Congress इन सात  कारणों को समझे – पता चलेगा हरियाणा क्यों फिसला

 

भूपेंद्र सिंह हुड्डा को  फ्री हैंड देना भारी पड़ा

 हरियाणा में  जो परिणाम आए हैं वह सबको चौकाने वाले
हैं भारतीय जनता पार्टी तीसरी बार हरियाणा में सरकार बनाएगी और 48 सीटें उसकी झोली में चली गई।
बीजेपी की जीत से लोग भी चौके हैं , नेता भी  और सबसे ज्यादा  चौंकाया है कांग्रेस को भी, जो पूरी तरह से सदमें में दिखाई दे रही है। एग्जिट पोल के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा के घर पर लोगों का आना जाना तांता लग गया था एग्जिट पोल के बाद को यह लग रहा था कि सरकार बन रही है लेकिन सरकार नहीं और हुड्डा  के घर अब वीरानी बनी हुई है। क्यों ऐसा हुआ यह समझते हैं कि कांग्रेस की कही जाने वाली जीत हार में क्यों बदल गई। सबसे  महत्त्वपूर्ण बात यह रही कि हरियाणा के पूरे चुनाव में  भूपेंद्र सिंह हुड्डा को को फ्री हैंड दे दिया गया या अपने प्रभाव से हुड्डा ने फ्री हैंड ले लिया ।  उसके कारण हरियाणा में   लगातार आपसी मनमुटाव मतभेद से जो एक चुनाव प्रचार को पूरी ताकत मिलनी चाहिए  वो मिल ही नहीं  पाई।

कांग्रेस के स्टार प्रचारक समय पर नहीं पहंचे

  राहुल गांधी भी चुनाव प्रचार के आखिरी क्षण में पहुंचे प्रियंका गांधी भी नहीं पहुंच पाई बहुत ज्यादा रैलियां खड़गे साहब की भी नहीं हुई और इसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा कि उसके स्टार नेता चुनाव प्रचार में ज्यादा उतरे ही नहीं। अब कांग्रेस को मुश्किलें कहां से आ गई उस पर चर्चा करते हैं ,  एक तो कुमारी शैलजा पूरे चुनाव में दूर-दूर रही सबको याद होगा कि राहुल गांधी ने कोशिश की कि भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी शैलजा का हाथ पकड़ के उठाए लेकिन जैसे ही दोनों के हाथ से राहुल गांधी ने अपना हाथ अलग किया दोनों दो कोने पर जाकर के बैठ गए एक मसला यह दूसरा मसला यह कि इनके नेता कैंडिडेट्स को चाहे कुमारी शैलजा हो चाहे सूरजेवाला हो इनके कैंडिडेट्स को टिकट नहीं दिया गया कुल मिलाकर के चार टिकट कुमारी सैलजा कैंडिडेट्स को दिया गया एक या दो टिकट सूरजे वाला को दिया गया 72 टिकट्स दिए गए भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कैंडिडेट्स को यह भी एक बड़ा फैक्टर था । ये लोग सारे के सारे बैठ गए और भूपेंद्र हुड्डा अपने लोगों को जिता नहीं पाए इसके अलावा एक और जो महत्त्वपूर्ण फैक्टर है बावजूद इसके कि राहुल गांधी चाहते थे कि कांग्रेस का एलायंस आम आदमी पार्टी के साथ हरियाणा में हो जाए लेकिन उस पर  वरिष्ठ सीनियर हुडा ने  खेल कर दिया और वह एलायंस नहीं होने पाया ।

अशोक तंवर ने भी बिगाड़ा खेल

और महत्त्वपूर्ण फैक्टर है अशोक तंवर को चुनाव के दो दिन पहले भारतीय जनता पार्टी से वापस ले आया गया कांग्रेस में और इस बात को लेकर के ना केवल हुडा नाराज
हुए बल्कि इससे जो कार्यकर्ता है शैलजा का कुमारी शैलजा का कार्यकर्ता है मतलब उनसे जुड़ा हुआ कार्यकर्ता है उसको यह लगा कि यह कांग्रेस की योजना है इस योजना के तहत वह शैलजा को अपमानित कर रहे हैं तो ये जो शैलजा को अपमानित करने वाला मैसेज गया है यह भी खराब मैसेज गया है कम से कम दलितों के बीच में तो।  दलितों पर भारतीय जनता पार्टी पहले से ही उनको समझा रही थी उनको बताने की कोशिश कर रही थी कि जो झूठ
फैलाया जा रहा है वह उस झूठ में मत आइए भारतीय जनता पार्टी दलितों के साथ पूरी मजबूती के साथ खड़ी है
महत्त्वपूर्ण बात यह भी रही कि   कांग्रेस का चुनाव प्रचार इस बार बहुत ही बिखरा हुआ था जिन बड़े नेताओं को चुनाव प्रचार में आना चाहिए जैसा राहुल गांधी हो चाहे मल्लिका रुण खड़गे हो चाहे कोई महासचिव हो चाहे प्रियंका गांधी हो चाहे अन्य कोई नेता हो वह उसने बहुत कमटाइम दिया

कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला की नाराजगी भारी पड़ी

दो  बड़े  नेता  कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला की नाराजगी कांग्रेस को बहुत भाऱी पड़ गई। शैलजा और सूरजेवाला यह दोनों प्रचार से लगभग नदारद
रहे। कांग्रेस आलाकमान ने उसकी चिंता ही नहीं की और ना ही इन दोनों को मनाने के लिए कोई प्रयत्न किए। इससे  अंदर ही अंदर जो बगावत उपजी उसका हश्र कांग्रेस ने देख लिया।   इसके अलावा  सारा का सारा कांग्रेस का फोकस जो है वो जाट वोटों पर था। और वोटरों की तरफ ध्यान ही नहीं दिया गया। फिर शैलजा के कारण  दलित वोटों का बंटवारा हुआ । माना जा रहा है दलित वोट शैलजा के कारण बड़ा तटस्थ हो गया था

संविधान बदलने का झूठ काम नहीं आया बीजेपी ने निरस्त किया

 और दूसरी एक बात यह है कि जो लोकसभा चुनाव में जिस तरह की बात हुई थी यह नारा दिया गया था कि भारतीय जनता पार्टी जब सरकार में आएगी या 300 सीट जीत लेगी तो व संविधान बदल देगी बाबा साहब संविधान बाबा साहब का संविधान बदल देगी वो वाली बात जो है वह इस चुनाव में नहीं हो पाई इसलिए कि बहुत कुछ लोगों को इस बात का आभास हो गया कि वह प्रोपगंडा  था, झूठ था ऐसा कुछ नहीं होने वाला। और इसी कारण  दलित वोट थोड़ा सा इन चुनाव में दूर हुआ है और भाजपा ने फिर उन पर काम करके उनको जीत लिया है

अमित शाह के माइक्रो मैनेजमेंट से सब फेल

 इसके अलावा जो एक और बड़ा फैक्टर है कि इस बार चुनाव की कमान अमित शाह ने संभाल रखी थी और वह हमेशा से जो माइक्रो मैनेजमेंट है राजनीति की उसको बढ़िया ढंग से समझते हैं और एक बार फिर जो बूथ का कार्यकर्ता था जो 2024 के लोकसभा चुनाव में नदारद था कई जगहों पर ही नजर आया था . हरियाणा चुनाव में  वो  पूरी तरह से बूथ पर नजर आया

बीजेपी कामयाब रही जाट वोटर में सेंध लगाने

अब इसके अलावा जो तीसरा जो फैक्टर जो भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में गया वह यह कि इन लोगों ने जाट तो अपने साथ साधा ही उसमें श्रुति चौधरी और उनकी मदर किरण चौधरी उनको राजसभा भेजा श्रुति चौधरी भी लगभग 10000 से ऊपर वोटों से आगे चल रही थी जीतने वाली थी वो अपना ना विधानसभा जीत रहे हैं किरण चौधरी को राज्यसभा भेज दिया गया तो जाट वोटर को भी साधने में बीजेपी कामयाब रही।

नयाब सैनी को मुख्यमंत्री बना   हरियाणा की  32 जातियाें को लुभाया

 जाट के अलावा बाकी सारे लोगों को भी साधाने में बीजेपी सफल रही।  हरियाणा की  32 जातियां हैं जिनमें   पॉपुलर बता कर सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। सैनी सही समय पर खट्टर साहब की  जगह पर लाए गए। सैनी जाति तो पहले से ही सदी हुई थी और सभी जातियों ने कुल मिला कर  जो नया समीकरण बनाया उसने भारतीय जनता पार्टी को जीताने में पूरी मदद की।

बीजेपी का सबसे शानदार प्रदर्शन

एक महत्त्वपूर्ण बात जिसको नोट करना चाहिए सबको कि भारतीय जनता पार्टी का यह सबसे बेहतर प्रदर्शन है पहले बार पहले चुनाव जब ये जीत के आए तो इनको 46 सीटें मिली थी दोबारा इनको 40 सीटें मिली और इस बार ये
लगभग 48  सीटें जीते और यह  अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन है

बीजेपी ने समय पर सारी गलतफहमियां दूर की

भारतीय जनता पार्टी के लिए हरियाणा में विधानसभा के क्षेत्र में कम से कम अब इसके अलावा जो एक और बात जिस पर सबको ध्यान देना चाहिए कि जो गवर्नर से संबंधित विषय थे गवर्नर से संबंधित विशेष रूप से जो
परिवार कार्ड बना था उस परिवार कार्ड को लेकर के बहुत सारे कंफ्यूजन थे बहुत सारी चीजें थी जिसके कारण नाराज थे उस परिवार कार्ड को उन्होंने बेहतर कर
लिया प्लस हरियाणा के लिए बड़ी बड़ी मुश्किल वाली स्थिति थी अग्निवीर को लेकर के अग्निवीर में भी इस तरह के परिवर्तन किए और वो मैसेज इन्होंने जनता तक पहुंचाया तो सबको यह लगा कि नहीं अग्निवीर नुकसानदायक नहीं है वह एक और अपने आप में एक एडेड एडवांटेज है युवाओं को एंप्लॉयमेंट देने का तो यह यह सारे एडवांटेजेस थे प्लस उनको यह लग रहा था कि
विकास हो रहा है इंफ्रास्ट्रक्चर हो रहा है लोगों को  राशन मिल रहा है नई नई चीजें हरियाणा के लिए भी उपलब्ध हो रही  है।

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