बिहार की राजनीती में जबरदस्त अटकलों का दौर शुरू हो गया है क्योंकि राहुल गांधी 18 जनवरी को बिहार जा रहे हैं और माना जा रहा है कि कांग्रेस और rjd यानी लालू की पार्टी के बीच बिगडते रिश्तों के चलते चुनाव से पहले राहुल बीच का कुछ रास्ता सुझाने बिहार जा रहे हैं। जैसे कि सबको पता है कि बिहार में कांग्रेस के कईं कद्दावर नेता चुनाव में बड़े भाई की भूमिका में आकर चुनाव लड़ना चाहते हैं और 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की सोच रहे हैं पर rjd को यह बात रास नहीं आ रही और हाल ही में तेजस्वी ने इस तरह के इशारे भी कर दिए कि वो कांग्रेस के दबाव में नहीं आएंगे, गठबंधन टूटता है तो टूट जाए इसके चलते यही समझा जा रहा है कि राहुल बिहार अपने राजनीतिक गुरू लालू प्रसाद यादव से भी मिलेंगे और दोनों दलों के बीच आई खटास दूर करने की कोशिश करेंगे। अब देखना यही है कि राहुल की बिहार यात्रा बरसों से साथ चुनाव लड़ रहे कांग्रेस और rjd के गठबंधन को मजबूत करती है या पूरी तरह से तोडने का काम करती है, वैसे काहुल के बिहार जाने से कांग्रेसी काफी उत्साहित हैं और अभी से पटना में राहुल गांधी के संवाद कार्यक्रम की तैयारी में जुट गए हुए हैं। इसी तैयारी के सिलसिले में बाकायदा बेगूसराय कांग्रेस भवन में कांग्रेस नेताओं की बैठक भी हुई।
यह फर्क है देवेंद्र फडणवीस और संजय राउत में
महाविकास अधाड़ी में हाल ही में हुई हार के जबरदस्त फूट पड़ गई है और तमाम नेता एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं और इन सब के बीच शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने यह घोषणा करके तल्खियां और बढ़ा दी की उनकी पार्टी स्थानीय निकाय चुनाव अलग से लड़ेगी। इस बात से कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी को ना केवल करारा झटका लगा है पर इससे कांग्रेस ही नहीं बल्कि शरद पवार की पार्टी के कईं कद्दावर नेताओं में बहुत नाराजगी है। लेकिन दूसरी तरफ
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस हैं जो बहुत ही सुलझे और कुशल नेता की तरह व्यवहार कर रहे हैं।वह राजनीती के मझे हुए खिलाड़ी हैं तभी पक्ष और विपक्ष दोनों ही उनके कायल हैं। अब देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में बड़ी ही चतुराई से इस बात की घोषणा कर दी की महायुति में सब ठीक हैं पर जल्द होने वाले निकाय चुनाव बीजेपी, महायुति से अलग होकर लड़ेगी। पर साथ ही देवेंद्र फडणवीस ने पूरी सावधानी बरतते हुए बीजेपी के तमाम कार्यकर्ताओं को इस बात की भी सलाह दे दी की नगर निकायों चुनावों में महायुति सहयोगियों के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी करने से पूरी तरह बचें। देवेंद्र फडणवीस ने यह भी कहा है कि महायुति का गठन व्यापक हित में किया गया है और अगर पार्टी स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ भी रही है तो उन्हें एनसीपी और शिवसेना कार्यकर्ताओं के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने होंगे।पर दूसरी तरफ
केजरीवाल को क्यों मुंह छुपाकर भागन पड़ा
कहते हैं ना जब चुनाव आते हैं परेशान जनता नेताओं से गिन-गिन कर बदले लेती है, आज के वोटर्स जागरूक हो चुके हैं और उन्हें नेताओं के झूठे वादे, इलाके में दर्शन ना देना, मिलने के लिए समय नहीं देना ये सब बातें याद रहती हैं, और जनता की यही जागरूकता चुनाव प्रचार करने निकले केजरीवाल साहिब को सबसे ज्यादा परेशान कर रही है, अब यह तो जाहिर है कि जिस की सरकार होगी जनता के तीर भी उसी तरफ सबसे ज्यादा छूटेंगे। हाल ही में ऐसा कुछ हो गया कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री को जनता के बीच एक तरह से बच बचाकर निकलना पड़ा। दरअसल केजरीवाल अपने विधानसभा क्षेत्र नई दिल्ली के एक इलाके में बडे लारे लशकर के साथ चुनाव प्रचार करने पहुंचे तो एक महिला ने उन्हें आडे़ हाथों ले लिया और सबके सामने ही केजरीवल को सुना दिया की 10 साल में आपने हमारे लिए कुछ नहीं किया।सब कांग्रेस ने ही किया है। हाल ये था कि केजरीवाल महिला का सामना ही नहीं कर पाए और उसके पूछे सवाल का जवाब दिए बिना आगे बढ़ गए, बस फिर क्या था कांग्रेस को एक और मौका मिल गया केजरीवाल को घेरने का , यह वीडियो कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया और AAP पर तंज कसते हुए लिखा की अरविंद केजरीवाल को जनता ने आईना दिखाया दिखा दिया। नई दिल्ली सीट से कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित ने तो यह तक कह दिया की इससे ज़्यादा शर्म की बात क्या हो सकती है की दो बार के मुख्यमंत्री को अपना चेहरा छिपाकर जनता के बीच से भागना पड़ रहा है। वैसे जनता के बीच पहुंचने पर केजरीवाल की कई बार फजीहत हो चुकी है कईं बार जनता उन्हें उनके शीशमहल के लिए ताने देती है और कईं बार शराब नीती में हुए धोटालों को लेकर तंज कसती है। बेचारे केजरीवाल की हालत पतली ही लगती है।