मल्लिकार्जुन खरगे अब फिर कभी पंगा नहीं लेंगे नितीन गडकरी से
यू तो राज्यसभा में नेताओं के बीच हुई तकरार ,बहसबाजी अकसर ही चर्चा का विषय बन जाती है पर हाल ही में राज्यसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे और केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी के बीच ऐसा हुआ कि जबरदस्त चर्चा का विषय बन गया और हर कोई नितीन गडकरी की हाजिरजावबी, मृदु स्वाभाव और विपक्ष नेताओं को दिए जाने वाले सम्मान की बात कर रहा है, दरअसल जिस तरह से चर्चाएं रहती है कि पीएम नरेंद्र मोदी और गडकरी के संबंध अच्छे नहीं हैं, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सोचा कि क्यों ना इसकै फायदा राज्य सभा में उठाया जाए और उन्होनें बाकायदा ‘गडकरी को देखते हुए कहा कि मैंने सुना है कि नेशनल हाइवे को नंबर देने के लिए भी PMO के पास जाना पड़ता है, इसके अलावा खरगे ने सड़क विकास के मामले में कर्नाटक की अपेक्षा करने का भी आरोप लगा डाला। लेकिन गडकरी तो गडकरी हैं जो अपने मृदु और हाजिरजवाब के लिए जाने जाते हैं उन्होंने तुरंत खरगे को ही घेरना शुरू कर दिया और कहा कि ‘आपके सीएम और डिप्टी सीएम मानते हैं कि पहले से ज्यादा काम हुआ है। आप उनसे पूछ सकते हैं, हालांकि मुझे नहीं पता कि आपकी उनसे बात होती है या नहीं, साफ लगा कि केंद्रीय मंत्री गडकरी ने खरगे और कर्नाटक के सीएम और डिप्टी सीएम के बीच चल रही खींचतानी जगजाहिर कर दी , बेचारे मल्लिकार्जुन खरगे जो सोच रहे थे कि यह सब कहकर वो गडकरी के मुंह से PM मोदी के खिलाफ कुछ उगलवा लेंगे , उन्हें भड़का देंगे, पर गडकरी ने उनका दांव उनपर ही खेल दिया और बता दिया कि कांग्रेस में कुछ ठीक नहीं चल रहा है खासकर खरगे और कर्नाटक सरकार के बीच
राहुल गांधी कैसे फंसाया अपने गुरू लालू यादव को
बिहार की राजनीति में राहुल गांधी ने अचानक क्या पासा फैंका कि हर तरफ उसकी चर्चा हो रही है और कहा जा रहा है कि राहुल ने अपने ही गुरू लालू यादव को चक्रव्यूह में उलझा दिया। हाल ही में कांग्रेस ने पार्टी प्रदेश अधयक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को उनके पद से हटा कर सबको सकते में डाल दिया खासकर RJD को क्योंकि अखिलश लालू यादव के बहुत करीबी माने जाते थे और कहा जाता है कि वह तेजस्वी यादव के इशारों पर चल रहे थे। और उनपर विधानसभा चुनाव में टिकट बेचने का भी आरोप लगा। चर्चाएं यहीं हैं कि अखिलश का जाना राहुल के कहने पर हुआ है, पिछले काफी समय से राहुल बिहार पर बहुत ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और वह खुद चाहते हैं कि कांग्रेस जल्द से जल्द RJD की बी टीम के टैग से बाहर निकले और एक अच्छी छवि के साथ ए टीम के रूप में जनता के सामने आए। प्रदेश अध्यक्ष पद से अखिलेश प्रसाद सिंह को हटा कर दलित नेता राजेश कुमार को लाने का आइडिया भी राहुल का ही माना जा रहा है ,। इससे कांगेरेस ने एक तीर से दो शिकार किए, एक तरफ RJD को झटका दिया और दूसरी तरफ बिहार में हर हाल में दलित वोट बैंक अपने खाते में लाने की कवायद । इसी सिलसिले में राहुल गांधी कुछ समय पहले बिहार में हुए दलित नेता के जयंती समारोह में भी आए थे। दलित पहले कांग्रेस को वोट करते थे पर धीरे- धीरे खिसक कर इधर इधर चले गए अब कांग्रेस अपने इन वोटरों को वापस लाने के लिए हर संभल कोशिश कर रही है और उन्हें रूझाने के लिए दलित नेता राजेश कुमार को कमान सौंपी गई है. आपको बता दें कि बिहार में दलित के लगभग 17 प्रतिशत वोट हैं जो किसी को भी जीताने या हराने में अहम भूमिका निभाते हैं।