हिमाचल में क्यों नेता हुए Rahul Gandhi के खिलाफ
हरियाणा में कांग्रेस की गुटबाजी जगजाहिर हो गई थी जब एक तो इसी कारण चुनाव बुरी तरह से हारे और उसके बाद भी नेताओं में आपसी तकरार इस हद तक बनी रही कि नेता विपक्ष का चुनाव करने में महीनों बीत गए और अभी वहां हालात ठीक नहीं है और अब लगता है कि हिमाचल प्रदेश भी भी स्थितियां हरियाणा की तरह बनती जा रही हैं, कांग्रेस ने यहां पिछले 9 महीनों से प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाया है और तलाश अभी तक जारी है , पता चला है कि पार्टी के अंदरूनी इतनी गुटबाजी चल रही है कि यह काम कर पाना राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के बस के बाहर होता जा रहा है, हाल ही में दोनों ने ही हिमाचल नेताओं के साथ कईं बैठके ली पर कोई फैसला नहीं हो पाया, हिमाचल के कुछ परेशान नेता तो दबे स्वर में यह भी कह बैठे कि राहुल जी तो ‘एटम बम’ फोड़ने में व्यस्त हैं और हिमाचल में 9 महीने से कांग्रेस मुखिया पद खाली है , राहुल जी के पास इसके लिए समय नहीं हैं, नेताओं का कहना है कि आलाकमान चाहे तो एक पल में प्रदेश अध्यक्ष बना सकता है। वैसे इन सब के बीच हिमाचल के मुख्यमंत्री ने अनुसूचित जाति वर्ग से किसी नेता को अध्यक्ष बनाने की सिफारिश कर डाली है, पर कोई कुछ भी कहे, सलाह दे होगा वहीं जो राहुल चाहेंगे और इसके लिए राहुल को समय चाहिए जो उनके पास है ना
Congress के दो कद्दावर नेता उतरे मोदी के समर्थन में

देश की अर्थवस्यस्था चौथे स्थान पर पहुंच चुकी है पर लगता है राहुल गांधी को economics का ज्यादा ज्ञान ही नहीं हैं और ना वो सही ज्ञान लेने की कोशिश करते हैं और इसलिए अकसर हंसी का पात्र बन ही जाते हैं , राहुल ने ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड़ ट्रंप ने ट्रंप के सुर में सुर मिलाते हुए भारत की अर्थव्यवस्था को dead कहा। जी हां हाल ही में जैसे ही भारत से चिढ़े बैठे ट्रंप ने भारत की economy को dead कहा, राहुल गांघी को तो जैसे मोका मिल गया मोदी सरकार को घेरने का और तुरंत बयान दिया कि हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को छोड़कर सभी जानते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था ”मृतप्राय” है। पर राहुल को विपक्ष के नेताओं से नहीं बलिक अपनी ही पार्टी के कद्दावर नेताओं से ही सबक ले लेना चाहिए कि देश हित पार्टी हित से बहुत उपर है, हाल ही में ना केवल शशि थरूर बलिक आनंद शर्मा जैसे नेताओं ने अमेरिका की भारत पर जबरदस्ती टैरिफ थोपने की जबरदस्त निंदा की है हाल में जब अमेरिकी वित्त मंत्री ने भारत के लिए अड़ियल शब्द का प्रयोग किया तो शशि थरूर ने उन्हें करारा जवाब देते हुए कहा कि जब अन्याय हो, तो अड़ियल रहना बेहतर है। कांग्रेस नेता और पूर्व वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने खुलकर कहा कि ट्रंप की भारत और उसकी अर्थव्यवस्था पर टिप्पणियां ‘अपमानजनक और अस्वीकार्य’ हैं। उन्होंने सरकार से यानी मोदी जी से यह तक आग्रह कर डाला कि वह ट्रंप की ‘धमकी भरी रणनीति’ के आगे न झुकें, इससे पहले कांग्रेस शशि थरूर ने भी ट्रंप की टिप्पणी को ”अपमानजनक” बताया था। थरूर ने अमेरिका की पोल खोलते हुए यह तक कह दिया था कि ट्रंप रूस से तेल खरीदने के लिए भारत को सजा दे रहे हैं, जबकि अमेरिका खुद रूस से कई चीजें आयात करता है। वैसे experts का यही विचार है कि यदि राहुल अपने ही पार्टी leaders से कुछ सीख समझ लें तो विपक्ष नेता की जिम्मेदारी अच्छे से निभा सकते हैं और देश हित में बोल सकते हैं।
