Rahul gandhi विपक्ष को नहीं कर सकते lead
अभी दिल्ली चुनाव का माहौल भी है और पार्लियामेंट का बजट सेशन भी चल रहा है और सारे राजनीतिक दल के नेता कुछ ना कुछ बात कर रहे हैं पर जितनी बार राहुल गांधी बात करने के लिए विशेष रूप से जब संसद में खड़े होते हैं तो उनके लिए three idiots मूवमेंट हो जाता है कि भाई आखिर कहना क्या चाह रहे हो, क्या बताने की कोशिश कर रहे हो ,क्या जनता को मैसेज देने की कोशिश कर रहे हो, यह नहीं समझ में आता है।
जनता तो दूर हो रही Alliance ने भी बनाई दूरी
यही three idiots मूमेंट है जो राहुल गांधी को ना केवल जनता से दूर कर रहा है बल्कि उनके जो अलायंस हैं, india एलायंस है वह भी उनसे दूर होते जा रहे हैं । दिल्ली चुनाव में राहुल सीलमपुर में रैली करते हैं, उसके बाद वह गायब हो जाते हैं , उनकी बीमारी की खबरें सामने आती हैं। वहीं इस बीच आम आदमी पार्टी को तृणमूल कांग्रेस का , समाजवादी पार्टी का, शिवसेना का समर्थन मिल जाता है और राहुल दिल्ली में बिल्कुल अलग थलग दिखते हैं। वैसे ओवरऑल स्थिति को भी देखें तो जो राजनीतिक डेवलपमेंट है या जो पूरा का पूरा राजनीतिक पटल है वहां भी कांग्रेस अलग थलग पड़ी हुई है और उसके राहुल गांधी जिम्मेदार है या कांग्रेस की नीतियां जिम्मेदार हैं, तो लगता है कि राहुल गांधी पर ही जिम्मेदारी है।क्योंकि कोई भी निर्णय, कोई कांग्रेस का दूसरा नेता लेने में सक्षम नहीं है या उसके पास इतनी सामर्थ्य नहीं है, इंक्लूडिंग कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खडके ज्यादातर निर्णय जो है वह गांधी परिवार ही डिसाइड करता है और उसको मानना राष्ट्रीय अध्यक्ष हो या महासचिव हो या मीडिया के लोग हो उनकी मजबूरी होती है।
Parliament में कईं बार हंसी का पात्र बने Rahul
पार्लियामेंट में जो चर्चा हुई राष्ट्रपति के अभिभाषण पर उस पर आते हैं जो मोटा मोटी जिन विषयों पर राहुल गांधी ने चर्चा की उनमें तेलंगाना में जो उनकी सरकार की एक रिपोर्ट आई है कास्ट सेंसस को लेकर के कि वो रिपोर्ट सारे मतलब भारतीय जनता पार्टी पूरे की सरकार जो है पूरे देश में क्यों नहीं कराना चाह रही है अब उसकी फाइंडिंग के हिसाब से तेलंगाना में कुल मिलाकर के 90 पर के आसपास 85 पर के आसपास ओबीसी एससी एसटी और इस तरह के लोग हैं तो 85 पर को एंपावर करना चाहिए । तो यहां पर सवाल यही है कि क्या केवल कास्ट नरेशन कर देना पर्याप्त है उस पर इंप्लीमेंट कब होगा कौन करेगा और तेलंगाना जिस सरकार ने कराया उसको क्यों नहीं कराया वह क्यों नहीं इंप्लीमेंट कर रही है उस कास्ट सेंसस को या कर्नाटक ने उसको क्यों नहीं किया कर्नाटक वाला मामला क्यों अब तक दबा हुआ है हिमाचल प्रदेश में क्यों नहीं हुआ यह प्रश्न है जो जो उनके अपने ही सहयोगी उनसे जानने की कोशिश करें और इसका उत्तर कांग्रेस के पास या राहुल गांधी के पास नहीं है इसलिए इस तरह की बातें करके कोई फंसना नहीं चाहता है और इसलिए लोग दूरी बनाने लग जाते हैं ।
Rahul नहीं दे पाते कोई भी Solid Suggestion
उसके अलावा जो अनइंप्लॉयमेंट की बात है unemployment को ले कर के राहुल ने जो बात कही प्रशन यही है कि ना केवल भारतीय जनता पार्टी की अभी की सरकार बल्कि यूपीए भी जिस तरह का एंप्लॉयमेंट देने में जरूरत है देश को वह नाकामयाब रही तो सरकार में रहते हुए राहुल गांधी जब ऑर्डिनेंस फ फाड़ सकते हैं तो यह सलाह क्यों नहीं दी कि एंप्लॉयमेंट जनरेशन के
लिए क्या होना चाहिए कोई चीज गलत है यह कहना बहुत आसान है लेकिन उस गलती को सुधारा कैसे जा सकता है यह बड़ी बात होती है और राहुल गांधी को आगे आना चाहिए आगे आकर के उस पर सलाह देना चाहिए था।
हर मुद्दे से राहुल गांधी Out of Touch हैं एक और महत्त्वपूर्ण बात उन्होंने करी कि महाराष्ट्र के चुनाव पर data मांग रहे थे कि महाराष्ट्र के चुनाव में कितने डाटा हैं, कौन से वोटर बढ़े हैं कहां घटे हैं
इसको इलेक्शन कमीशन को उनको देना चाहिए हालांकि यह बड़ी बचकानी सी बात है इसलिए कि सारा डाटा कितना जुड़ा कितना घटा ये सब कुछ वेबसाइट पर उपलब्ध होता है और वो मांग वो आसानी से उपलब्ध करा सकते हैं लेकिन महाराष्ट्र के चुनाव पर आज पार्लियामेंट में राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान चर्चा करना यह बताता है कि किस तरह से राहुल गांधी out of touch हैं और इस मामले को लेकर के ईवीएम को लेकर के बेसिकली या इन सब चीजों पर महाराष्ट्र के पॉलिटिशियन तृणमूल कांग्रेस यह उनके साथ सहमत नहीं है हालांकि समाजवादी पार्टी से उस मामले में इनसे सहमत है।
मेक इन इंडिया की तारीफ पर बुराई के साथ
इसके अलावा राहुल ने मेक इन इंडिया की तारीफ की उन्होंने लेकिन बोले कि इसका इंप्लीमेंटेशन फॉल्टी है तो यहां पर भी उनको कुछ नेता प्रतिपक्ष के नाते suggestions के साथ आना चाहिए था कि यह सजेस्ट कीजिए इसको लागू कीजिए तो आपका मेक इन इंडिया सक्सेसफुल होगा। उसके अलावा चाइना को लेकर के उन्होंने बात की कि चाइना ने 40000 स्क्वायर मीटर का 400 स्क्वायर किलोमीटर पर कब्जा करके रखा है जिस पर उनसे प्रमाण मांगा गया और अगर व प्रमाण नहीं देते हैं तो एक स्पंज हो जाएगा एक बात दूसरा इस मामले पर उनके खिलाफ अब जो प्रिविलेज मोशन भी आने की बात कही जा रही है ।
विदेश नीतियों पर भी जानकारी नहीं Rahul को क्या
एक और बात हुई जो उन्होंने अपनी भाषण अपनी बात के दौरान यह कहा कि यूएस विजिट जब कर रहे थे विदेश मंत्री एस जयशंकर तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यूएस प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के Inauguration के समय इनवाइट करने के लिए वो लॉबिंग करने के लिए गए हुए थे जिस पर भी उनसे प्रमाण मांगा गया और बोला गया कि जो अंतरराष्ट्रीय मसले हैं चाहे चाइना का मामला हो चाहे यूएस का मामला हो उसमें नेता प्रतिपक्ष का गैर जिम्मेदाराना बयान वह देश के इंटरेस्ट के खिलाफ है इन सब को लेकर के उनके सहयोगी जो अलायंस के सहयोगी हैं वह साथ नहीं है एक और महत्त्वपूर्ण बात है वक्फ को लेकर के जो कमेटी बनी है उसमें कांग्रेस का जो पूरा का पूरा कांग्रेस के लोग हैं व कमेटी में लेकिन वो ओवर शैडोड है वो ओवर शैडोड किसके द्वारा हैं वो ओवर साइड ओबैसी के द्वारा है वो ओवर साइड कल्याण बैनर्जी के द्वारा हैं वो ओवर छोटी पार्टियां Overshadow कर रही Rahul को साइड संजय सिंह के द्वारा है वो ओवर शैडोड डी राजा के द्वारा है वो ओवर शैडोड और भी बहुत सारे जो नेता है उनके द्वारा तो कांग्रेस वहां दिख ही नहीं रहा दूसरा ये कांग्रेस की मजबूरी भी है कि वक्फ पर किस तरह से बोले वक्तफ पर क्या बोले , कभी कभार छुटपुट उनकी बयान दिख जा दिख जाते हैं लेकिन जिस तरह से कांग्रेस को दिखना चाहिए 100 सदस्यों वाली पार्टी वो वो नहीं दिख रही है बल्कि उनसे कम सदस्यों वाली पार्टी जैसे समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस या एक सदस्यो वाली ए आई एमआईएम नजर आ रही है अब इन सब में जो सबसे महत्त्वपूर्ण बात है जिसको समझना चाहिए कि राहुल गांधी जो बातें करते हैं उसको लॉजिकल एंड तक नहीं ले जा पाते हैं आप कोई बात कीजिएगा आपकी बात करने का एक एजेंडा होता है उस एजेंडे को आप किस तरह से लागू करिएगा या किस तरह से उसका मैसेज जनता को जाए यह इसके लिए आपको बहुत प्लान के तहत और अपनी बातों को पूरी सीरियसनेस के साथ कहना चाहिए जिसे जनता आपकी बात सुने और जब आप जब आप के तर्क या जब आपकी बातें contrary नहीं होगी तभी आपका को समर्थन मिलेगा पिछले दिनों जितनी भी बातें राहुल गांधी ने की वह या तो contrary रही या उसको सब्सटेंशिएट नहीं किया जा सकता था, या वो इतनी शैलो रही कि उसको कोई विपक्ष पिक नहीं कर सकता था और यही कारणहै कि विपक्ष उनके साथ या उनके पीछे खड़ा होने के लिए नहीं तैयार है । उनको राहुल गांधी के कैलिबर पर अगर डाउट है तो उसको डाउट करने पर कोई नहीं रोक सकता है और यही कारण है कि जब वह बात करते हैं उनको लगता है कि राहुल उनको लीड करने की क्षमता उनमें नहीं है इसलिए कि ना उनके पास फ्रेश आइडियाज है उनके पास अपने गिने चुने रटे रटा चाहे वह कास्ट सेंसस का मामला हो चाहे वह शिव जी बार-बार रिपीट करें या सनातन के खिलाफ बात करें या बाकी चाइना की बा की बात करें या प्राइम मिनिस्टर और सावरकर य गिना चुने उनके पास कुछ जुमले हैं इन सब पर राजनीति नहीं की जा सकती है इन सब पर वह राजनीति करेंगे तो फसेंगे और वही हो रहा है लगातार राहुल गांधी आलोचना का शिकार होते हैं फेक्चुअली इनकरेक्ट कई कई बार पाए जाते हैं वह इनके लिए मुश्किल है और यही कारण है कि वह अलग थलग पड़ गए हैं पूरी तरह से अलग थड़क विपक्ष में भी अलग थलक पड़ हैं और यह जो है उनके लिए और पूरी कांग्रेस के लिए मुश्किल का कारण है