Congress leader Rahul Gandhi | PTI

कबीर का यह दोहा कैसे फिट बैठता Rahul Gandhi पर

कबीर के एक दोहे को आम बोलचाल की भाषा में बहुत इस्तेमाल किया जाता है जिसमें कबीर जी कहते हैं कि बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय..जो दिल खोजा आपना मुझसे बुरा ना कोई, मतलब तो समझ में आ ही जाता है कि पहले अपनी बुराई देखें फिर किसी और में बुराई ढूंढे, आजकल बीजेपी नेता इसी तर्ज पर राहुल गांधी पर अटैक कर रहे हैं कि राहुल गांधी फर्जी वोटरों का ढिंढोरा देश भर में पीट रहे हैं पर अपनी पार्टी अपने नेताओं पर उनकी नजर नहीं जा रही है जो फर्जी वोटर मामले के जीते जागते उदाहरण हैं। जी हां फर्जी वोटर मामले में अब बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कांग्रेस के एक और बड़बोले नेता पवन खेड़ा को घेरा है, अमित मालवीय ने आरोप लगाया है कि खेड़ा की पत्नी नीलिमा के पास दो वोटर आईडी कार्ड हैं।मालवीय ने सोसल मीडिया पर उसका सबूत पेश करते हुए बताया कि उनका एक वोटर कार्ड तेलंगाना के खैरताबाद विधानसभा से है और दूसरा नई दिल्ली से है। जिसमें नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र के काका नगर इलाके का पता दर्ज है। इसमें ‘के. नीलिमा’ और पति का नाम पवन खेड़ा लिखा हुआ है। मालवीय ने तंज कसते हुए यह भी कहा कि राहुल गांधी मतदाताओं को बदनाम कर रहे हैं। उन्होंने मतदाताओं की अनुमति के बिना उनकी पहचान उजागर कर उन्हें जोखिम में डालते हैं, पर अपनी ही पार्टी के नेताओं ने जो फर्जी वोट बनाए हुए हैं, गड़बड़ियां की हैं उनपर वो चुप्पी लगाए बैठे हैं। यही नहीं अमित मालवीय ने एक बार फिर कांग्रेस की टाप नेता सोनिया गांधी को लेकर भी राहुल पर हमला किया , उन्होंने कहा कि फर्जी वोट का मामला सिर्फ पवन खेड़ा तक सीमित नहीं बल्कि कांग्रेस के शीर्ष नेता से भी जुड़ा है, मालवीय ने दावा किया कि सोनिया गांधी ने 1980 में इटली की नागरिकता होने के बावजूद भारत की वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वाया था। जो पूरी तरह से गलत था। वैसे लगता है फर्जी वोटर का मामला बीजेपी और कांग्रेस की नाक का सवाल बन गया है, राहुल गांधी इसपर जितना aggressive होते हैं बीजेपी के नेता इसका कोई ना कोई तोड़ लेकर जनता के सामने रख देते हैं और बताते हैं कि पहले राहुल अपनी ही पार्टी में फर्जी वोटरों का मामला सुलझा लें फिर देश की चिंता करें।

Bihar Voter यात्रा कहीं तेजस्वी की मुख्यमंत्री दावेदारी खतरे में नहीं

चर्चाओं का बाजार गर्म है कि बिहार नें राहुल की वोटर यात्रा ने ना केवल बीजेपी और नीतीश कुमार को बड़ी परेशानी दे डाली है, पर उससे ज्यादा तेजस्वी यादव खेमे में राहुल की सफल यात्रा को लेकर घबराहट पैदा हो गई है, जी हां जिस तरह से इस यात्रा में बिहार की राजनीति में अचानक से राहुल गांधी का ग्राफ चढ़ गया और लगने लगा है कि कांग्रेस ने इस वोटर अधिकार यात्रा में RJD के बजाय खुद को बीजेपी के सामने मुख्य विरोधी पार्टी के रूप में खड़ा करने में काफी हद तक सफलता हासिल कर ली है। इस वोटर अधिकार यात्रा से बिहार के लोगों ने एक मजबूत विपक्ष की भी संभावना देखी।यही नहीं कांग्रेस ने इस यात्रा के जरिए ना केवल बिहार में अपनी पैठ मजबूत की है बलिक इंडी महागठबंधन की एकता पर उठ रह सवालों पर भी विराम लगा दिया क्योंकि वोटर अधिकार यात्रा के मंच पर बड़े दलों के बड़े नेता राहुल के साथ सामने आए। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन से लेकर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, उत्तरप्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव, की इस यात्रा में उपस्थिति ने इंडी गठबंधन की एक अच्छी ईमेज बिहार की जनता के सामने पेश की। साफ लग रहा है कि इस यात्रा की सफलता से बिहार विधान सभा में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने को लेकर भी RJD की सांसे फूल रही हैं।

राहुल तो मजबूरी कन्हैया कुमार-पप्पू यादव नहीं हैं बर्दाश -RJD सुप्रीमो को

बिहार में राहुल की यात्रा से कांग्रेस के हौंसले बुलंद हैं पर इस यात्रा से उसके सहयोगी दलों में अंदर ही अंदर बगावत पनप रही है जो कभी भी फूट कर बाहर आ सकती है और इसका सीधा फायदा एनडीए को होने वाला है, जी हां सबसे पहले तो इस यात्रा से, राहुल तेजस्वी के मंच से पूरी तरह पप्पू यादव और कन्हैया कुमार जैसे प्रभावशाली नेताओं को दूर रखा गया, जिससे चाहे ये नेता खुलकर कुछ ना बोल पा रहे हों पर उनके चाहने वाले हजारों वोटर इससे दुखी हैं और इसे अपने नेताओं का अपमान मान रहे हैं, माना यही जा रहा है कि इन दोनों नेताओं को जनता से सीधे संवाद करने के गुण के कारण ही राहुल और तेजस्वी से दूर रखा गया जिससे कहीं ये दोनों राहुल तेजसवी को ओवर पावर ना कर लें , यह भी चर्चा है कि लालू यादव के चलते ही पप्पू-कन्हैया को तेजस्वी-राहुल के फ्रेम में आने से रोक गया है। उन्हें उन दोनों नेताओं से तेजस्वी की राजनीति से खतरा नजर आता है, राहुल का साथ तो rjd की मजबूरी है पर इन दोनों जूझारू नेताओं को लालू हर हाल में तेजस्वी से दूर रखना चाहते हैं। वहीं दूसरी तरफ इस यात्रा से वाम दल भी खुश नहीं है , पहले ही उन्होंने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में विपक्षी दलों के सम्मिलित होने पर आपत्ति जताई थी और अपनी दूरी बनाई थी।और इस यात्रा को लेकर भी कई वाम दलों के नेता दबे स्वर में कह रहे हैं कि कहने को तो यह महागठबंधन द्वारा वोटर अधिकार यात्रा निकाली गई, लेकिन यह यात्रा सिर्फ राहुल गांधी का रोड शो के रूप में ज्यादा नजर आया। माना यही जा रहा है कि बिहार में वामदल मजबूरी में कांग्रेस का साथ दे रहे हैं, लेकिन एक हद तक दूरी भी बना रखी है, लगता यही है कि कहीं अदरूनी कलह के चलते कांग्रेस की ज्यादा वोट पाने की उम्मीद पर पानी ना फिर जाए।

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