मोदी सरकार को गिराने के लिए लामबंद-पर क्या सफल होंगे

संविधान बचाओ बहाना  पूरी मुहिम वक्फ प्रॉपर्टीज वक्फ बिल पर

तीन नवंबर को जमीयत उलेमा हिंद की इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में एक बड़ी सभा हुई जिसको नाम दिया गया था संविधान बचाओ सभा पर उसके  पीछे पूरी की पूरी मुहिम वक्फ प्रॉपर्टीज  और लाए गए वक्फ बिल को लेकर थी।  कान्फ्रेंस में जमीयत उलेमा हिंद और बाकी जो मुस्लिम नेता मौजूद थे  उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार तक गिराने की धमकी जैसे संदेश साफ लब्जों में दिए।  उन्होंने यह तक बताया कि उनकी रणनीती क्या है।उनकी रणनीति में चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और नीतीश कुमार हथियार हैं। जमते उलेमा हिंद के  चीफ अरशद मदनी साहब ने साफ कहा क अरशद मदनी साहब  ये जो लोग हैं जिनकी बैसाखी के सहारे केंद्र की सरकार है वह इस बिल को समर्थन नहीं करें,  अगर समर्थन करेगी तो हम अपने लोगों को चुनाव में उस लिहाज से काम करने के लिए प्रेरित करेंगे।  मतलब यहां  कुछ चीजें साफ तौर पर कही गई कुछ में  इनडायरेक्टली धमकाने की कोशिश की गई ।

अपनी ताकत के बारे में बताया गया

यह बताया गया कि जिस तरह से 2024 के चुनाव में मुसलमानों ने एकजुट होकर के वोट किया और भारतीय जनता पार्टी को 240 पर रोक दिया और कांग्रेस को 99 तक पहुंचा दिया उससे भी उनकी  ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। संविधान बचाने की मुहिम में वह काम करने की बात करके कहा गया कि वक्फ  बिल  असंवैधानिक है।

चंद्रबाबू नायडू  नीतीश कुमार पर दबाव बनाने की कोशिश

इंदिरा गांधी इंदोर स्टेडियम से यह बात यह धमकी निकल कर के सड़कों पर आ सकती है,  लोग विरोध प्रदर्शन कर  सकते हैं,  सरकार तक गिरा सकते हैं और इसके लिए उन्होंने दो बड़े नामो की बात की एक चंद्रबाबू नायडू दूसरी नीतीश कुमार की।  यह दावा इसलिए भी किया गया कि
चंद्रबाबू नायडू की जो पार्टी है तेलगु देशम पार्टी उसके  एक उपाध्यक्ष ने  बैठक में शिरकत की थी और उन्होंने चंद्रबाबू नायडू के सेकुलर क्रेडेंशियल की बात कही निश्चित तौर पर सेकुलर क्रेडेंशियल हर राजनीतिक दल अपनी बात करता है लेकिन क्या सेकुलर क्रेडेंशियल का मतलब यह होता है कि मुस्लिम जो दूसरा सबसे बड़ा मेजॉरिटी कम्युनिटी है उसकी ब्लैकमेलिंग में या उसके सारे दबाव में सारे निर्णय उसके पक्ष में किए जाएं और उसका नुकसान देश  के जो लोग हैं वह  भुगते,

चंद्रबाबू नायडू क्या झुक जाएंगे

चंद्रबाबू नायडू की बात पहले करते हैं. । चंद्रबाबू नायडू पर दबाव बना कर के यह बोला गया कि संगठन  कडप्पा में आंध्र प्रदेश में एक बड़ी रैली करने वाले हैं जहां 4 लाख के आसपास मुस्लिम्स को लेकर के आएंगे। ठीक इसी तरह की बात जामते उलेमा पटना को लेकर भी कर रहा है। जिससे  नीतीश कुमार पर भी  दबाव बने । बड़ा प्रश्न यह है कि  90 फीसदी  के आसपास हिंदू पॉपुलेशन है आंध्र प्रदेश की तो अगर 90 का दबाव क्या दरकिनार करके और बाकि के  दबाव में चंद्रबाबू नायडू क्या झुक जाएंगे या क्या इस तरह की ऐसी कोई परिस्थिति होने वाली है या ऐसी ऐसा संभव हो सकता है जबकि वहां लगातार वहां पर इस तरह का दबाव हो रहा है कि हिंदुओं को टारगेट नहीं किया जाना चाहिए।
दूसरी बात यह कि इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है कि किसी जाति विशेष को टारगेट किया जा रहा है , किसी धर्म विशेष को टारगेट किया जा रहा है इसका उल्टा है इस कानून के कारण बाकी सब लोग टारगेट हो रहे हैं बाकी सब लोग नुकसान झेल रहे हैं बाकी सब लोग विक्टिमाइज हो रहे हैं । लोगों की जमीन , किसानों तक की जमीन गरीबों की जमीन वक्फ  हड़प रही है । यह एक बड़ा माफिया बन गया है, लैंड माफिया बन गया है तो क्या इस दबाव में जमीयत उलेमा के दबाव में चंद्रबाबू नायडू आ जाएंगे ।

नीतीश कुमार को कोई गलतफहमी नहीं

 जहां तक  बिहार की बात है  पिछले हफ्ते एनडीए की एक बैठक थी उसमें नीतीश कुमार ने बोला कि जो भी धर्म के नाम पर सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करेगा उसके साथ शक्ति से निपटा जाएगा चाहे वह मुस्लिम समुदाय ही कुछ ना हो क्यों ना हो अब इसमें एक और बात स्पष्ट है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह से जनता दल यू के कैंडिडेट्स कुछ हारे हैं उसमें स्पष्ट यह था कि मुसलमानों ने आरजेडी और कांग्रेस को वोट किया है जनता दल यू को वोट नहीं करते बीजेपी के साथ जुड़ा होने के कारण तो नीतीश कुमार को भी यह मुगालता
नहीं है कि जहां पर उनकी स्थिति ऐसी होगी कि  उनके पास आर आरजेडी को वोट करने का मौका है तो वह नीतीश कुमार को वोट देंगे नीतीश कुमार चुनाव जीतेंगे।  आज तत  किशनगंज सीट जनता दल नहीं जीत पाई है तो क्या इस तरह की धमकी पर तेलुगु देशम पार्टी और जनता दल आएंगे।

हिंदू मतदाताओं को नजरअंदाज करने का रिस्क कोई नहीं लेगा

  जब 2025 में विधानसभा के चुनाव बिहार में होने हैं वो पता लगेगा और सीट सत्र में बहुत सारी चीजें साफ होंगी लेकिन जिस तरह का दबाव एक गैर राजनीतिक दल सरकार गिराने की धमकी पर दे रहा है वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और यह ब्लैकमेलिंग लंबे समय से मुस्लिम  ऑर्गेनाइजेशन और मुस्लिम उलेमा मुस्लिमजितने लीडर्स हैं वह करते रहे हैं  पर अब  हिंदू मतदाताओं को नजरअंदाज करोगे, तो वह भी आपको नजरअंदाज करना सीख गए हैं और यह बात ना केवल नीतीश कुमार को समझ मेंआ गई है बल्कि चंद्रबाबू नायडू को भी समझ में आ गई है आ भी रही है और यही बात जमीयत उलेमा

ब्लैकमेलिंग -झूठ फैला कर मांगें मनवाने का  गलत तरीका

जैसे संगठन भी समझ ले तो बेहतर है कि यह जो धमका करके ब्लैकमेलिंग करके अपनी बात मनवाने का गलत तरीका है चाहे सीएए को लेकर के जिस तरह से इन लोगों ने प्रोटेस्ट किया था उसमें किसी की नागरिकता नहीं जा रही थी,  झूठ फैलाया जा रहा था वैसा ही झूठ वक्फ के मामले में फैलाया जा रहा है। तो क्या इनके दबाव में यह दोनों राजनीतिक दल आएंगे यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन जो ग्राउंड रियलिटी है वो इसके खिलाफ ही दिख रही है।

पसमांदा गरीब मुसलमान वक्फ बिल में बदलाव चाहता

 वैसे  मुसलमान समाज में भी जो पसमांदा गरीब मुसलमान हैं वह इस वक्फ बिल में बदलाव करने के पक्ष में हैं इसलिए कि ज्यादा जमीनों पर बड़े-बड़े लोग, अमीर ताकतवर मुसलमानों का बड़ी जातियों का  कब्जा है और  उस कब्जे से व्यक्तिगत फायदा उठाया जाता है। उससे कम्युनिटी को कोई लाभ नहीं मिल रहा।

सामाजिक संगठन द्वारा चुनी  सरकार गिराने की मुहिम शर्मनाक

अपने आप को सियासत से अलग रखने का दावा करने वाला संगठन,  जो कहता है कि  उन्होंने भारत के विभाजन का विरोध किया था,  तो प्रश्न यही है कि कोई भी ऐसा सामाजिक संगठन क्या एक चुनी हुई सरकार को गिराने के लिए मुहिम चला सकता है या सरकार द्वारा बनाए हुए कानून को जो जिसके लिए उसको जनता ने मैंडेट दिया है अगर वह उसको पसंद नहीं है तो उसके लिए मैंडेट चला सकता है और वो भी झूठ के सहारे जैसा कि सीएए के बारे में फैलाया गया था

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