ना कट्टर नेता हैं ना ही नासमझ-बड़बोले नेता पर हैं लोकप्रिय नेता
फडणवीस उम्र के मामले में राहुल गांधी और योगी के बराबर हैं। और इस उम्र में उन्हें जो सफलता मिली है वो सचमुच बहुत ज्यादा है और प्रभावशाली है।महाराष्ट्र की जीत ने उन्हें बड़े पोस्टर ब्वॉय का खिताब दे दिया है। सबसे अच्छी बात है कि योगी की तरह ना उनकी छवि एक कट्टर नेता की है , ना ही राहुल की तरह एक नासमझ-बड़बोले नेता की। उन्हें एक सजग, ईमानदार, लोकप्रिय नेता माना जाता है और माना जाता है कि उन्हें संघ का जहां पूर्ण समर्थन है तो वहीं दूसरी तरफ वह पीएम मोदी की गुडबुक में भी हैं।
फडणवीस के समक्ष अपने वादों को पूरा-विकास के कामों को आगे बढ़ाने की कड़ी चुनौती
पर अब फडणवीस के समक्ष महाराष्ट्र में सहयोगी दलों के साथ तालमेल बैठाने , अपने वादों को पूरा करने और विकास के कामों को आगे बढ़ाने की कड़ी चुनौती है। उन्हें स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने श्रम सुधारों पर ध्यान शहरी बुनियादी ढांचे को बेहतर करना सामाजिक सद्भभाव बनाए रखना और सरकार को राज्य की आर्थिक सेहत के लिए मुफ्त की योजनाओं से परहेज करने जैसी अहम बातों में खरे उतरना होगा।
महाराष्ट्र ही तय करेगा भारत कितनी जल्दी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
सबको पता है कि महाराष्ट्र भारत का शीर्ष राज्य है। महाराष्ट्र का प्रदर्शन ही यह तय करता है कि भारत कितनी जल्दी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। ऐसे में नए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के समक्ष इस काम को करने की पूरी चुनौती है। सरकार को अपने दोनों जूनियर पार्टनर, एकनाथ शिंदे -अजीत पवार की आम सहमति से काम करना होगा जो राजनीतिक और नीतिगत स्थिरता के लिए अच्छा संकेत होगा। चुनाव के दौरान किए गए वादों को पूरा करना भी देवेंद्र फडणवीस की प्रथामिकता रहेगी खासकर महिलाओं के लिए लड़की बहन योजना के तहत भुगतान को ₹1,500 से बढ़ाकर ₹2,100 प्रति माह करने का वादा राज्य भारत की वित्तीय राजधानी भी है इसलिए यहां स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना बहुत अच्छा रहेगा। फडणवीस को अपने राज्य को भारत का नंबर 1 स्टार्ट-अप राज्य बनाने की भी चुनौती है। साथ ही राज्य में हर धर्म, जाती के लोग अपने को सुरक्षित महससू करें ऐसा माहौल बनना नए मुख्यमंत्री के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित होगा।
Maharashtra बीजेपी जीत में योगी का बड़ा योगदान-पर अब क्यों किनारा
महाराष्ट्र में बीजेपी जीत का बहुत योगदान यूपी के मुख्ममंत्री योगी का माना जाता है। यहां जीत के लिए योगी आदित्यनाथ ने चार दिन में 11 जनसभाओं को संबोधित किया, 18 विधानसभा क्षेत्रों में उनकी रैलियां हुईं और पूरे 17 क्षेत्रों में जीत मिली। तो योगी का जीत स्ट्राइक रेट 95 प्रतिशत रहा। योगी ने इन रैलियां में उन्होंने कुल 23 उम्मीदवारों को जिताने की अपील की थी जिसमें 20 जीत गए और इस दौरान योगी का ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ स्लोगन पूरे चुनाव में छाया रहा। पर अब लगता है कि महाराष्ट्र के नए बने सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इस नारे से अपनी दूरी बना ली है। उन्होंने जीत का क्रेडिट पीएम मोदी के एक हैं तो सेफ हैं के स्लोगन को दिया और कहीं भी अभी तक बंटेंगे तो कटेंगे का जिक्र नहीं किया । उन्होनें अपने बयान में भी साफ कहा की सरकार दलित, ओबीसी के साथ अल्पसंख्यकों का भी ख्याल रखेगी।
क्या योगी को डाउन साइज करने की कोशिश है
ऐसे में चर्चा शुरू हो गई कि क्या फडणवीस ने क्या जानबूझकर योगी आदित्यानाथ का जिक्र नहीं किया। जिसने महाराष्ट्र जीत में सबसे अहम भूमिका निभाई है। जानकारों का मानना है कि यह नारा निगेटिव है जबकि पीएम मोदी का एक हैं तो सेफ हैं नारा पॉजिटिव मैसेज देता है और फडणवीस अपने कार्यकाल में किसी भी तरह का विवाद नहीं चाहते हैं। यह भी माना जा रहा की फडणवीस ने योगी के नारे को क्रेडिट देकर न सिर्फ केंद्रीय नेताओं को खुश किया बल्कि योगी को भी डाउन साइज करने की कोशिश की है।