राहुल गांधी आजकल नाराज क्यों हैं?
क्या राहुल गांधी दिल्ली के कईं कांग्रेसी नेताओं से नाराज चल रहे हैं, चर्चाएं इसलिए फैल रही है कि राहुल गांधी ने एक नहीं दो बार दिल्ली नेताओं की ओर से जोर शोर से चलाई जाने वाली न्याय यात्रा के समापन समारोह में आने से मना कर दिया। यह समापन 9 दिसंबर को होना था, तब राहुल यहां नहीं पहुंचे और इससे पहले भी राहुल ने इस समारोह से अपनी दूरी बना कर रखी थी जिससे दोनों बार समापन समारोह रद्द करना पड़ा। पता चला है कि आप के साथ गठबंधन को लेकर स्थानीय नेताओं के जिस तरह से बयान सामने आ रहे हैं उसको लेकर राहुल गांधी नाराज चल रहे हैं। जिस तरह से न्याय यात्रा के जरिए प्रदेश कांग्रेस , सत्ता पक्ष यानी आप सरकार पर पर हमला कर रही थी और दावा कर रही थी कि उनकी यात्रा दिल्ली में आप के खिलाफ माहौल बनाने में कामयाब रही है। माना जा रहा है कि राहुल जो आप के साथ मिलकर दिल्ली में चुनाव लड़ना चाहते हैं इसलिए आप के खिलाफ किसी भी कार्यक्रम में शामिल होने से कतरा रहे हैं। यह भी पता चला है कि हाल ही में एनसीपी नेता शरद पवार के घर एक बैठक हुई थी , जिसमें कांग्रेस और आप के कई सीनियर लीडर भी शामिल थे। इसके बाद से ही कांग्रेस के ही कुछ कद्दावर नेताओं ने दबे स्वर में कहना शुरू कर दिया है कि दिल्ली में कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन की संभावना हो सकती है। दरअसल, कांग्रेस को इस चुनाव से बड़ी उम्मीद है। प्रदेश नेताओं का मानना है कि आप के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल है। इसी को लेकर प्रदेश कांग्रेस लगातार सत्ता पक्ष पर हमला कर रही है और इसी दिशा में कांग्रेस ने दिल्ली न्याय यात्रा भी निकाली। प्रदेश कांग्रेस का दावा है कि उनकी यात्रा सफल रही है। एक महीने तक सभी 70 विधानसभाओं में निकाली गई यात्रा को बड़े इवेंट के साथ समापन करने की योजना प्रदेश कांग्रेस ने बनाई थी, ताकि इस मौके का फायदा उठाते हुए अपने पक्ष में माहौल बनाया जा सके। इस मकसद से 9 दिसंबर को तालकटोरा स्टेडियम में कार्यक्रम था।
लालू यादव की जुबान फिर फिसली हुआ सियासी हंगामा
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की क्या कहिए कभी कभी सस्ती लोकप्रियता को हासिल करने के लिए वो ऐसा कुछ कह बैठते हैं जो उन जैसे कद्दावर और उम्र के इस पड़ाव में पहुंचे नेता को कतई शोभा नहीं देता है। जैसे की बिहार के मुख्यमंत्री बिहार चुनाव से पहले अपनी महिला संवाद यात्रा शुरू करने वाले हैं तो इसको लेकर ही लालू ने वो कह दिया की चारों तरफ से ही उनकी निंदा होने लगी । दरअसल लालू से जब इस यात्रा के बारे में पूछा गया तो लालू की टिप्पणी थी कि ‘अच्छा है जा रहे हैं तो… नैन यानी आंख सेंकने जा रहे हैं।बस इस टिप्पणी को लेकर सियासी घमासान मच गया है। नीतीश कुमार की पार्टी jdu के साथ साथ भाजपा ने भी लालू यादव के इस बयान को बिहार की महिलाओं का अपमान बताया और उन्हें आडे़ हाथों ले लिया। भाजपा उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने यह तक कह दिया कि हमें पता था कि लालू जी शारीरिक रूप से बीमार हैं पर अब पता चला कि वह मानसिक रूप से भी बीमार हैं। बिहार के मंत्री अशोक चौधरी तो लालू को कोसने में दो कदम आगे ही निकल गए उन्होंने कहा कि सात बेटियों के पिता और बिहार को महिला मुख्यमंत्री देने वाला व्यक्ति ऐसे बयान कैसे दे सकता है। इससे पता चलता है कि देश की आधी आबादी को लेकर उनकी सोच क्या है। वैसे लालू पहले भी महिलाओं को लेकर कईं बेतुके बयान दे चुके हैं ,पर लालू तो लालू हैं बाज नहीं आ सकते
क्या मुस्लिम वोट बैंक बना रहा इंडी गठबंधन से दूरी
हाल फिलहाल में बने india गठबंघन से जुड़े हर दल की कोशिश रहती है कि किस तरह से अल्पसंख्यक वोटर्स को अपने पाले में लाया जाए । इस होड़ में कांग्रेस से लेकर साजवादी पार्टी , मायावती से लेकर ममता बनर्जी तक शमिल हैं। सभी अपने को मुसलमानों का सबसे ज्यादा हितैषी बताने में लगे रहते हैं, पर से लगता है कि धीरे-धीरे मुस्लिम वोटर्स के साथ मुस्लिम नेताओं का भी india गठबंघन और उससे दलों से मोह भंग होता जा रहा है। हाल फिलहाल में यूपी की सीतापुर जेल में बंद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां के एक संदेश से यह बात छनछन कर बाहर आ रही है। आजम खां ने जेल से ही संदेश भेजा है जिसमें उन्होंने इंडी गठबंधन की खिंचाई की है। उन्होंने कहा है कि इंडी गठबंधन रामपुर की बर्बादी पर खामोश और तमाशाई बना रहा और मुस्लिम लीडरशिप को मिटाने की भी कोशिश की। ऐसा कहकर आजम खां ने मुसलमानों से भी अपील कर डाली की वह अपने वोट के अधिकार के बारे में अच्छी तरह से विचार करें। आजम खान ने साफ तौर पर यह भी कह दिया की इंडी गठबंधन मुसलमानों पर होने वाले हमलों और उनकी मौजूदा स्थिति पर खुलकर अपनी नीति स्पष्ट करें। अगर मुसलमानों के वोट का कोई अर्थ नहीं है तो मुसलमानों को भी विचार करना होगा। माना जाता है कि आजम खां अपने समुदाय के एक बड़े कद्दावर नेता हैं और जब वह बोलते हैं तो ना केवल लोग उन्हें सुनते हैं बलि्क बाखूबी अमल भी करते हैं, अब यह India गठबंधन के उन दलों के लिए खतरे की घंटी तो है ही जिनकी जीत का ताज काफी हद तक मुस्लिम वोटर्स ही decide करते हैं।