राहुल गांधी को शशि थरूर से ट्यूशन लेनी चाहिए, अपने इस बयान के बारे में बीजेपी नेता शहनवाज हुसैन ने एक भेंट में बताया कि यह तो मेरी बहुत अच्छी सलाह थी,  राहुल गांधी जब भी बयान देते हैं तो  लगता है कि उनका फॉरेन पॉलिसी के बारे में ज्ञान बहुत कम हैं और ऐसे में शशि थरूर जो फॉरेन अफेयर के बहुत बड़े जानकार है क्योंकि यूएन में बहुत साल तक रहे और यूएन जनरल असेंबली का वो जो चुनाव था जनरल सेक्रेटरी का सेक्रेटरी जनरल का वो भी लड़ा था तो अगर राहुल उनसे इस बारे में राय लेते हैं कि बाहर जाकर क्या बोलना चाहिए क्या नहीं बोलना चाहिए तो यह उनके लिए भी और कांग्रेस के लिए भी बहुत अच्छा रहेगा।

Rahul Gandhi कही भी कुछ भी बोल सकते हैं जो खुद Congress को Embarrassment होती है

शहनवाज हुसैन का मानना है कि राहुल गांधी कुछ भी बोल देते हैं जो  जैसे अभी कुछ दिनों पहले उन्होंने कह दिया कि महाराष्ट्र का जो चुनाव हुआ है उसमें इलेक्शन कमीशन पर सवाल उठा दिया। लेकिन  राहुल ने अपनी कमी देखने की जरूरत नहीं समझी कि  आप में कमी कहां हुई, आखिर कांग्रेस पार्टी से कहां चूक हो गई जो लोकसभा में  अच्छा परफॉर्म किया पर विधानसभा में  चूक गए।  क्या महाराष्ट्र के लोगों को लगा कि लोकसभा में वो चूक गए उन्होंने भूल सुधार किया और अपार बहुमत मोदी जी को दिया । तो  हुआ यही है लेकिन राहुल  गलतफहमी पैदा कर रहे हैं,   कुछ कांग्रेसी हैं वो सिर्फ उनको ऐसी सलाह देते हैं जिसमें उनका नुकसान होता है जैसे ऑपरेशन सिंदूर पर शुरू में उन्होंने स्टैंड सही लिया जी जी हां बिल्कुल अपोजिशन की पार्टी की मीटिंग में कि सरकार जो करे हम साथ हैं , बाद में लगा कि वो झूठ बोला था कोई भी सरकार का एक एक्शन नहीं है जिस एक्शन पर उन्होंने सवाल नहीं उठाए और अभी भी जो पाकिस्तान प्रोपगेंडा करता है वही प्रोपगेंडा वो कर रहे हैं ।

Congress के कुछ नेता ही राहुल से नाराज उनकी बरबादी कर रहे हैं

यही लगता है कि राहुल गांधी के साथ जो लोग जुड़े हुए हैं वो  राहुल गांधी से  अंदर से नाराज हैं और उन्हें गलत सलाह देते हैं चाहे वो पवन खेरा हों या जयराम रमेश जी ।  जयराम रमेश को तो राज्यसभा दे दिया खेरा साहब को दिया नहीं तो वो भी कह रहे हैं भाई हम तो डूबेंगे तुम्हें भी ले डूबेंगे, मुझे लगता है कि यह पूरी तरह से जो नेता बैठे हैं उन्होंने कसम खा रखी है कि जिस नाव में बैठे हैं उसमें छेद करेंगे ही । वैसे  कांग्रेस में  सांप और सीढ़ी  का खेल हो रहा है, कांग्रेस सीढ़ी पर अगर थोड़ी सी चढ़ती है तो पवन खेरा और जयराम रमेश जो है ऐसा काट लेते हैं कि वो नीचे गिर जाती है।

हम भी चाहते हैं कि विपक्ष मजबूत हो-यही Democracy की खूबसूरती है

हम तो ये चाह रहे हैं कि एक अच्छा पॉजिटिव विपक्ष हो कम से कम ऐसा विपक्ष ना हो जो बीजेपी का विरोध करतेकरते देश का विरोध करने लगे इसलिए कह रहे हैं उनको सीखना चाहिए अटल बिहारी वाजपेय जी को पढ़े आडवाणी जी को पढ़े विपक्ष के नेता के तौर पर उन्होंने क्या रोल अदा किया १९71 में जब इंडिया पाकिस्तान की के बीच में विवाद हुआ था और जंग हुई तो उस वक्त अटल बिहारी वाजपेय जी ने इंदिरा जी के लिए क्या कहा था वो राहुल को पढ़ना चाहिए उनको जब कारगिल के बीच जंग हुई उस वक्त कांग्रेस के लोग विपक्ष में थे उन्होंने क्या बिहेव किया वो देखना चाहिए लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के वक्त में वो बार-बार यही पूछते हैं कि हिंदुस्तान का नुकसान क्या हुआ , कांग्रेस वही बयान क्यों देती है जो पाकिस्तान देता है उसकी कार्बन कॉपी क्यों बनती है । मेरा मानना है कि विपक्ष के स्टंग होना डेमोक्रेसी की खूबसूरती है  कि एक विपक्ष का रोल होताही है डेमोक्रेसी हम लोग बहुत साल तक विपक्ष में रहे जी और हमने अपना रोल अदा किया लेकिन इनको सत्ता में रहना नहीं आता विपक्ष का रोल भी अदा करना नहीं आता अभीविपक्ष के नेता का मतलब यह हो गया है कि फोटो शूट में रहते हैं यह जगह जगह जाते हैं इवेंट बना देते हैं और ये समझते हैं कि फुटेज मिल जाएगी इवेंट हो जाएगा इसके अलावा कुछ नहीं करते एक कंस्ट्रक्टिव विपक्ष का जो रोल है वो अदा नहीं करते ।

Delegation पर सवाल उठाने के पीछे कुछ नेताओं का अपना स्वार्थ

डेलीगेशन पर ही  मोदी सरकार ने  उन लोगों का चयन किया जो अनुभवी थे और यही कारण है सभी ने बाहर जाकर  अच्छा बोला अगर सलमान खुर्शीद को चुना गया तो सलमान खुर्शीद तो अटल बिहारी वाजपेयी जी के साथ डिप्टी लीडर होकर यूएन जनरल असेंबली गए जी और वो जंग हम लोग जीत कर आए थे वहां अच्छा डिबेट हुआ था उसके बाद अगर शशि थरूर को चुना गया तो शशि थरूर यूएन में रहे हैं डिप्लोमेसी समझते हैं और मनीष तिवारी अच्छे वकील है तो क्या दिक्कत है अभिषेक बनर्जी प्रियंका चतुर्वेदी इन्होंने बहुत अच्छा बोला बाहर जाकर के और एक तरह से यूनिटी बना कर रखी। पर दूसरी तरफ यहां बैठे कुछ नेता बुराईयों में लगे हैं शायद उन्हें बहुत कुछ उम्मीद थी , पवन खेरा जी तो पहले भी उन्होंने बयान दिया कि शायद हमारी सेवा में कोई कमी रह गई जो राजसभा नहीं मिला।

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