Bihar —–यह लापरवाही भारी पडेगी नीतीश सरकार को

गलत और मृत हो चुके वोटर्स को चुनाव लिस्ट से हटाने के लिए बिहार में शुरू की गई मतदाता सूची पुनरीक्षण यानी sir में लापरवाही बरतने के काम में लापरवाही सामने आई है, पहले से ही विपक्ष इसे करवाने के टाइमिंग पर सवाल कर रहा है और अब जब इसमें लापरवाही बरतने के एक नहीं काफी मामले सामने आने शुरू हो गए हैं तो विपक्ष के हौंसले बुलंद हैं और लगता है एक बार फिर Bihar में विपक्ष जबरदस्त हंगामा करने वाला है , पता चला है कि मधेपुरा के कुमारखंड में मतदाता सूची पुनरीक्षण में बूथ संख्या 226 और 227 में छह मृतकों के नाम दर्ज हैं और इन दोनों बूथों पर ही यह भी पता चला है कि शादीशुदा लड़कियों यानी ससुराल में रहने के बावजूद 26 से अधिक लड़कियों ने पुनरीक्षण फॉर्म को भरकर उसमें अपना नाम आरक्षित करा लिया । इनमें कोई पांच साल से तो कोई 15 साल से ससुराल में रह रही हैं। यही नहीं कुछ मतदाताओं के नाम दो स्थानों पर हैं, पश्चिम बंगाल के निवासी भी मतदाता सूची में शामिल हैं। बस अब बस विपक्ष इसी मुद्दे को लेकर नीतीश कुमार सरकार पर तंज कस रहा है कि उनके राज में क्या हो रहा है कि मुर्दा वोटर्स को भी वोट डालने का अधिकार दिया जा रहा है। वैसे अपनी तरफ से चुनाव आयोग पहुत सावधानी से कदम रख रहा है और साफ कहा जा रहा है कि अगर पुनरीक्षण सूची में मृत, फरार, विवाहित पुत्री या दोहरी प्रविष्टि वाले मतदाता का नाम मिलता है, तो उसकी शिकायत कोई भी व्यक्ति करा सकता है। उस आपत्ति पर तुरंत एक्शन लिया जाएगा।

 

चुनाव आयोग की पड़ी लाठी इन दलों पर

देश में बहुत से ऐसे छोटे छोटे दल बन गए हैं जो ना तो चुनाव लड़ते हैं ना ही राजनीती में ही उनकी कोई दिलचस्पी होती है पर अपने दल को चुनाव आयोग से पंजीकृत करवा लेते हैं और फिर चुनाव चिन्ह भी ले लेते हैं और इसके पीछे छुपा होता है एक बड़ा फायदा जी हां सामाजिक रूतबे के साथ सरकारी एजेंसियों से काम निकलवाने में ये दल अपनी पार्टी का इस्तेमाल करते हैं ,कानून के तहत पंजीकृत दलों को कुछ विशेषाधिकार और लाभ मिलते है। और सबसे अधिक इनकम टैक्स में भी छूट मिल जाती है, यही कारण हैं देश में सैक़डों हजारों ऐसे दल बन गए हैं जो चुनाव लड़ने में नहीं बलिक अपने फायदे के लिए सक्रिय हैं, पर हाल फिलहाल में चुनाव आयोग ने इन दलों पर पूरी सख्ती बरतनी शुरू कर दी है चुनाव आयोग ने 476 पंजीकृत राजनीतिक दलों को अपनी सूची से हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी है। आयोग का कहना है कि इन दलों ने नियम को तोड़ा है और 2019 से लगातार छह वर्षों तक एक भी चुनाव लड़ने की आवश्यक शर्त को पूरा नहीं किया है। यही कारण है कि इन्हें सूची से हटाया जा रहा है। आपको बता दें कि इससे पहले भी आयोग 334 दलों को सूची से हटाया था, आयोग का कहना है कि चुनाव प्रक्रिया को स्वच्छ व पारदर्शी बनाने की दिशा में यह कदम है, वैसे आयोग ने इन दलों को कारण बताओ नोटिस जारी कर इन्हें अपना पक्ष रखने का मौका देने का भी आदेश दिया है.

Rahul Gandhi -बम फोड़ा नहीं हां चुनाव आयोग ने फोड़ दिया

 

बिहार चुनाव आयोग ने वो कर दिया कि कांग्रेस, rjd समेत बिहार में सक्रिय सीपीआईएम बिल्कुल बैकफुट पर आकर खड़ी हो गई है, राहुल ने तो वोट चोरी के नाम पर कोई एटम बम फोड़ा नहीं पर चुनाव आयोग ने एक वीडियो के जरिए ये एटम बम फोड दिया , जी हां चुनाव आयोग ने वो वीडियो जारी कर दिया जिसमें बिहार में अलग अलग जिलों में तैनात कांग्रेस rjd और सीपीआई (एम) के तमाम पदाधिकारियों की ओर से मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण यानी एसआईआर के काम में वे सब आयोग का सहयोग कर रहे हैं और इसको जारी करके आयोग ने इन दलों के दोहरे चरित्र को जनता के सामने ला दिया है कि एक तरफ तो इन पार्टी के तमाम बड़े नेता चाहे वो राहुल हों या तेजस्वी sir के विरोध में लगातार बयानबाजी कर रहे हैं और दूसरी तरफ इन्हीं पार्टी के पदाधिकारी बिहार में अलग अलग जगहों पर बाकायदा इस काम को करवाने के लिए आयोग की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। इस पर कईं बीजेपी नेताओं ने तंज भी कस दिया है कि या तो इन पार्टी के पदाधिकारी अपने नेताओं से बगावत कर रहे हैं या जनता को बहकाने के लिए इनसे ये काम करवाया जा रहा है। आयोग का साफ कहना है कि दिल्ली में विपक्षी दल एसआईआर का विरोध कर रहे हैं पर बिहार में जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। खैर जो भी हो इन , वीडियो के सामने आऩे से कांग्रेस के साथ तेजस्वी यादव पूरी तरह से बैकफुट में खड़े हैं।आयोग ने इन वीडियो में बिहार के भागलपुर,गोपालगंज व पूर्णिया जिलों के जिला कांग्रेस अध्यक्षों के साथ ही rjd व सीपीआई (एम) के जिला पदाधिकारियों को दिखाया है जिसमें वह कह रहे हैं कि चुनाव आयोग ने ड्राफ्ट सूची उपलब्ध कराई है।

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