अक्टूबर- नवंबर में बिहार में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं ,  इस बार बिहार का चुनाव थोड़ा सा सामान्य चुनाव से अलग हटकर होने वाला है इसलिए कि बहुत सारे प्लेयर इस बार मैदान में नजर आ रहे हैं कितना प्रभाव है कितना नहीं प्रभाव है, पर एनडीए के घटक बीजेपी के  बड़े नेता अमित शाह ने यह कही  कि मुख्यमंत्री का जो फैसला है अभी उस पर कोई फैसला नहीं हुआ है,  यह कह अमित शाह यानी चाणक्य ने  थोड़ी सी सनसनी फैला दी है और थोड़ी सी एनडीए में मुश्किल वाली स्थिति ला दी है ।एनडीए में इस बार भाजपा के साथ , जनता दल यू है,  रामविलास लोक जनशक्ति पार्टी, यानी चिराग पासवान और जीतनराम मांझी की पार्टी  हम है। 

BJP के नेता लंबे समय से CM पद की दावेदारी के लिए Vocal हैं

लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए भारतीय जनता पार्टी में अंदर-अंदर लंबे समय से सुगबुगाहट चलती आ रही है और बावजूद इसके कि कई चुनाव से बीजेपी जनता दल यू से बेहतर परफॉर्मेंस करती रही है लेकिन उसको आप जो है जातिगत समीकरण का वो कह लीजिए नीतीश कुमार की अपनी एक इमेज कह लीजिए या गठबंधन का धर्म कह लीजिए कि नीतीश कुमार को ही लगातार मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है और जब भी  एनडीए की सरकार बनती है , इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी है के नेताओं में विशेष रूप से बिहार के नेताओं में बहुत नाराजगी इसलिए नहीं कहा जा सकता है कि  बिहार के किसी नेता में इस तरह की इतनी हैसियत नहीं है कि केंद्रीय नेतृत्व पर नाराज हों  । लेकिन अंदर-अंदर इस तरह की बातें चर्चा जरूर होती रही है कि भारतीय जनता पार्टी का विकास ग्रोथ एक सीमा से आगे सिर्फ इसलिए नहीं बढ़ पा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी जो है वह हमेशा बेहतर बेहतर परफॉर्मेंस करती है भारतीय जनता पार्टी को वोट अच्छा मिलता है भारतीय जनता पार्टी पर जनता भरोसा करती है पर  ग्रोथ नहीं हो पा रही है, अब बिहार में ग्रोथ को बढ़ाने के लिए बल्कि अपने लीडरशिप डेवलप करने के लिए भारतीय जनता पार्टी के अंदर भी और अब दिल्ली में भी इस तरह की चर्चा होने लगी है कि बिहार में भाजपा का मुख्यमंत्री होना चाहिए,  हालांकि जनता दल यू के एक नेता खालिद अनवर ने कहा अमित शाह के बयान पर कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद के लिए मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किया है लेकिन यह बात पुरानी है ।

Maharashtra की तरह बिहार में भी BJP  बदलाव लाएगी क्या 

अब इसमें एक महत्वपूर्ण बात है जिसको समझ लेना चाहिए जो अक्सर हो रहा है महाराष्ट्र में हुआ था बहुत टफ बारगेनिंग हुई थी महाराष्ट्र में भी ऐसी स्थिति थी जहां पर बीजेपी सिंगल बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी उभरी थी और पिछले टर्म में श्री एकनाथ शिंद को मुख्यमंत्री बनाया गया था और उप मुख्यमंत्री बनाया गया था भाजपा के देवेंद्र फडनवीस ने जो उसके पिछले टर्म में मुख्यमंत्री रह चुके थे इस तरह की इक्वेशंस बनते रहे हैं लेकिन इस बार बिहार को लेकर के ना केवल प्रदेश के नेता बल्कि केंद्र  के नेता भी बहुत सक्रियता के साथ ये लगातार मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं कि इस बार मुख्यमंत्री बीजेपी  का होगा इसमें एक और महत्वपूर्ण बात है जो इंटरनल सर्वेज़ हुए हैं जो भारतीय जनता पार्टी चुनाव के पहले लगातार एक के बाद एक सर्वे दिखा रहा है उस सर्वे के हिसाब से अभी भी भारतीय जनता पार्टी जितनी भी बिहार की पार्टीज हैं चाहे आरजेडी हो चाहे जनता दल हो चाहे कांग्रेस हो चाहे और कोई बाकी लोक जनशक्ति पार्टी और हम तो बहुत छोटे पार्टी हैं वीआईपी भी बहुत छोटी पार्टी है इन सब की तुलना में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी सबसे बड़े दल के रूप में अभी भी उभर रही है, उन परिस्थिति में क्या भाजपा को एक बार फिर कॉम्प्रोमाइज करना चाहिए इस बात को लेकर के भारतीय जनता पार्टी के नेताओं में ना केवल आम  एक सहमति बन रही है बल्कि एक लगभग निर्णय के पर पहुंचने की स्थिति है कि नहीं चुनाव के बाद इस बार में चर्चा होगी और अगर भारतीय जनता पार्टी वाला अलायंस जीत करके आता है तो मुख्यमंत्री का फैसला बाद में होगा और वो बाद में का मतलब यह होगा कि मुख्यमंत्री जो होगा वह भारतीय जनता पार्टी का होगा ।

अमित शाह का इशारा पार्टी लाइन ही होता है 

एक और बात इसमें जो महत्वपूर्ण है जिसको समझ लेना चाहिए कि अमित शाह कोई भी बात बिना मतलब नहीं बोलते हैं वो पार्टी की लाइन टो करते हैं पार्टी की लाइन का मतलब यह है कि जब या तो उस पर प्रधानमंत्री से कोई चर्चा या कोई बातचीत हो जाती है राष्ट्रीय अध्यक्ष या संघ इन सब से एक चर्चा के बाद ही कोई इस तरह का फैसला लिया जाता है जो पब्लिकली बोला जाए तो यह जो स्थिति है वो ऐसी ही निकल कर के आ रही है कि अब इस बार भारतीय जनता पार्टी का मुख्यमंत्री के लिए भारतीय जनता पार्टी पिच कर सकती है अब इसमें एक और महत्वपूर्ण बात जो है जिसको समझ लेना चाहिए कि अगर आप पिछले छ सात महीने के पब्लिक अपीयरेंस देखें नीतीश कुमार की तो उनका व्यवहार थोड़ा सा चिंतनीय लग रहा है अब ये जो व्यवहार चिंतनीय है इसके पीछे उनका स्वास्थ्य बड़ा कारण है तो क्या  उम्रदराज  नीतीश कुमार सचमुच अगला टर्म में  मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हैं 

खुद नीतीश कुमार ने चुनाव ना लड़ने की बात कही

एक और महत्वपूर्ण बात है पिछले चुनाव के दौरान नीतीश कुमार ने सार्वजनिक तौर पर यह घोषणा की थी कि यह मेरा आखिरी चुनाव है इसके बाद हम मैं चुनाव नहीं लडूंगा ये चुनाव हमको जिताइए तो वो भी एक बड़ा मसला है कि उनको मुख्यमंत्री पद दिया जाएगा उनको मुख्यमंत्री पद लेना चाहिए कि नहीं लेना चाहिए तो स्वास्थ्य कारण उनका अपना अनाउंसमेंट उस उन सब को अगर आप देखें तो अगर उनको एक डिग्निफाइड रिटायरमेंट मिल जाता है वो कहीं के राज्यपाल बना दिए जाते हैं केंद्र में कोई इस तरह का मंत्री पद उनको दे दिया जाता है जहां पर  उनके जिम्मे एक मंत्रालय की जिम्मेदारी हो जिसको काम करने वाले बहुत सारे जिसमें काम करने वाले बहुत सारे लोग होते हैं कम से कम किसी प्रदेश के प्रदेश का जिम्मा नहीं होता है जो एक मुश्किल काम होता है वहां लॉ एंड ऑर्डर से लेकर के बहुत सारे लॉ एंड ऑर्डर डेवलपमेंट बहुत सारी चीजें आपको  हैंडल करनी होती है तो अभी जो कुल मिलाकर के स्थिति है उस स्थिति को देख के और जो बात अमित शाह कह रहे हैं उसको अगर आप जोड़िए तो कुल मिलाकर के स्थिति यही बनती है कि अगला मुख्यमंत्री बिहार का कौन होगा इसको लेकर के सस्पेंस तो बना रहेगा लेकिन जो बातें निकल कर के या जिस कॉन्फिडेंस के साथ भारतीय जनता पार्टी बात कर रही है वो लगभग यह तय है कि इस बार अगर भारतीय जनता पार्टी  वाला अलायंस एनडीए जीत के आता है तो भारतीय जनता पार्टी यह मौका नहीं गवाएगी अपना मुख्यमंत्री वो बनवाएगी उसके लिए पुरजोर कोशिश करेगी इस तरह की खबरें निकल कर आ रही हैं 


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