दिल्ली फतह अब बिहार की बारी
दिल्ली विधानसभा चुनाव और बाकी अभी जो हाल फिलहाल में चुनाव हुए, उसके बाद बिहार अब बीजेपी के लिए एक नई रणभूमि है और इसमें प्रशांत किशोर कितनी मदद करेंगे भारतीय जनता पार्टी की नैया पार लगाने के लिए यह तो एक महत्त्वपूर्ण विषय है ।सबको दिख रहा है कि प्रशांत किशोर लगातार सक्रिय हो गए हैं वह विशेष रूप से नीतीश कुमार पर आक्रामक हैं , और यह कह रहे हैं कि नीतीश कुमार अब फिट नहीं है , शासन करने के लिए इसलिए कि वह बीमार है और अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों का नाम और मंत्रालय भी नहीं बता पाते । प्रशांत किशोर बड़े आत्मविश्वास से कहते भी हैं कि अगर वह बता दे तो वह चुनाव से हट जाएंगे और साथ ही एनडीए है उसके समर्थन में खड़े हो जाएंगे । बिहार में भारतीय जनता पार्टी भी लगातार आक्रामक हो रही है और पांच- छह ऐसी रणनीती बना ली है जिसपर बीजेपी और एनडीए जमकर काम कर रही है, इनमें से एक है प्रशांत किशोर, प्रशांत किशोर की जो नाराजगी के कारण वोट इधर-उधर जाएंगे उनको रोकने का प्रयास शुरू हो गया है। माना यही जा रहा है कि प्रशांत किशोर का नीतीश पर की गई टिप्पणी का निश्चित तौर पर उन मतदाताओं पर थोड़ा बहुत हो सकता है जो सरकार के लंबे कार्यकाल से नाराज है लेकिन ज्यादातर बिहार का चुनाव जाति आधार पर होता है उस दृष्टि इस से जो नीतीश के समर्थक या नीतीश के वोटर हैं वो नीतीश को ही वोट करेंगे भाजपा के जो समर्थक है वह उसे ही करेंगे। लेकिन कुछ जो मिडिल क्लास का मतदाता होता है जो एंटी इनकंबेंसी के कारण इधर उधर जाता है वो प्रभावित होगा। बस बीजेपी कोशिश में है कि इन वोटरों को खिसकने ना दे।
लालू यादव के खिलाफ जंगल राज और भ्रष्टाचार का आरोप उनके साले ने लगाया-बीजेपी भुना रही
दूसरा प्रसाद यादव के साले का लालू प्रसाद यादव के खिलाफ ही बिगुल बजाना अब वह लगातार यह कह रहे हैं कि यह जंगल राज और भ्रष्टाचार जो है व लालू प्रसाद किया करते थे और वह बता रहे हैं कि किस तरह से लालू प्रसाद यादव के सरकार के समय या उनकी बहन के सरकार के समय किस तरह से जो लालू के घर में शादी होती थी तो फर्नीचर गाड़ियां और यह सब चली आती थी और और भी बहुत सारी घटनाएं हैं चाहे अपहरण को लेकर के हो चाहे क्राइम रेट को लेकर के हो इसको इसकी सबको लेकर के लगातार बात कर रहे हैं अब इस परे आरोप प्रत्यारोप भी चलेगा तो यह दो बड़े फैक्टर हो गए प्रशांत किशोर और लालू प्रसाद यादव के साले की जो बयानबाजी चल रही है ।
बीजेपी के लिए वरदान——लालू ने महाकुंभ को कहा बकवास
तीसरा लालू प्रसाद यादव का महाकुंभ के उपर दिया गया स्टेटमेंट है कि यह सब बकवास है, उसको बीजेपी पूरी तौर पर भुना रही है और उसको प्रधानमंत्री ने अपनी दरभंगा की रैली में कह भी दिया कि ये जो लालू प्रसाद यादव का जंगल राज है और जो सनातन के खिलाफ इनकी घृणा है इसको बिहार के लोगों को समझने की जरूरत है इसलिए कि बिहार सांस्कृतिक रूप से बहुत धनी प्रदेश है। अब प्रधानमंत्री के साथ साथ बिहार के नेता इस बात को बहुत बेहतर ढंग से प्रेजेंट कर रहे हैं ना केवल अपनी चुनावी रैलियों में बाकी बल्कि जनता के साथ सीधे संपर्क करके लालू के बयान को भुना रहे हैं।
RSS बहुत silent तरीके से बिहार में काम कर रहा
इसके अलावा महत्त्वपूर्ण बात है संघ का बहुत साइलेंट तरीके से बिहार में काम कर रहा है। अभी मोहन भागवत जी और बाकी और संघ के बड़े नेता भी बिहार के चुनाव पर वह है और जो बिहार के संघ से जुड़े नेता है वह सब वहां पर चुनावी तैयारी में लग गए हैं और जो छोटी छोटी छोटी बैठकें हैं उसको शुरू कर दिया है अभी चुनाव में छ महीने लेकिन फिर भी भी वो काम पर लग गए हैं , जैसा काम उन्होंने बिहार हरियाणा में किया था दिल्ली में किया। और महाराष्ट्र में किया
यादवों को जाती से उठकर हिंदू छाते में लाने की कोशिश
अब जातीय समीकरण की बात करें तो अभी जो सात नए लोगों को नीतीश ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया है उसमें यादव कोई नहीं है बाकी सब स बाकी सब जाति के लोग हैं । बनिया हैं, भूमिहार हैं, ठाकुर हैं, कुर्मी हैं, सब जाति के लोग हैं तो यह एक बैलेंस किया गया है।यादव समुदाय को अलग रखा गया है यह जानते हुए कि यादव मतदाता वोट नहीं करेगा तो नीतिश के लिए बहुत बहुत छोटा वर्ग है। इसीलिए उन्होंने कोई यादव मंत्री नहीं बनाया है बाकी सब को किया है,हालांकि बीजेपी यादवों को छोड़ नहीं रही है लेकिन उनको दूसरे तरह से उनको बताने की कोशिश कर रही है कि आपको अपनी जाति आइडेंटिटी से दूर होना पड़ेगा और एक जो हिंदू आइडेंटिटी है उस छाते के नीचे आना पड़ेगा और आप उस छाते के नीचे आइएगा तो आप मालामाल होएंगे। मालामाल मतलब पॉलिटिकल एंपावरमेंट की जो बात होती है।
वक्फ पर कड़ा stand हिंदूओं को लुभाएगा
अब इसमें एक और बड़ा मसला है जिसको लेकर के ना केवल विपक्ष बल्कि मुस्लिम समुदाय के बहुत सारे संगठन जो हैं वह लगातार नीतीश कुमार को ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहे थे कि अगर हमारा वक्फ छुआ जाएगा तो आप समझ लीजिए हम आपसे दूर हो जाएंगे अब यह भी नीतीश कुमार को मालूम है और नीतीश कुमार के बहुत सारे सांसदों ने तो खुलकर कहा कि आप हमको वोट नहीं करते हैं तो हम आपका काम क्यों कराएंगे हालांकि यह अनुचित बात है ऐसा नहीं कह सकते हैं जब कोई आदमी चुनाव जीत कर आ जाता है तो अपनी कांस्टीट्यूएंसी के हर एक व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है तो यह दूसरा मसला है लेकिन जो मैसेज है वह यही है कि मुस्लिम वोट भी उतना खुल कर के जनता दल यू के लिए वोट नहीं करता जितना आरजेडी के लिए करता है तो यह भी एक बड़ा विषय है जो जिस पर काम किए जा रहे हैं और इसीलिए वक्त प्रॉपर्टी जिस पर बहुत सारे हिंदुओं की प्रॉपर्टीज पर वक्फ ने कब्जा कर रखा है वो एक मैसेज देने की कोशिश की जा रही है और यह दोनों आंध्र प्रदेश और बिहार दोनों ने बहुत स्पष्टता से वक्फ के मामले में केंद्र सरकार के साथ मजबूती के साथ खड़े हैं तो ये भी एक मैसेज देने को किया मैसे देने की कोशिश की गई है कि हिंदुत्व वोटर के हिंदुत्व के मसले पर या वक्फ जैसे मसले पर कोई भी अपीज मेंट नहीं किया जाएगा। और इन सारी की सारी स्ट्रेटजी, जो पांच छह छ चीजें, इन्हीं पर इन्हीं पर भारतीय जनता पार्टी और एनडीए ने काम करना शुरू कर दिया है और एंटी इनकंबेंसी को दो स्तर पर क्या जिसको बार-बार लालू के साले जनता को बार-बार जंगल राज का याद दिला रहे हैं प्रधानमंत्री जंगल राज का याद दिला दिला रहे हैं यह अपने आप में महत्त्वपूर्ण है जो आने वाले चुनाव में इसका प्रभाव नजर आएगा।