हरियाणा में चुनाव Observer क्यों बनाया अमित शाह को -क्या RSS का हाथ

किसी और नेता को क्यों नहीं चुना क्यों गृहमंत्री

हरियाणा में चुनाव हो गए हैं और अब बीजेपी के सामने लक्ष्य है सीएम पद का चुनाव करना,इसके लिए अमित शाह को ऑब्जर्वर बनाया गया है । यह एक बड़ी बात मानी जा रही है और इसी को लेकर कईं चर्चाएं चल रही हैं कि आखिर अमित शाह को मैदान में क्यों उतारा गया क्यों नहीं किसी और नेता या राज्यों के मुख्यमंत्री को यह जिम्मेदारी सौंपी गई जैसे कि अमित शाह के साथ मोहन यादव जो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं उनको भी हरियाणा का ऑब्जर्वर बनाया गया है

 दो कारण पर सबसे ज्यादा चर्चा-बगावत का खतरा RSS का संकेत

अमित शाह को पर्यवेक्षक बनाने के पीछे दो कारण पर सबसे ज्यादा बात हो रही है, पहली बड़ी बात जो है जो सामने आ रही है कि अमित शाह को ऑब्जर्वर बनाकर एक तरह का मैसेज दिया गया है आरएसएस की तरफ से और मैसेज ये है कि बीजेपी में नंबर दो अभी कोई नहीं है मोदी पीएम है और वो नंबर वन है यह सब जानते हैं लेकिन कहा जा रहा था कि मोदी के बाद अमित शाह का ही नंबर आता है जो ये चर्चाएं चलती है कि मोदी जाएंगे तो अमित शाह आ जाएंगे। आरएसएस ने ये संकेत देने की कोशिश की है कि बीजेपी में नंबर दो कोई नहीं है सभी बराबर हैं सभी नेताओं को सभी काम करने पड़ेंगे । अमित शाह को जो जिम्मेदारी सौंपी गई है उसमें संकेत दिए गए हैं कि यह नेताओं का काम हैं , आप भी नेता हैं कोई नंबर दो नहीं ।
इस फैसले के पीछे एक संकेत देने की कोशिश की है आरएसएस ने कि अब सभी को सब काम करने पड़ेंगे ।

 RSS की धाक ज्यादा बढ़ गई है

वैसे हाल ही में लोकसभा चुनाव के बाद rss की वैल्यू है और ज्यादा बढ़ गई है क्योंकि सबको पता चल गया कि बीजेपी आरएसएस के बिना ज्यादा सीटे नहीं जीत सकती है। दो चुनाव हुए 2014 के 2019 के और आरएसएस की सक्रितया के कारण ही बीजेपी अच्छी सींटे जीतने में कामयाब रही।लेकिन माना यही गया है कि 2024 के चुनाव में RSS ने हाथ झाड़ लिया था और रिजल्ट बीजेपी को भुगतना पड़ा। जेपी नड्डा ने खुलेआम बयान दे दिया था कि आरएसएस की हमको
जरूरत नहीं है इससे बीजेपी और RSS में तल्खियां बढ़ी थी और 2024 में BJP को बहुत निराशा हाथ लगी। इसलिए अब बीजेपी बहुत ही संभल संभल कर कदम उठा रही है आरएसएस के निर्देश है , जो फैसले हैं जो सलाह दी जाती हैं उनपर ध्यान दिया जा रहा है और माना जा रहा है कि rss ने ही अमित शाह को नंबर टू नहीं होने का संकेत दिया है।

 बगावत का खतरा सता रहा बीजेपी को

दूसरा अमित शाह का हरियाणा का पर्यवेक्षक बनने का
बड़ा कारण माना जा रहा सीएम बनने के लिए पार्टी के नेताओं की ओर से बगावत करने का डर। कांग्रेस में तो सीएम पद को लेकर बगावत खुल कर के सामने आ गई थी । भूपेंद्र सिंह हुड्डा, शैलजा और रणदीप जी सुरजेवाला के तीन ग्रुप बन गए थे और तीनों सीएम पद की दावेदारी पेश कर रहे थे। लेकिन बीजेपी में भी कई नेता ऐसे हैं हैं जो सीएम पद चाहते हैं । कद्दावर हरियाणा नेता अनिल विज ने तो खुलेआम कह ही दिया था कि मैं सीएम बनना चाहता हूं मैं एक्सपीरियंस हूं और पार्टी को मेरे बारे में सोचना चाहिए।यह वही अनिल विज हैं, जब मनोहर सिंह खट्टर की जगह नयाब सिंह सैनी को विधायक दल की बैठक में नेता चुना गया था तो नाराज होकर अनिल विज वो बैठक छोड़ के चले गए थे , वही खतरा अब भी दिख रहा है। अनिल विज से यही खतरा है कि इस बार वह आगे बढ़कर अपने विधायकों के साथ बगावत करे सकते हैं।यह खतरा बीजेपी आलाकमान को महसूस हो रहा है और इसीलिए अमित शाह को विधायक दल की बैठक में बैठाया जाएगा क्योंकि वो मंझे हुए खिलाड़ी हैं ऐसी बगावतों का रूख मोड़ देते हैं, सुलझा देते हैं, दूसरा बड़ा खतरा हाल फिलहाल में सामने आया है । राव इंद्रजीत सिंह , जो बड़े कद्दावर नेता हैं उन्होंने भी दावा पेश कर दिया कि वह भी सीएम बन सकते हैं। हालांकि बाद में उन्होंने इस बात का खंडन भी कर दिया पर बीजेपी आलाकमान कोई रिस्क नहीं लेना चाहता। बीजेपी आला कमान को सता रहा है कि कहीं ना कहीं अगर विधायक दल की जो बैठक होती है उसमें हो सकता है कि कुछ विधायक विद्रोह कर लें और नयाब सिंह सैनी के मुख्यमंत्री पद का विरोध करें। इसी खतरे को भांपते हुए अमित शाह को बकायदा इस बैठक में प्रेजेंट होने के लिए बोला गया क्योंकि एक बात तो है कि अमित शाह का जोर
रहता है, उनकी चाणक्य नीति चलती है और उनके सामने कोई बोल नहीं पाता वो इस तरह से चीजों को समेट लेते हैं या अपनी चतुराई से हर किसी को खुश कर लेते हैं चाहे गुस्से से चाहे प्यार से चाहे किसी भी तरह और उनकी यही कला बीजेपी भुना रही है।

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