राहुल गांधी के बारे में यह प्रसिद्ध हो चुका है कि वह कुछ भी बोल देते हैं और बोलने से पहले अपना होमवर्क नहीं करते , और हर बार इसी कारण हंसी का पात्र बन जाते हैं, अब संसद में नेता विपक्ष होने के बाद भी राहुल सुधरे नहीं हैं और संसद में गलत बयानबाजी करके हंसी का ही पात्र बन जाते हैं, संसद में राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि देश में 50 फीसद से अधिक ओबीसी समुदाय की आबादी है पर नीति-निर्धारण में उनकी कोई भूमिका नहीं है और ओबीसी सांसदों को कोई अहमियत नहीं मिलती, इसपर तुरंत उनकी क्लास लेते बीजेपी मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को कुछ दिखाई ही नहीं देता है उनके सामने प्रधानमंत्री मोदी बैठे हैं जो खुद ओबीसी समुदाय से आते हैं और सरकार के सारे काम उन्ही के नेतृत्व में होते हैं। इसी तरह से राहुल ने आरोप लगया कि अमेरिकी प्रधानमंत्री ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री के लिए आमंत्रण हासिल करने विदेश मंत्री जयशंकर वहां तीन-चार बार गए, इस आरोप पर भी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उन्हें बुरी तरह से लताड़ दिया। और कहा कि राहुल गांधी अमेरिका दौरे को लेकर झूठ फैला रहे हैं और यही नहीं जयशंकर ने अपनी अमेरिकी यात्रा की तमाम बैठके सोशल मीडिया पर साझा कर दी , उन्होंने लिखा कि दिसंबर 2024 का अमेरिका दौरे में वह बाइडन प्रशासन के विदेश मंत्री और एनएसए से मिलने गए थे। और साथ ही हमारे महावाणिज्य दूत की एक सभा की अध्यक्षता भी की।’बेचारे राहुल करें भी तो क्या करें गलत बयानबाजी की आदते छूटे नहीं छूटती है।
क्या दिल्ली में यह तबका Congress को जीताने में मदद करेगा
राजनीती में रूचि रखने वाले लोगों को दिल्ली का साल 2015 का चुनाव तो बाखूबी याद होगा । आम आदमी पार्टी की ऐसी लोकप्रियता चढ़ी की एक तरफ दिल्ली से कांग्रेस का सफाया कर दिया और दूसरी तरफ भाजपा को भी सिर्फ तीन सीटों पर समेट कर रख दिया। 2020 में भी आप सरकर बनी लेकिन बीजेपी ने वापस कमबैक किया पर कांग्रेस पिछड़ गई। लेकिन इस बार होने वाले चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह से कमबैक करने में जुटी है और इसके लिए तमाम रणनीती बना रही है और congress की एक बड़ी रणनीती है दिल्ली के मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में वापस बुलाने की। जी हां शायद यही कारण है कि हाल फिलहल में राहुल और प्रियंका गांधी की ज्यादातर सभाएं मुस्लिम बहुल इलाकों में हुई हैं। आपको बता दें कि राहुल गांधी ने दिल्ली चुनाव में पहली सभा सीलमपुर में की , जहां मुस्लिम आबादी 57 फीसदी से ज्यादा है और फिर ओखला गए जहां मुस्लिम मतदाता 52 प्रतिशत से अधिक हैं।
congress को पूरी उम्मीद है कि एक बार फिर मुस्लिम वोटरों उसे दिल्ली की गद्दी दिलाने में मदद कर सकते हैं वैसे जानकारी के लिए 2011 की जनगणना के अनुसार दिल्ली में लगभग 13 फीसदी मुसलिम हैं । जो किसी भी पार्टी को हराने जीताने में अहम भूमिका निभाते हैं।
Delhi Election बनते समीकरण जिता रहे इस party को

दिल्ली में चुनाव प्रचार खत्म हो गया है, लेकिन पिछले चुनावों के रिजल्ट देखते हुए राजनीतिक गलियारों में कईं चर्चाएं तेजी से चल रही हैं, सबसे अहम है कि देश की सबसे पुरानी नेशनल पार्टी congress क्या इस बार दिल्ली चुनाव में अपना वोट प्रतिशत बढ़ाने में कामयाब हो पाएगी। आपको बता दें कि साल 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 9.7% वोट मिले थे और 2020 में तो हालात और भी ज्यादा पतली हो गई जब कांग्रेस को सिर्फ 4.3 प्रतिशत लोगों ने वोट दिया।अब सबको यही पता है कि आम आदमी पार्टी ने ही दिल्ली से कांग्रेस का सफाया किया है क्योंकि दिल्ली में बीजेपी की चाहे सीटें कम आ रही हैं पर उसके वोट बैंक में ज्यादा गिरावट नहीं है जैसे कि बीजेपी को 2020 में 38.5% वोट मिले और केजरीवाल की आप ने 2020 चुनाव में 0.7% वोट खोए। और जाहिर सी बात है कि Congress और AAP दोनों दलों के वोट घटने का फायदा साफ-साफ बीजेपी को मिल गया। अब इस बार के चुनाव में जहां कांग्रेस काफी एक्टिव हो गई है तो इस बात की पूरी संभावना व्यक्त की जा रही है कि फायदी बीजेपी को मिल सकता है और वो दिल्ली जीत सकती है।
दूसरा दिल्ली चुनाव में वोटिंग जाति के आधार पर नहीं होती बल्कि सामाजिक-आर्थिक वर्ग अहम भूमिका निभाता है। यही कारण है कि AAP आम जनता को free bies यानी मुफ्त की सुविधाएं देकर अपने पक्ष में करने में पिछले कईं सालों से कामयाब हो रही है। पर इस बार BJP और congress ने भी लोगों की यह नब्ज पहचान ली है और दोनों ही दलों की तरफ से मुफ्त घोषणाओं का जैसे तांता लगा हुआ है। पर जनता तो जनता है देखना यही है कि वो इन सब के बीच किस पर सबसे ज्यादा विश्वास करके उसे दिल्ली का ताज पहनाती है

