लालू 13 वीं बार बनेंगे RJD अध्यक्ष-क्या तेजस्वी के पंख कतरने की कोशिश

भाजपा बिहार में जब से लालू यादव को 13वीं बार rjd का अध्यक्ष पद सौंपा जा रहा है तो चर्चाओं का बाजार गर्म है कि क्या इससे कहीं ना कहीं तेजस्वी की बढ़ती साख को झटका तो नहीं लगेगा और क्या इसके जरिए लालू ने बड़ी चतुराई से तेजस्वी के फैलते पंख कतरने की कोशिश तो नहीं की है। इसपर विपक्ष खासकर बीजेपी लगातार rjd को घेर रही है, वहीं राजनीतिक गलियारों में यह बात उठने लगी है कि तेजप्रताप को बाहर करने के बाद जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री राबडी देवी का बयान आया था कि अब जो करेगा वो तेजस्वी ही करेगा, लगने यही लगा था कि इसके बाद rjd की बागड़ोर तेजस्वी के हाथों सौंप दी जाएगी। पर अचानक क्या हुआ कि बूढा शेर फिर से राजनीति में सक्रिय हो गया और अपने बेटे को साइड लाइन कर दिया। जी हां आप समझ ही गए होंगे की बूढे होते लालू यादव काफी बीमार भी रहने लगे हैं और ऐसे में अपनी गद्दी किसी और को नहीं कम से कम अपने बेटे को ही सौंप देते पर ऐसा कुछ हुआ नहीं , अंदर ही अंदर चर्चा ये भी चल रही है कि कहा कि लालू परिवार में पार्टी के शीर्ष पद को लेकर अंदर ही अंदर घमासान मचा है। सवाल यही है कि लालू को दोबारा अध्यक्ष बनना क्या इस अंदरूनी लड़ाई को खत्म करेगा या फिर आने वाले समय में यह और भड़क सकती है , वैसे बीजेपी लाली को 13 बार अध्यक्ष पद बनाए जाने के मुद्दे को लेकर जनता के बीत एक अलग ही रणनीती बनाने में लग गई है, बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रभाकर कुमार मिश्र ने कहा , यह तो तेजस्वी के लिए ही शर्म की बात है कि एक तरफ वे बिहार के मुख्यमंत्री बनने का ख्याली पुलाव बना रहे हैं, दूसरी तरफ उनके पिता का भी उनपर भरोसा नहीं है तो जिस नेता पर उसके पिता और परिवार के लोगों का भरोसा न नहीं है, उसपर बिहार की जनता क्या भरोसा करेगी। बीजेपी ने यह भी तंज कसा कि लालू को अपने होनहार नौंवी फेल बेटे पर भरोसा ही नहीं है, वहीं jdu के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने सजायाफ्ता लालू प्रसाद को फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के लिए सवाल खड़े किए।आपको बता दें कि पिछले 28 वर्ष से लालू इस पद पर विराजमान हैं और इसपर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने भी तंज कसते हुए rjd को लालू की “पारिवारिक कंपनी बताया उन्होंने कहा कि राजद की स्थापना से लेकर पिछले 28 वर्षों में एक ही व्यक्ति राष्ट्रीय अध्यक्ष रहा है, यह अपने आप में सब कुछ बयां कर देता है, पर इन सब के बीच चर्चाएं सबसे ज्यादा यही हैं कि तेजस्वी के पंख कतरने के लिए लालू ने यह कदम उठाया है

दामाद आयोग बहाना- पहले भाई अब बहन-बहनोई पर निशाना

बिहार में दामाद आयोग का मुद्दा लेकर तेजस्वी यादव जिस तरह से एग्रेसिव हो रहे थे उसपर एकेंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने उन्हें जमकर सुनाया है और चिराग पासवान की पार्टी के एक सांसद ने उन्हें वास्तविकता का आईना दिखा दिया। दरअसल हाल ही में तेजस्वी ने बिहार के कईं आयोग में हुई राजनीतिक नियुक्तियों पर आवाज बुलंद की थी और कहा था कि जीतन राम मांझी के साथ jdu और चिराग पासवान की पार्टी के नेताओं को इन आयोगों में उंचे पदों पर बिठाया जा रहा है , यही नहीं तेजस्वी ने राज्य मंत्री अशोक चौधरी के रिश्तेदार को भी एक आयोग में जगह मिलने की बात भी उठाई थी, बस इस पर मांझी ने तेजस्वी पर तंज कसते हुए कह दिया कि यह मुद्दा बताता है कि तेजस्वी और लालू परिवार के अंदरूनी कलह क्या हैं, मांझी ने कहा भाई को तो पहले ही घर से बाहर निकाल दिया है। अब बहन और बहनोई को बाहर करने के लिए दामाद का मुद्दा उठाया जा रहा है, ताकि भविष्य में राजनीती में सक्रिय बहन-बहनोई को कोई पद ना मिले और उन्हें किसी से चनौती ना मिले। वहीं ‘दामाद आयोग’ पर चिराग पासवान की पार्टी के सांसद अरुण भारती ने भी पलटवार करते हुए कहा कि लालू प्रसाद यादव 13वीं बार rjd के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं। कोई और दावेदार था ही नहीं और तेजस्वी यादव लोकतंत्र की बात करते हैं, जबकि rjd के लोकतंत्र नहीं, बल्कि पूरी तरह से तानाशाही और परिवारवाद का बोलबाला है। वहीं bjp ने भी rjd को घेरते हुए कहा कि लालू को अपने बेटे तेजस्वी तक पर भरोसा नहीं है और सजायाफ्ता होने के बाद भी खुद ही अध्यक्ष बन गए। यही नहीं bjp ने यह भी तंज मारा कि तेजस्वी एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री बनने के ख्याली देख रहे हैं और दूसरी तरफ खुद उनके पिता को उनपर भरोसा नहीं है।

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