामने अपनी कईं मांगे रखी हैं , यहां तक की उन्होंने महागठबंधन के साथ अपनी पार्टी की ओर से 60 उम्मीदवार उतारने की भी घोषणा कर दी, यही लग रहा है कि तेजस्वी की तरफ से मुकेश सहनी को कोई सटीक जवाब नहीं मिला और अपना दबाव बनाने के लिए वो इफ्तार पार्टी से गायब रहे।

इफ्तार के बहाने में जो दूर थे, वो पास आ गए और जो पास थे, वो दूर हो गए

 

पर दूसरी तरफ लग रहा है कि इफ्तार पार्टी nda नेताओं के दिल जोड़ने में कामयाब रही। इस खेमें में इफ्तार पार्टी के लेकर खुशी का माहौल था , एक समय था जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चिराग पासवान एक दूसरे को देखना पसंद नहीं करते थे पर इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार न केवल चिराग पासवान के इफ्तार में गए बल्कि काफी समय बिताया और बातचीत भी की। अगर कहें कि बिहार में इफ्तार पार्टी ने कईं दलों की अंदरूनी कहानी बयां कर दी और इफ्तार के बहाने में जो दूर थे, वो पास आ गए और जो पास थे, वो दूर हो गए। तो कुछ गलत नहीं होगा ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Get more stuff like this

in your inbox

Subscribe to our mailing list and get interesting stuff and updates to your email inbox.

we respect your privacy and take protecting it seriously