विदेशों में मोदी सरकार की निंदा क्या खुद Rahul Gandhi लोकतंत्र के लिए खतरा बने
राहुल गांधी ने एक बार फिर भारत के लोकतंत्र पर खतरे को लेकर के विदेश में बयान दिया। वो अक्सर विदेशों में ये बातें करते रहते हैं। कभी अमेरिकन यूनिवर्सिटीज में, कभी यूके की यूनिवर्सिटी में, कभी और कहीं इस तरह के एनजीओस के साथ बात करते हुए। अभी उन्होंने कोलंबिया के ईआईए यूनिवर्सिटी में यह बात कही और मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली जो सरकार है वो इस देश के लोकतंत्र पर हमलावर है। इस देश के लोकतंत्र को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं। और यही सबसे बड़ा जो है वो खतरा है। देश की डेमोक्रेसी को। इसके पहले भी उन्होंने अमेरिका और यूरोप को या अमेरिका और इंग्लैंड को बोला था कि भारत में डेमोक्रेसी बचाने के लिए इन देशों को इंटरवीन करना चाहिए। उन्होंने और बहुत सारी बात की। भारत के डायवर्सिटी की बात की। मल्टीपल रिलीजन, ट्रेडिशन, लैंग्वेज, आइडियाज की बात की। लेकिन घूम फिरा के इस पूरे उनके वक्तव्य का लबो लुबाब जो है वो यही है कि भारत में डेमोक्रेसी खतरे में है और उस डेमोक्रेसी में खतरे के जिम्मेदार नरेंद्र मोदी उनकी सरकार और संघ है चूंकि जो 2 अक्टूबर को दशहरा विजय दशमी को 100 साल पूरे हुए संघ को उस के आसपास इस तरह के बयान का आना अपने आप में दो चीजें बताता है। पहला यह कि संघ के खिलाफ जो उनका विदेश में भी जाकर के सरकार के खिलाफ जो विदेश में जाकर के कैंपेन है वो खतरनाक है। और दूसरा संघ की आईडियोलॉजी को लेकर के किस तरह से उनका उनकी जो आलोचना है वो घृणा के स्तर तक पहुंच जाती है ये जग जाहिर हो गई।
Bihar चुनाव तेजप्रताप ठान ली लालू-तेजस्वी को करना है परेशान

बिहार में चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है। अब बिहार में चुनाव के लिए को लेकर के सामान्यत जब चर्चा होती है तो दो बड़े गठबंधनों की बात होती है। पहला नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस एनडीए जिसके प्रमुख घटक अभी जनता दल यू भारतीय जनता पार्टी, जीतन राम मांझी का है उसके अलावा चिराग पासवान का लोक जनशक्ति पार्टी राम विलास प्लस उपेंद्र कुशवाहा का राजनीतिक दल कुल मिलाकर के ये राजनीतिक दल है और दूसरी तरफ महागठबंधन जिसमें कांग्रेस है, आरजेडी है, मार्क्सिस्ट लेनिस्ट लेफ्ट वाले लेफ्ट पार्टी है। इस तरह के और संगठन है। तो अगर इन सबको देखा जाए तो ये दोनों ही मोटे तौर पर चुनाव लड़ते हैं। लेकिन एक और बात जो निकल कर के सामने आ रही है, वो यह है कि आरजेडी लीडर तेज प्रताप यादव भी इस बार अपने गठबंधन के साथ चुनाव में लड़ने जा रहे हैं और उनके गठबंधन में छह राजनीतिक दल शामिल हुए हैं। एक तो उनकी जनशक्ति जनता दल है जिसका नेतृत्व वो खुद कर रहे हैं। प्रगतिशील जनता पार्टी मनोरंजन श्रीवास्तव इसका नेतृत्व कर रहे हैं। संयुक्त किसान विकास पार्टी सूरज प्रकाश इसका नेतृत्व कर रहे हैं। विकास वंचित इंसान पार्टी प्रदीप निषाद इसके नेता हैं और वाजिब अधिकार पार्टी विद्यानंद राम इसके अध्यक्ष हैं और भोजपुरिया जन मोर्चा भरत सिंह इसके नेता हैं। अब ये कुल मिलाकर के ये छह राजनीतिक दल 243 सीटों पर चुनाव लड़ने वाले हैं। बड़ा शेयर जो है वो जनशक्ति जनता दल होगा जिसके नेता तेज प्रताप हैं वो खुद अपनी सीट पर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन अगर मोटे तौर पर देखा जाए तो यह जितने भी राजनीतिक दल है इनका कोई बहुत मजबूत बेस नहीं है। लेकिन ये बहुत सारी सीटों पर आरजेडी और जो महागठबंधन है उनको नुकसान पहुंचा सकते हैं। कुल मिलाकर के ये स्थिति होने वाली है। इनमें से अगर तेज प्रताप अपनी सीट जीत लें या इनके सारे नेता अपनी सीट जीत लें वो ही एक बड़ा बड़ी उपलब्धि होगी लेकिन ये नुकसान जरूर कर पाए कर सकते हैं। नुकसान करते हुए नजर आ रहे हैं।
Bihar चुनाव के बाद हो सकता अलग अध्यक्ष पद का चुनाव

भारतीय जनता पार्टी का अगला अध्यक्ष कौन होगा? इस पर भी लगातार चर्चा हो चुकी है कि अभी सहमति नहीं बनी हुई है। बन पाई है संघ और बीजेपी के नेता के नाम पर सहमति नहीं बन पाई है। लेकिन एक चीज बहुत साफ हो गई है वो ये कि दो बड़े नेता जो अभी केंद्रीय मंत्री हैं वो अब इस दौर से बाहर हो गए हैं। वो इस दौर से बाहर होने के पीछे जो कारण नजर आ रहा है वो कारण ये है। अब वो नेता कौन है? पहले ये जान ले फिर कारण समझ लेते हैं। भूपेंद्र यादव जिनके पास पर्यावरण मंत्रालय लेबर पर्यावरण मंत्रालय और धर्मेंद्र प्रधान जिनके पास शिक्षा मंत्रालय है। अब ये दोनों नेता जो हैं वो इस दौर से बाहर है। अब इस दौर से बाहर इसलिए हैं कि इन दोनों को चुनाव का इंचार्ज बना दिया गया है। एक को मध्य बिहार का इंचार्ज बनाया गया है और दूसरे को पश्चिम बंगाल का चुनाव इंचार्ज बनाया गया। अब जैसे ही इन दोनों को इन प्रदेशों का चुनाव इंचार्ज बनाया गया है वैसे ही इस बात की संभावनाओं को विराम लग जाता है कि अब इनको अध्यक्ष पद के दौड़ के लिए कंसीडर किया जाएगा। अब ये कुल मिलाकर के चुनाव प्रबंधन देखें और जो खबरें आ रही हैं जो बातें निकल कर के आ रही हैं वो ये कि बिहार चुनाव के बाद ही अध्यक्ष पद पर कोई फैसला हो सकता है।
