लेह में हिंसा– पीछे किसका Master Mind -चाणक्य की जांच शुरू

लेह में हुई हिंसा जिसमें चार लोगों की मौत हो गई पुलिस कार्यवाही में। अब इस पूरे मामले पर घूम फिर करके सुई एक बार फिर कांग्रेस पर अटक गई है। जब भारतीय जनता पार्टी ने इस पूरे मसले को कांग्रेस प्रायोजित बता दिया और कांग्रेस को ही वहां पर हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार बताया है। वो इसलिए कहा जा रहा है कि कांग्रेस के दो काउंसिलर की संलिप्तता की बात कही जा रही है। एक के एक की पिक्चर पूरे सोशल मीडिया पर वायरल है। किस तरह से वो हाथ में एक डंडे जैसा कोई लेकर के लोगों को इंस्टिगेट करता हुआ नजर आया। दूसरे जो काउंसलर हैं उनके बारे में इस तरह की बात है कि उन्होंने एक दिन पहले हिंसा के एक दिन पहले शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके लोगों को जमा होने के लिए भीड़ इकट्ठा कर और इंस्टिगेट करने की बात कही जा रही है। तीसरी बात ये कही जा रही है कि इस मामले को राहुल गांधी से भी जोड़ा जा रहा है। जब वह यह कह रहे है उनके जो उनका एक इंटरव्यू फाइनशियल टाइम्स में दिया गया है जब वह यह कह रहे हैं कि वो जो चुनाव आयोग पर आरोप लगा रहे हैं वो आरोप जो है वो अनरेस्ट पैदा करने के लिए इस तरह की बात अनरेस्ट जैसा जिससे लोग सड़कों पर उतरे और विरोध करें और इसके पीछे उद्देश्य वही बताया जा रहा है। तो कुल मिलाकर के ये जो पूरे देश में चल रहा है वो उसी तरह का माहौल चल रहा है औरजिस तरह से जो चाहे सोनम वांगचुक की भूमिका रही हो इसलिए कि सरकार की तरफ से जो बताया गया है उसमें सीधे तौर पर सोनक सोनम वांगचुक को भी जिम्मेदार ठहराया गया।
Sonia Gandhi क्यों अपने देश में आतंकवाद को लेकर चिंता नहीं होती

सोनिया गांधी ने फिलिस्तीन में जो लगातार हमले हो रहे हैं उन हमलों को लेकर के प्रधानमंत्री को घेरा है और ये कहा है कि प्रधानमंत्री की इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्या है उनकी जो व्यक्तिगत उनसे संबंध है उन संबंधों के कारण जो है भारत की जो पॉलिसी टुवर्ड्स इजराइल और फिलिस्तीन है वो ऐसी है उसमें ह्यूमैनिटी और कॉन्स्टिट्यूशनल जो संवैधानिक जो व्यवहार होता है वो मिस करता है। अब इसमें सबको मालूम है कि भारत ने जो इसका स्टेटेड नॉर्म है मतलब जो स्टेटेड पॉलिसी है उसको सपोर्ट करते हुए जो इजराइल और फिलिस्तीन का टू नेशन थरी है उसको यूएन में भी सपोर्ट किया है। लेकिन अब सोनिया गांधी या गांधी परिवार जो है वो एक तरफ ह्यूमन राइट्स की बात करता है। 7 अक्टूबर 2023 के हमलों पर कांग्रेस को ने कोई बात नहीं की थी। लेकिन कांग्रेस का जो रेोल्यूशन एक पास हुआ था कांग्रेस वर्किंग कमेटी का उसमें 2024 के चुनाव से पहले उसमें फिलिस्तीन के सपोर्ट में कही बात कही गई थी। एक पार्लियामेंट में प्रियंका गांधी एक फिलिस्तीन के समर्थन में बैग लेकर के घूमती नजर आई और अभी ये तीसरा तीसरी बार सोनिया गांधी जो है वो फिलिस्तीन के समर्थन में नजर आई। दूसरी तरफ इजराइल जो हिंसा का शिकार होता है वो नजरअंदाज किया जाता है एकजेक्टली वैसे ही जैसे भारत में जो हिंसा होती है आतंकवादी हिंसा उस आतंकवादी हिंसा में सिर्फ इसलिए गांधी परिवार उसके खिलाफ कुछ नहीं बेलन बोलने के लिए होता है कि उसमें मुस्लिम इन्वॉल्वमेंट नजर आता है।
बिहार BJP के अपने बगावत पर उतरे

पूर्व होम सेक्रेटरी और केंद्रीय मंत्री आर के सिंह भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर हुए हैं और वो लगातार जो है अपने ही पार्टी के नेताओं या अलायंस पार्टनर्स पर आक्रमण कर रहे हैं और ये थामने थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसमें दो चीज निकल कर के आई है। एक ये कि उनका अपना कहना है कि अगर पार्टी चार लोगों को टिकट देती है जिनके नाम उन्होंने सीधे तौर पर कहे तो वो पार्टी के खिलाफ भी प्रचार करेगी। अब वो चार नाम कौन-कौन से हैं? ये हैं बीजेपी के राघवेंद्र सिंह और अमरेंद्र प्रताप सिंह। और जनता दल यू के भगवान सिंह कुशवाहा और रामचरण राधा चरण साह। अब ये चार लोगों के खिलाफ प्रचार चल रहे हैं। उनका आरोप यह है कि इन्हीं लोगों के कारण वो अपना लोकसभा का चुनाव हार गए। जहां से लेफ्ट जीत के आ गई है। अब इन सब परिस्थितियों को अगर आप देखिए तो जब चुनाव नजदीक आ रहे हैं बिहार के और किसी भी समय बिहार में चुनाव की घोषणा हो सकती है। उन परिस्थिति में एक बड़ा नेता जो केंद्रीय मंत्री रहा हो और दो बार का सांसद रहा हो, होम सेक्रेटरी रह चुके हैं। सीनियर ब्यूरोक्रेट हैं। उनका इस तरह का बात करना पार्टी के लिए संकट का कारण है और अपर कास्ट जो इस तरह की बात आ रही है कि अपर कास्ट जो है वो बीजेपी से मतलब वो थोड़ा जो है वो जन स्वराज पार्टी की तरफ भी आकर्षित हो रहा है और अगर अपर कास्ट ने इस तरह से बिहेव किया तो बीजेपी के लिए मुश्किल वाली स्थिति आ जाएगी। इसलिए कि ओबीसी का एक सेक्शन वोट ही मिलता है भारतीय जनता पार्टी को जो ओबीसी है। बाकी यादव और मुस्लिम तो कहीं से आता नहीं वो आरजेडी पर ही जाता है। तो ये निश्चित तौर पर बीजेपी के लिए एक चिंता का विषय है।
आजम खान बड़े बेआबरू होकर निकले

आजम खान जेल से छूट गए। उनको जेल से लेने कोई नहीं गया। कम से कम जो यादव फैमिली है जो जो उसका कोई भी सदस्य उनको जेल से लेने नहीं गया। रुचि वीरा जो सांसद है
वो गई थी मुरादाबाद की सांसद है और उनके बारे में ये कहा जा रहा है कि वो अपना एहसान चुकाने गई इसलिए कि मुरादाबाद की जीत के पीछे आजम खान मुरादाबाद में उनकी जीत के पीछे आजम खान की बड़ी भूमिका थी। लेकिन अब इसमें बात इतनी सी है कि कोई बुलाने नहीं गया। अखिलेश नहीं गए, डिंपल नहीं गई, धर्मेंद्र भी नहीं गए, अक्षय भी नहीं गए या शिवपाल भी नहीं गए, रामगोपाल भी नहीं गए और कोई छोटा नेता भी पहला यादव फर्स्ट यादव फैमिली जो है उससे नहीं गया। लेकिन अखिलेश यादव ने कॉन्फ्रेंस करके यह जरूर कह दिया कि अगर उनकी सरकार बनती है तो उनके खिलाफ जो भी मुकदमे हैं वो वापस लिए जाएंगे। क्या यह संवैधानिक रूप से संभव है? और क्या इसके खिलाफ लोग अदालत नहीं जाएंगे? लेकिन ऐसा लगता है कि अखिलेश जो है वह अपनी राजनीति करके मुसलमानों का वोट तो लेना चाहते हैं लेकिन इनके साथ नहीं खड़े नजर आए और इसकी शिकायत भी जो आजम खान के सुपुत्र हैं अब्दुल्ला आजम उन्होंने की फिर भी जो समाजवादी पार्टी है उनकी सेहत पर इतना फर्क नहीं पड़ा और वो नहीं है। अब वह अखिलेश नहीं पहुंचे या उनकी पत्नी या उनके परिवार का कोई नहीं पहुंचा। उसके और बहुत सारे कारण हो सकते हैं। लेकिन ये जो कयास है इसके बाद से कयास लगने लगे थे कि आजम खान जो है वो बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम सकते हैं। जिसको उन्होंने नकार दिया। हालांकि उनके पास एमआईएम और कांग्रेस इस तरह के और भी ऑप्शंस उपलब्ध हैं। यहां तक कि वह अपनी पार्टी भी ल्च कर सकते हैं। इस तरह की भी संभावनाएं जताई जा रही हैं।
