हरियाणा में हुड्डा की ऐसी गुगली-राहुल गांधी भी हुए आउट

दो घंटे में बदला बीजेपी नेता अशोक तंवर का मन

हरियाणा में चुनाव प्रचार प्रसार खत्म होने से ठीक पहले वो हो गया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी, और यह भी सच साबित हो गया कि राजनीति में कुछ भी कहीं भी किसी समय हो सकता है।कोई नेता किसी पार्टी का loyal नहीं है बस गद्दी की कहानी है। बीजेपी नेता अशोक तंवर ने लगभग साढ़े बारह बजे बीजेपी की एक रैली को संबोधित किया लोगों से बीजेपी के लिए वोट मांगे और दो घंटे बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा और राहुल गांधी की उपस्थिति में कांग्रेस को ज्यवाइन कर लिया।

 दलित नेता शैलजा का कद छोटा करने की बड़ी साजिश

लेकिन इसके पीछे बहुत बड़ा कारण है और वो छन-छनकर बाहर आ गया है। दरअसल यह साफ हो गया कि हुड्डा हर हाल में हरियाणा में दलित नेता शैलजा का कद छोटा करना चाहते हैं और अशोक तंवर चूंकि बड़े दलित नेता हैं इसलिए उनको वापस लाने से हुड्डा काफी हद तक अपने मकसद में कामयाब हो गए। उन्हीं की कोशिश थी की अशोक तंवर वापस आएं और वो आ गए। यह करके उन्होनें कांग्रेस आलाकमान को भी यह दिखाने की कोशिश की है कि किसी के रूठने- पार्टी को छोड़कर जाने से ना उन्हें और ना ही कांग्रेस को फर्क पड़ने वाला है क्योंकि उनके पास हर मर्ज की दवा है। यही नहीं अपनी इस चाल से राहुल गांधी को भी सकते में डाल दिया। क्योंकि जिस जल्दी से अशोक तंवर को कांग्रेस में लाया गया खुद राहुल गांधी को भी समझ में नहीं आ पाया कि यह क्या हो रहा है पर हुड्डा तो हुड्डा हैं पूरी प्लानिंग से अपने पत्ते खोल दिए

हुड्डा के कारण कांग्रेस छोडी अब वही वापस लाए

आपको यह जानकार भी आश्चर्य होगा कि एक समय में राहुल गांधी के बहुत करीबी रहे अशोक तंवर का कांग्रेस छोड़कर जाने का कारण भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही थे, उन्होंने टिकट बंटवारे के समय हुड्डा पर पैसों से टिकट बेचने का खुला आरोप लगाया था। लेकिन यह राजनीती है यहां सब चलता है । माना जा रहा कि हुड्डा किसी बड़े पद का या कोई और बड़ा लालच देकर अशोक तंवर को वापस लाने में सफल हुए हैं और शैलजा को नीचा दिखाने में कामयाब भी हुए है।

शैलजा याद नहीं कब हु्ड्डा से बात की-जबरदस्त तनातनी

अब यह बात किसी से छुपी नहीं रही थी कि हरियाणा का बड़ा दलित फेस शैलजा की भूपेंद्र सिंह हुड्डा से बिल्कुल नहीं पट रही है। उपरी तौर पर चाहे राहुल गांधी ने दोनों को एक मंच पर ला दिया लेकिन दोनों नेताओं के बीच खटास कम होने की बजाय बढ़ रही है और इसका उदहारण साफ नजर आ रहा है । एक इंटरव्यू में शैलजा ने साफ कहा था कि उन्हें नहीं पता कि कब उन्होनें हुड्डा से बात की हो। शैलजा हरियाणा का मुख्यमंत्री बनना चाहती थी पर हुड्डा के आगे उनकी एक ना चली ।

हुड्डा का शैलजा को बहन बुलाना राजनीती कि हिस्सा

अब हाल यह है कि हुड्डा अशोक तंवर को वापस लाकर हरियाणा में उनकी दलित राजनीति भी कठिन कर दी है।वैसे हुड्डा बहुत मंझे हुए नेता हैं और सार्वजनिक तौर पर शैलजा को बहन कहकर पुकारते हैं और दिखाते यही हैं कि उनके रिश्ते शैलजा से सामान्य हैं वो कुछ नहीं कर रहे बगावत शैलजा ही कर रही हैं।

शैलजा पूरी लड़ाई लडेंगी मिली सोनिया गांधी से

पर कुमारी शैलजा पूरी लड़ाई करने के मूड़ में बैठी हैं और शायद यही कारण है कि जिस समय अशोक तंवर कांग्रेस ज्वाइन कर रहे थे शैलजा दिल्ली में कांग्रेस महामहिम सोनिया गांधी के साथ अपने पत्ते फिट कर रही थी। उन्होंने सोनिया गांधी से आधा घंटे से ज्यादा मुलाकात की, हालांकि उन्होंने प्रेस से इसके बारे में बातचीत नहीं की पर माना जा रहा है उन्होंने अपनी नाराजगी के बारे में सोनिया गांधी को अवगत करवा दिया।

पार्टी में अपमानित क्या कुमारी शैलजा थामेंगी बीजेपी का दामन

अब आगे का घटनाक्रम दिलचस्प हो सकता है , हो सकता है अपनी पार्टी में अपमानित महसूस करने वाली कुमारी शैलजा बीजेपी का दामन थाम लें क्योंकि पहले ही पूर्व सीए मनोहर लाल खट्टर उन्हें बीजेपी में आने का न्यौता दे चुके हैं , अमित शाह भी तैयार बैठे हैं क्योंकि हरियाणा में अशोक तंवर के जाने से बीजेपी के पास कोई बड़ा दलित फेस नहीं बचा है।

क्या काग्रेस अशोक तंवर पर फिर विश्वास करेगी और शैलजा की उपेक्षा

अब देखना यही है कि क्या काग्रेस हुड्डा और अशोक तंवर पर भरोसा करके अपनी ईंमानदार, कर्मठ नेता शैलजा की उपेक्षा करके उनके जाने का रास्ता आसान करती है या फिर

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