लगता है कि बंगाल की मुख्यमंत्री और TMC की सुप्रीमो ममता बनर्जी को महाकुँभ और साथ साथ योगी की बढ़ती लोकप्रियता से अच्छी खासी एलर्जी है, अभी हाल ही में कुंभ को उन्होंने मृत्यु कुँभ बताकर हजारों लोगों की आस्था का मजाक उड़ाया था और साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी पर तंज कसते हुए कहा था कि योगी सर, आप मुझे जितने अपशब्द कह लें, मेरे शरीर पर फोड़े नहीं होंगे।
और अब ममता के एक और बयान से जबरदस्त बवाल मचा हुआ है, इस बार ममता ने प्रयागराज में 144 साल बाद होने वाले महाकुंभ के आयोजन के दावे पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं, उन्होंने कहा कि कुंभ मेला प्रत्येक 12 सालों में लगता है और योगी सरकार 144 साल का झूठा प्रचार किए जा रही है। ममता ने एक कदम आगे बढ़कर विशेषज्ञों से सही तथ्यों का पता लगाने तक का अनुरोध कर दिया। लगता है ममता को आदत पढ़ चुकी है जनता की आस्थाओं से खिलवाड़ करने की लेकिन जनता ही उन्हें सबक सिखा देती है , यही कारण है कि हर तरफ से निंदा मिलने के बाद ममता ने आगे बढ़कर आपने मृत्युकुंभ वाले बयान पर सफाई देते हुए कहा कि मैंने कुम्भ स्नान को लेकर कुछ नहीं कहा है। मैंने अपने जीवन में कभी किसी धर्म का अपमान नहीं किया है। अब कोई बड़ा बात नहीं कि ममता अपने 144 साल वाले बयान पर भी जल्द पलट जाएं

नीतीश कुमार लाडला हैं या कठपुतली-कौन करेगा फैसला

बिहार में जब से पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्य के चीफ मिनिस्टर और एनडीए के सहयोगी नीतिष कुमार को लाडला कहकर बुलाया है, बिहार की राजनीति में तरह तरह की बातें शुरू हो गई, पहले बात करते हैं कांग्रेस के रिएक्शन की, दरअसल कांगेस को मोदी का यह अंदाजा कतई पसंद नहीं आया , आता भी क्यों बिहार में चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में मोदी और नीतीश की और ज्यादा बढ़ती नजदीकियां कांग्रेस पर ही भारी पड़ेगी क्योंकि कांग्रेस अब तक कोशिश में हैं कि नीतीश एनडीए छोड़कर उनके पाले में आ जाए, ऐसे में लाड़ला शब्द ही कांग्रेस को अखर रहा है, हाल ये है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने कह दिया की नीतीश कुमार लाडला नहीं बल्कि मोदी की कठपुतली हैं, उन्होंने यह भी कहा कि बिहार की असली सत्ता तो मोदी-शाह के हाथों में है।वहीं हाल ही में बिहार में चुनाव प्रभारी बनाए गए कृष्णा अल्लावरु ने यह तक कह दिया कि पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार बिहार के गंभीर मुद्दों पर से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं, पर दूसरी तरफ मोदी के लाडला बोलने से बिहार में बीजेपी और jdu के नेता खुश हैं क्योंकि चुनाव के दौरान दोनों पार्टियों में जितना तालमेल रहेगा , उतने रिजल्ट अच्छे ही आएंगे।क्योंकि इस बार बिहार में मुकाबला कड़ा है क्योंकि rjd के साथ congress भी बहुत ज्यादा एक्टिव है।

 

क्या नीतीश का यह फैसला JDU पर पड़ेगा भारी

 

बिहार में आजकल चर्चाओं का बाजार गर्म है कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सबसे अहम usp यानी जिस बात के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं, लोकप्रिय हैं वो खत्म हो जाएगी , इसके पीछे बड़ा कारण है नीतीश कुमार के बेटे निशांत का बिहार की राजनीती में प्रवेश करना। जी हां निशांत ना केवल सक्रिय हो गए हैं बल्कि उन्होंने साफ कहा कि एनडीए (NDA) को नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा करनी चाहिए। बस अब बिहार में यही चर्चा है कि लालू यादव की तरफ नीतिश भी परिवारवाद की राजनीति कर रहे हैं और उनमें और लालू में क्या फर्क रह गया है। यह बात बीजेपी नेताओं को भी अखर रही है क्योंकि नीतीश को अभी तक बीजेपी सबसे ईमानदार और परिवारवाद से दूर रहने वाला नेता कहकर आगे बढ़ाती आई है, अब देखना यही है कि यदि नीतीश पर भी परिवारवाद का ठप्पा लग जाता है तो बिहार में जल्द होने वाले चुनाव में क्या बिहार की जनता नीतीश को उतने ही वोट देगी जितना पहले देती है। वैसे बिहार का एक बड़ा तबका और jdu के कईं नेता भी निशांत के राजनीति में आने से काफी खुश हैं क्योंकि जिस तरह से नीतीश बीमार रहने लगे हैं ,उसके चलते jdu के बिखरने की ज्यादा संभावना हो गई हैं पर उन्हें नीतीश के वारिस यानी निशांत के रूप में अपना नया नेता दिख रहा है और वह उसे jdu की नई ताकत के रूप में देखते हैं। कहा यह भी जा रहा है कि पेश से इंजीनियर निशांत 10 वीं और 12 वीं पास तेजप्रताप और तेजस्वी यादव से education के साथ साथ राजनीति में भी भारी पड़ सकते हैं,

 

राहुल ने किया जो यह कद्दावर नेता छोड़ सकता Congress

 

जिस तरह नितिन गडकरी बीजेपी के एक ऐसे नेता हैं जिनका पक्ष हो या विपक्ष हर कोई सम्मान करता है, उनके काम की तारीफ की जाती हैं, उसी तरह कांगेस में शशि थरूर एक ऐसे नेता हैं जिनकी योगयता, और सरल स्वाभाव की हर कोई तारीफ करता है पर पिछले कुछ समय से शशि थरूर कांग्रेस में अपने आप को उपेक्षित सा महसूस कर रहे हैं और अपमानित शशि थरूर ने इशारों में कांग्रेस छोड़ने तक की धमकी दे डाली है। उन्होंने साफ कहा है कि मैं कांग्रेस में हूं, लेकिन अगर पार्टी को मेरी जरूरत नहीं है तो मेरे पास भी विकल्प मौजूद है। बताया जाता है कि थरूर ने दिल्ली में राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी और पार्टी में किनारे किए जाने पर राहुल से नाराजगी जताई थी उनका कहना था कि उन्हें संसद में महत्वपूर्ण बहसों में बोलने का मौका नहीं मिलता। पार्टी में मुझे इग्नोर किया जा रहा है। पर पता यही चला है कि राहुल गांधी ने शशि थरूर की शिकायतों का कोई खास जवाब नहीं दिया। इससे चर्चाओं का बाजार गर्म है कि शशि थरूर कांगेस छोड़ सकते हैं, इन चर्चाओं को और हवा मिल गई जब केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ उनकी सेल्फी ने सामने आई और अब कहा जाने लगा कि शायद शशि बीजेपी ज्वाइन कर सकते हैं, वैसे शशि थरूर समय समय पर पीएम मोदी का तारीफ करने के कारण कांग्रेस आलाकमान की नाराजगी का सामना करते रहे हैं।

 

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