सरकार में उनके पास PM के बाद दूसरे नंबर की Official जिम्मेदारी है

कश्मीर में हुए हमले के बाद बहुत सारी चीजों को लेकर के सरकार और विपक्ष दोनों सक्रिय हैं ,लेकिन इन सब में एक अलग बात निकल कर के आई है जो महत्वपूर्ण है, जो हमला हुआ है जम्मू और कश्मीर में हिंदुओं पर उसको लेकर के उसके बाद इस मामले पर एक ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई गई थी और उस ऑल पार्टी मीटिंग का जो चेयर कर रहे थे वो राजनाथ सिंह कर रहे थे कि सरकार में उनके पास दूसरे नंबर का ऑफिशियल जिम्मेदारी है मतलब अगर प्रधानमंत्री कहीं बाहर हैं उनके पास जिम्मेदारी है तो ये बड़ा प्राकृतिक रूप से हो लेकिन प्रधानमंत्री भारत में थे और वो बिहार चले गए और उन्होंने जिम्मेदारी राजनाथ जी को दी ऑल पार्टी मीटिंग में को चेयर करने के लिए बावजूद इसके कि विपक्ष लगातार इस बात की मांग कर रहा था कि ऑल पार्टी मीटिंग करनी चाहिए प्रधानमंत्री को।
क्या गुजराती नेताओं को हमेशा प्रोमोट करने के आरोपों से बचना चाहती सरकार
अब इसमें दो फैक्टर हैं एक तो यह कि सरकार थोड़ा सा इस बात को लेकर के पेशोपेश में आ जाती है जब सरकार पर गुजराती के नाम पर आक्रमण होता है इसलिए कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री दो महत्वपूर्ण पद जो हैं वो गुजराती नेताओं गुजरात से आए हुए नेताओं के पास है हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनारस से तीसरी बार चुनाव जीत करके आए हैं लेकिन ये जो गुजराती वाला टैग है ये बार-बार हाईलाइट किया जाता है और उसके साथ जोड़ा जाता है कि सारे गुजराती बिजनेसमैन को सारे गुजराती इंडस्ट्रिस्ट को ये सरकार प्रमोट करती है अब सरकार ने या तो कॉन्शियसली या अनकॉन्शियसली इसका समाधान निकाला है या इसको थोड़ा बहुत इशू एड्रेस करने की बात है जो निकल कर के आ रही है ।
मुख्यमंत्री चयन को लेकर भी राजनाथ की अहम भूमिका रही
वैसे राजनाथ जी को पिछले कुछ दिनों से महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाती रही है । चाहे वो मुख्यमंत्री चयन को लेकर के हो जो अभी लोकसभा चुनाव के बाद या लोकसभा चुनाव से पहले भी चाहे वो मध्य प्रदेश का रहा हो चाहे वो राजस्थान का रहा हो चाहे वो छत्तीसगढ़ का रहा हो चाहे इन सब में राजनाथ सिंह को महत्वपूर्ण भूमिका के तौर पर आगे किया जाता रहा है और बहुत सारे जगहों पर वो सीधे तौर पर सक्रिय दिखते हैं और यह बिना केंद्रीय नेतृत्व के या बिना प्रधानमंत्री के सहमतिके नहीं हो सकता है हो सकता है। अब जो है अपोजिशन के जो नेता हैं ऑल पार्टी मीटिंग से पहले प्रधानमंत्री की तरफ से कह लीजिए यार सरकार की तरफ से कह लीजिए उन सब के साथ बात करने की जिम्मेदारी राजनाथ जी के पास थी।
वक्फ बिल पर भी बातचीत का जिम्मा राजनाथ को सौंपा गया
वक्फ बिल के समय भी एक बड़े वर्ग से बात करने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री ने राजनाथ सिंह को दे रखी थी जब तक प्रधानमंत्री बाहर थे तब तक एनएसए से लेकर के बाकी सारे लोगों की से भी राजनाथ सिंह आगे आकर के बात कर रहे थे ना केवल व के समय लोगों से बात करने की जिम्मेदारी बल्कि जब व बिल चर्चा में था इसलिए कि व बिल जब चर्चा में था तो प्रधानमंत्री विदेश यात्रा के लिए चले गए थे तो ना केवल व पर जो विरोधी दल हैं उनसे बात करने का और अपने कुछ सहयोगियों के साथ बात करने का बल्कि जब वक्त चर्चा में था तो वो एक ग्जियन की भूमिका के तरह के रूप में पार्लियामेंट में नजर आए जो जिस भूमिका में प्रधानमंत्री सामान्यत होते हैं । अब राजनाथ सिंह जो हैं पूरे समय पार्लियामेंट में रहे । अमित शाह जी बीच-बीच में जरूरत पड़ने पर वक्त वक्फ बिल को लेकर के जो जवाब होता था या जो गलत बातें कही जाती थी उन पर टोकाकी करते थे लेकिन राजनाथ जी पूरे एक बड़े गार्डियन की तरह से इस पूरे मामले में वहां पर मौजूद रह के पूरे उसका सुपरविजन करते रहे ।
बांग्लादेश में Instability पर भी राजनाथ से चर्चा
इसके अलावा 13 अगस्त को, मतलब 2024 में सरकार नई सरकार बनने के बाद राजनाथ सिंह जी के घर पर संघ और बीजेपी के बड़े नेताओं की बैठक हुई थी जिन उस बैठक में इस बात पर चर्चा की गई थी कि जो प्रदेशों के चुनाव हो रहे हैं और बांग्लादेश में तब तक अस्थिरता आ गई थी उस अस्थिरता के साथ या वो जो दिक्कत आना शुरू हुई थी हिंदुओं पर वहां अटैक हुए थे उन सबको कैसे निपटा जाए इसके लिए भी उन पर जिम्मेदारी दी गई थी और ये बैठक उनके घर पर हुई इसके अलावा जून सात में जून सात को जब सरकार का गठन हो रहा था उस समय भी बहुत सारे सहयोगियों के साथ राजनाथ जी बात कर रहे थे।
बिहार चुनाव में भी हर तरफ राजनाथ
बिहार में अभी चुनाव हो रहे हैं तो बिहार में सहयोगी दलों के साथ-साथ बहुत सारे और नेताओं के साथ जो तालमेल का काम है वो भी राजनाथ जी के देखरेख में हो रहा है, राजनाथ जी की उसमें महत्वपूर्ण भूमिका होती है उत्तर प्रदेश उनका अपना प्रदेश है बावजूद इसके कि जो पार्टी के लोगों के से मिली जानकारी के अनुसार से जो दो बड़े नेता हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और राजनाथ जी ।मतलब ये पावर का जो वो होता है उसमें दोनों राइवल उसके उसमें देखे जाते हैं इसलिए उस तरह की स्थिति तो नहीं होती है मोदी का संरक्षण या मोदी जी का संरक्षण अह अगर योगी आदित्यनाथ के पास होता है तो बहुत सारे और ऐसे विषय होते हैं जिन विषयों पर चर्चा की संभावना या चर्चा की जरूरत होती है या चर्चा किए जाने की जरूरत होती है वहां राजनाथ जी को भेजा जाता है और बहुत सारे विषय थे अगर मैं उनको गिनाने बैठूंगा तो बहुत सारा लंबा मामला हो जाएगा लेकिन अभी उत्तर प्रदेश में चुनाव होने हैं 2027 में बिहार में चुनाव होने हैं 2027 में उत्तर प्रदेश में चुनाव होने हैं, उन सब के मद्देनजर या बहुत सारी और चीजें जो हो रही हैं अभी एक उद्घाटन के मौके पर भी राजनाथ जी लखनऊ में थे और वो बड़ा मसला था सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण मसला था कि क्योंकि वो लोकसभा लखनऊ से लोकसभा का प्रतिनिधित्व करते है ये सब भी महत्वपूर्ण बातें हैं।
पहले नहीं मिलती थी राजनाथ को इतनी Importance
लेकिन अगर आप इसको 2014 से और 2019 के पहले हाफ तक इसका आकलन कीजिएगा तो राजनाथ सिंह को उतनी उतना महत्व नहीं मिलता था जितना 19 के कुछ साल दो साल पहले से और अब उनको महत्व मिलने लगा है यहां तक कि नए अध्यक्ष के चयन में भी उनकी सलाह उनकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है तो यह सब सिर्फ जो जानकारी आ रही है वह सिर्फ इसलिए हो रहा है कि लगातार सरकार पर गुजराती गुजराती गुजराती होने का जो आक्षेप है उस आक्षेप को थोड़ा सा साइड लाइन करने थोड़ा सा किनारे करने की ये कोशिश है और राजनाथ जी को जो जिम्मेदारी दी जा रही है वो बेहतर से निभा पाने में कामयाब भी हो रहे हैं वो डिलीवर भी कर रहे हैं तो यह एक नया डेवलपमेंट बीजेपी में है जिस पर अभी लोगों की नजर नहीं गई है